विनोद पांडेय, गावां (गिरिडीह). गावां प्रखंड के विभिन्न क्षेत्र में सिंचाई के अभाव में कृषि व्यवस्था की हालत अत्यंत बदतर हो गयी है. 17 पंचायतों वाले इस प्रखंड में काफी संख्या में किसान खेती पर आश्रित हैं. गावां, नगवां, पटना, खरसान, पिहरा, पसनौर, मंझने, बिरने, गदर, बेरूखी, पसनौर व शांख समेत अन्य स्थानों पर कृषि योग्य भूमि है. कुछ स्थानों की बात छोड़ दी जाये, तो अधिकांश स्थानों में बरसात के बाद खेत बेकार पड़े रह जाते है. प्रखंड में सिंचाई सुविधा के अभाव में गरमा फसलों का उत्पादन नहीं के बराबर होती है.
प्रखंड में हैं कई नदियां व पहाड़ी जलस्रोत
हालांकि प्रखंड में कई नदियां व पहाड़ी जलश्रोत हैं. प्रखंड मुख्यालय समेत माल्डा, नगवां, मंझने, बिरने, पसनौर, सेरूआ व शांख आदि पंचायतों के बगल से संकरी नदी गुजरी है. पिहरा के पास भी घाघरा नदी है. इस नदी में पूरे वर्ष जल प्रभावित होता है, लेकिन वहां से खेतों तक पानी लाने का कोई साधन नहीं है. आसपास के किसान डीजल पंप आदि की मदद से कुछ खेती करते हैं, लेकिन अधिकांश खेत यूं ही बेकार पड़े रह जाते हैं. बंद पड़ी माइका खदानों में भी प्रचुर मात्रा में पानी है. विभागीय उदासीनता के कारण यह पानी खेतों तक नहीं पहुंच पाता है. खरीफ फसल के लिए किसान मॉनसून पर आश्रित रहते हैं. यदि मॉनसून ने साथ नहीं दिया तो फसल खेत में ही सूख जाता है. पिछले वर्ष कम वर्षा के कारण अधिकांश तालाब अभी से सूखने लगे हैं, जिससे काफी परेशानी हो रही है.क्या कहते हैं किसान
सिंचाई सुविधा नहीं रहने से फसल नहीं हो पाती है. खेती के लिए मॉनसून ही एकमात्र सहारा है. सरकारी स्तर पर डीप बोरिंग या नहरों का निर्माण होने से खेती में सुधार हो सकता है. नदियों में चेकडैम या नहरों का निर्माण किये जाने से किसानों को लाभ होगा. राजेंद्र पांडेय, माल्डाप्रखंड में सिंचाई के साधनों का अभाव है. गर्मी की दस्तक के बाद अधिकांश तालाब सूख जाते हैं जिससे कृषि कार्य नहीं हो पाता है. विभागीय पदाधिकारियों को इस दिशा में पहल करना चाहिये. प्रखंड में डीप बोरिंग के अभाव से भी परेशानी हो रही है.
पवन सिंह, गावांप्रखंडवासी गरमी के मौसम में साग-सब्जी के लिए बाहर पर आश्रित रहते हैं. पर्याप्त मात्रा में कृषि योग्य भूमि होने के बावजूद लोग सिंचाई के अभाव में इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं. प्रखंड में गरमा फसलों का उत्पादन नहीं के बराबर हो पाता है.वीरेंद्र यादव, सेरूआ
प्रखंड की लगभग सभी पंचायतों में सिंचाई का घोर अभाव है. कुछ सक्षम किसान अपने स्तर से बोरिंग आदि करवाकर खेती कर लेते हैं, लेकिन मध्यम व निम्न तबके के किसान वर्षा जल पर आश्रित हैं. जनप्रतिनिधियों को इस दिशा में ठोस पहल करने की आवश्यकता है.उमेश कुमार दास, सिमरापताल