विनोद पाठक,गढ़वा
झारखंड के पश्चिम छोर पर बसे गढ़वा शहर के कारोबार ने पिछले कुछ दशकों में फिर रफ्तार पकड़ा है. पहले यह बाजार जेवर व कपड़े के लिए मशहूर है. लेकिन इसके अलावे यहां से जूता-चप्पल, सब्जियां एवं किराना सामान भी जिले के सभी प्रखंडों के अलावे सीमावर्ती क्षेत्रों तक जाता है. चैंबर ऑफ कॉमर्स के अनुसार इस समय गढ़वा शहर में प्रतिदिन करीब 10 करोड़ का कारोबार होता है. शादी के लगन के दौरान यह आंकड़ा और बढ़ जाता है. गढ़वा को पड़ोस में बिहार, छतीसगढ़ एवं उतर प्रदेश की सीमा होने का भी लाभ मिलता है. यहां के बाजारों मेंं दूसरे राज्यों की सीमावर्ती क्षेत्र से भी लोग खरीदारी के लिए आते हैं. यही कारण है कि यहां कुछ वर्षों में एक-एक कर पांच मॉल खुल चुके हैं. इन मॉलों में भीड़ देखकर यहां के कारोबार का अनुमान लगाया जा सकता है.पहले लाह, केंदू पत्ता, चावल व घी के लिए था मशहूर : अंगरेजों के जमान में गढ़वा शहर बहुत छोटा था. पर कारोबार में यह काफी आगे था. तभी तत्कालीन बंगाल के अंग्रेज कमिश्नर ने वर्ष 1867 में कहा था- गढ़वा इज ए बिगेस्ट मार्केट ऑफ छोटानागपुर. तब गढ़वा की जंगलों में केंदू पत्ता और लाह का उत्पादन खूब होता था. यहां लाह का कुटीर उद्योग फैला हुआ था. छत्तीसगढ़ से चावल लाकर यहां के अढ़तिया गांवों व बाहर के शहरों में भेजते थे. इसके अलावे यहां घी और चमड़े का भी खूब व्यापार होता था. गढ़वा के घी की मांग बाहर के शहरों में खूब होती थी. तब से आज में काफी परिवर्तन हो चुका है. अवागमन के साधन बढ़ने का होगा सकारात्मक असर : गढ़वा शहर की आबादी बढ़ने के साथ ही शहर का तेजी से विस्तार हुआ है. आवागमन के साधन बढ़ने का असर भी बाजार पर साफ दिखता है. कोयल व कनहर में पुल बनने से पड़ोसी राज्यों बिहार, छतीसगढ़ और यूपी के लोग सुगमता से गढ़वा पहुंच रहे हैं. अभी सोन पर जहां पुल बन रहा है, वहीं कनहर पर चिनिया और धुरकी के पास पुल तैयार हो रहा है. इन सबका सकारात्मक असर गढ़वा के बाजार पर पड़ेगा.पड़ोसी राज्यों के कारण बढ़ रहा बाजार : गढ़वा चेैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष बबलू पटवा ने कहा कि गढ़वा के बाजारों में बिहार और छत्तीसगढ़ के ग्राहक आते हैं. यहां से जेवर, कपड़ा, जूता-चप्पल, इलेक्ट्रॉनिक सामान व सब्जियों की खरीदारी होती है. इस कारण यहां का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. आवागमन के साधन बढ़ने से बाजार भी बढ़ेगा.