World Theatre Day 2024: दुनिया भर के थिएटर संगठनों और कलाकारों के साथ थिएटर प्रेमी और शैक्षणिक संस्थान हर साल 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस मनाते हैं. यह दिन उन लोगों के लिए एक उत्सव है, जो कला के रूप ‘थिएटर’ के मूल्य और महत्व को देख सकते हैं. बीते कुछ वर्षों में रंगमंच यानी थिएटर में दर्शकों की रुचि तेजी से बढ़ी है और इस विधा में काम करनेवालों के लिए आय एवं आगे बढ़ने की संभावनाएं भी. इस विधा में महारत कलाकारों को फिल्म एवं टेलीविजन में काम करने के मौके भी दिलाती है. जानें कैसे आप पेशेवर थिएटर आर्टिस्ट के तौर पर खुद को आगे बढ़ा सकते हैं…
नाटक और अभिनय की बात करें, तो यह कला दुनिया की हर संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसे वर्ष 1962 से दुनिया भर में मार्च की 27 तारीख को मनाये जा रहे विश्व रंगमंच दिवस के तौर पर देख सकते हैं. भारत में रंगमंच की एक समृद्ध विरासत मौजूद है, भरतमुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र जैसा ग्रंथ इसकी तस्दीक करता है. भास, कालिदास, शूद्रक, विशाखदत्त, भवभूति और हर्ष आदि रचनाकारों द्वारा लिखित संस्कृत नाटकों का एक महत्वपूर्ण संग्रह भी पहली शताब्दी से मिलता है. पारसी थिएटर को भारत के पहले आधुनिक व्यावसायिक थिएटर के रूप में देखा जा सकता है. आधुनिक दौर में भारतीय रंगमंच ने शेक्सपियर और लेसिंग जैसे पश्चिमी क्लासिक्स को भी अपनाया. देश में सिनेमा की शुरुआत से पहले कोलकाता, दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पेशेवर थिएटर समूह थे. आजादी के बाद भारतीय रंगमंच का परिदृश्य तेजी से बदला. विजय तेंदुलकर, बादल सरकार, धर्मवीर भारती, मोहन राकेश और गिरीश कर्नाड जैसे आधुनिकतावादी नाटककार इस दौरान तैयार हुए और उनके कार्यों का दुनिया भर में प्रदर्शन और अध्ययन किया गया. दिल्ली में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की स्थापना हुई. इंडियन पॉलिटिकल थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) ने थिएटर में समाजवादी यथार्थवाद से जुड़े कई प्रयोग किये. थिएटर का यह विकास आज भी जारी है. आज देश भर में विभिन्न थिएटर समूह और संस्थान हैं, जो रंगमंच विधा को नये प्रयोगों के साथ आगे बढ़ा रहे हैं.
रंगमंच की दुनिया ने दिये कई कलाकार
सिनेमा को अपने अभिनय से समृद्ध करने वाले कई फिल्मी कलाकारों ने अभिनय की इबारत रंगमंच से सीखी है. नसीरुद्दीन शाह लेकर नवाजुद्दीन सिद्दीकी तक कई नाम इस फेहरिस्त में देखे जा सकते हैं. दरअसल, रंगमंच एक लाइव प्लेटफार्म है, जिसमें फिल्मों की तरह रीटेक नहीं होता. यही बात इसके कलाकारों को अलहदा और अपनी कला के प्रति गंभीर बनाती है.
थिएटर का संसार नाट्य निर्देशक, कलाकार, आर्ट डायरेक्टर, सेट डिजाइनर, लाइट एवं साउंड टेक्नीशियन आदि से मिलकर बनता है. रंगमंच में प्रदर्शित होनेवाले नाटक में कहानी, संवाद, गीत, संगीत, नृत्य के साथ ही डिजाइन, सेटअप, रोशनी आदि के संयोजन की भी अहम भूमिका होती है. यह क्षेत्र अभिनय के साथ करियर की कई अन्य राहें भी बनाता है.
