लखनऊ से अमित यादव : रामानंद सागर के लोकप्रिय सीरियल रामायण के राम यानी अरुण गोविल को भाजपा ने उप्र के चुनावी समर में उतार दिया है. अरुण गोविल को मेरठ से राजनीतिक रण में उतारा गया है. हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब भाजपा ने किसी धार्मिक सीरियल के किरदार को चुनावी रणभूमि में उतारा हो.
महाभारत के श्रीकृष्ण नीतीश भारद्वाज बने थे भाजपा के सांसद
अरुण गोविल से पहले रामायण सीरियल की सीता यानी दीपिका चिखालिया और रावण बने अरविंद त्रिवेदी भी सांसद बन चुके हैं. रामायण के हनुमान की भूमिका निभाने वाले दारा सिंह को भाजपा राज्यसभा भेज चुकी है. श्रीकृष्ण भी भूमिका निभाने वाले नीतीश भारद्वाज भी बीजेपी से सांसद रह चुके हैं.
फिल्म और टीवी के कलाकार लिखते रहे हैं जीत की पटकथा
फिल्म और टीवी के कलाकार भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा जीत की पटकथा लिखते रहे हैं. 1991 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान भाजपा ने रामायण सीरियल के कलाकारों को गुजरात से चुनाव लड़ा कर राजनीतिक बढ़त हासिल की थी. भाजपा ने दीपिका और अरविंद त्रिवेदी को 1991 के लोकसभा चुनाव में गुजरात से राजनीति के मैदान में एंट्री करवाई थी.
‘सीता’ और ‘रावण’ ने भी जीता लोकसभा का चुनाव
दीपिका चिखलिया बड़ौदरा (1991 में बड़ौदा) और अरविंद त्रिवेदी को साबरकांठा से टिकट दिया था. रामायण सीरियल के दोनों ही कलाकार भाजपा के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे थे. रामायण ही नहीं महाभारत में श्रीकृष्ण भी भूमिका निभाने वाले नीतीश भारद्वाज भी बीजेपी से सांसद रह चुके हैं.
नीतीश भारद्वाज ने 1996 में नामधारी को जमशेदपुर में हराया
नीतीश भारद्वाज वर्ष 1996 में जमशेदपुर से भाजपा के टिकट पर लोकसभा के सांसद बने थे. उन्होंने जनता दल के बड़े नेता इंदर सिंह नामधारी को हराया था. इसके बाद के चुनाव में नीतीश भारद्वाज को हार का सामना करना पड़ा और उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया था.
रामायण के हनुमान दारा सिंह को भाजपा ने भेजा राज्यसभा
रामायण के हनुमान की भूमिका निभाने वाले दारा सिंह को भाजपा राज्यसभा भेज चुकी है. उन्हें 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में राज्यसभा भेजा गया था. महाभारत में युधिष्ठिर की भूमिका निभाने वाले गजेंद्र चौहान भी बीजेपी में रहे हैं. उन्हें 2015 में फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का चेयरमैन बनाया गया, लेकिन उनका काफी विरोध हुआ. इसके चलते राजनीतिक करियर आगे नहीं बढ़ पाया.
अरुण गोविल की जन्मभूमि है मेरठ
वैसे तो अरुण गोविल की कर्मभूमि मुंबई रही है, लेकिन उनका जन्म मेरठ में हुआ था. यही कारण है कि भाजपा ने उन्हें मेरठ से टिकट दिया है. मेरठ कैंट में अरुण गोविल का जन्म हुआ. उनके पिता यहां जलकल विभाग में इंजीनियर थे. उनकी पढ़ाई भी मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से हुई है. इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.
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रामायण सीरियल ने अरुण गोविल को भारत के घर-घर तक पहुंचाया
अरुण गोविल ने मुंबई में कई फिल्मों में काम किया, लेकिन रामायण सीरियल ने उन्हें भारत के घर-घर तक पहुंचा दिया था. कोरोना काल में रामायण का दोबारा प्रसारण हुआ तो अरुण गोविल एक बार फिर श्रीराम के रूप में सबके हृदय में बस गए थे. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के समय अरुण गोविल ने भाजपा ज्वाइन की थी. अब वह मेरठ से लोकसभा के प्रत्याशी हैं.
उत्तर प्रदेश की राजनीति का केंद्र है मेरठ लोकसभा सीट
मेरठ लोकसभा सीट पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति का केंद्र है. 1952 में मेरठ तीन लोकसभा क्षेत्र में बंटा था. इन सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. इसके बाद 1957 में मेरठ लोकसभा सीट एक हो गयी. तब यहां से कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. 1962 में कांग्रेस से लगातार तीसरी बार सांसद रहे. 1967 में सोशलिस्ट पार्टी के एमएस भारती ने कांग्रेस के शाहनवाज खान को हराया. 1971 में शाहनवाज फिर सांसद बने.
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1991 में मेरठ में खुला बीजेपी का खाता
वर्ष 1980, 1984 में कांग्रेस की मोहसिना किदवई सांसद बनीं. 1989 में जनता पार्टी (एस) के हरीश पाल ने उन्हें हराया. 1991 में मेरठ में बीजेपी ने खाता खोला. 1996 और 1998 में भी अमर सांसद बने. 1999 में कांग्रेस और 2004 में बसपा ने यहां से जीत हासिल की. बीते तीन चुनाव 2009, 2014 और 2019 में यहां भाजपा जीतती रही है.