आगे बढ़ने की बेहतरीन संभावनाएं हैं मौजूद
देश भर में बीते कुछ वर्षों से कमर्शियल थियेटर ग्रुप अच्छा काम कर रहे हैं. आप किसी भी थिएटर समूह के साथ जुड़कर रोजगार पा सकते हैं साथ ही रंगमंच की दुनिया में अपनी एक पहचान बना सकते हैं. रंगमंच में अभिनय, निर्देशन, परिकल्पना एवं अन्य रंगमंचीय विधाएं शामिल हैं. अन्य रंगमंचीय विधाओं की बात करें, तो इनमें कोरियोग्राफर, आर्ट डायरेक्टर, स्क्रिप्ट राइटर, सेट डिजाइनर, लाइट्निंग एवं साउंड टेक्नीशियन आदि शामिल हैं.
आर्ट डायरेक्टर : नाटक हो या फिल्म उसकी पृष्ठभूमि और मंच सेट-अप को आर्ट डायरेक्टर सेट की आवश्यकताओं व ग्राफिक्स के जरिये साकार करता है. नाटकों में जो भी पृष्ठभूमि दिखाई देती है, वह एक आर्ट डायरेक्टर और उनकी टीम तैयार करती है, ताकि नाटक में दिखाया जा रहा घटनाक्रम, विषय, अनुभव आदि वास्तविक लगें.
अभिनय : रंगमंच अभिनय की दुनिया में आगे बढ़ने का सबसे मजबूत आधार है. नाटक में काम करने से अभिनय की बारीकियां सीखने के साथ ही एक तरह का आत्मविश्वास मिलता है. कुछ दिनों के अनुभव के बाद आप रंगमंच के साथ ही टीवी एवं फिल्म इंडस्ट्री में भी पहचान बना सकते हैं.
स्क्रिप्ट राइटर : किसी भी नाटक/फिल्म का सार उसका प्लॉट और स्टोरी लाइन होते हैं. संवाद एक कड़ी बनकर दर्शायी जा रही कहानी से दर्शकों को जोड़ते हैं और इसके लिए एक अच्छे स्क्रिप्ट राइटर की जरूरत होती है.
सेट डिजाइनर : सेट कैसे तैयार किया जाना चाहिए, यह तय करने के लिए सेट डिजाइनर निर्देशकों और डिजाइन टीम के साथ काम करते हैं.
लाइट्निंग एवं साउंड टेक्नीशियन : नाटकों के मंचन में अगर रोशनी और आवाजें क्रम में न हों, तो दृश्य और संवाद का संयोजन सही तरीके से नहीं बन सकता. रंगमंच में रोशनी और ध्वनि के सही संयोजन में लाइट्निंग एवं साउंड टेक्नीशियन अहम भूमिका निभाते हैं.
स्कूल या कॉलेज से करें शुरुआत
आप अगर रंगमंच विधा में रुचि रखते हैं और इसमें आगे बढ़ना चाहते हैं, तो शुरुआत स्कूल या कॉलेज के दिनों से ही कर सकते हैं. स्कूल में होनेवाले नाटकों में भाग लें और ये पहचानने की कोशिश करें कि क्या वास्तव में आप इस विधा को करियर के तौर पर अपनाना चाहते हैं और क्या पूरे समर्पण के साथ इसमें आगे बढ़ सकेंगे! आगे चलकर आप कॉलेज के थिएटर ग्रुप से जुड़ सकते हैं अथवा शहर में सक्रिय किसी अन्य थिएटर समूह में शामिल हो सकते हैं. इसके बाद राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय या किसी अन्य मान्यताप्राप्त संस्थान से बाकायदा नाट्य कला यानी ड्रैमेटिक आर्ट की पढ़ाई कर इस क्षेत्र में स्वयं को आगे बढ़ा सकते हैं.
संस्थान, जहां से कर सकते हैं थिएटर की पढ़ाई
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी), दिल्ली.
https://nsd.gov.in/delhi/
भारतेंदु नाट्य एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स, लखनऊ.
http://www.bnalko.in/index.aspx
डिपार्टमेंट ऑफ ड्रामा एंड फाइन आर्ट्स, यूनिवर्सिटी ऑफ कालीकट.
https://drama.uoc.ac.in/
ड्रामा स्कूल मुंबई (डीएसएम), मुंबई
https://dramaschoolmumbai.in/