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पार्वती घाट : अब गैस से भी होगा दाह संस्कार

20 kg LPG gas, cremation will be done in Parvati Ghat in one hour from today

एलपीजी गैस आधारित शवदाह संयंत्र का आज किया जायेगा उद्घाटन

गैस से दाह संस्कार करने वाला झारखंड का पहला श्मशान घाट

एक शव को जलाने में लगेगी 20 किलोग्राम एलपीजी गैस

इंट्रो ::::::::::::

अब शवों के अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को न तो लकड़ियां और न ही बिजली की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि अब गैस आधारित शवदाह गृह में भी शवों का अंतिम संस्कार होगा. जमशेदपुर के पार्वती घाट में एलपीजी गैस से शव के दाह संस्कार के लिए संयंत्र लगाया गया है. रविवार को इसका उद्घाटन किया जायेगा. यह प्रदूषण को कम करने के लिए आवश्यक स्क्रबर आदि के साथ एक प्रदूषण-विरोधी प्रणाली है. इसे किसी भी मौसम की स्थिति या दिन के समय में आवाजाही में आसानी के लिए शांति भवन के हाॅल के माध्यम से मौजूदा प्रतीक्षालय से जोड़ा गया है. प्रदूषण से मुक्ति के लिए करीब 100 फीट की चिमनी लगायी गयी है. दाह संस्कार में 20 किलोग्राम एलपीजी गैस लगेगी, जबकि शव एक घंटा में जल जायेगा. गैस से संचालित शवदाह गृह में 600 से 650 डिग्री तापमान पर शव का दाह संस्कार होगा. पार्वती घाट समिति के सचिव दीपेंद्र भट्ट ने बताया कि शुरुआत में एलपीजी सिलिंडर का इस्तेमाल किया जायेगा. आने वाले समय में गैस सप्लाई के लिए गेल इंडिया की ओर से शहर में बिछायी जा रही पाइप लाइन पार्वती घाट में भी लायी जायेगी, जिसके बाद सहूलियतें और बढ़ जायेंगी.

लाइफ@जमशेदपुर

के लिए

अशोक झा

की रिपोर्ट.

1926 से हो रहा दाह संस्कार

खरकई नदी तट पर अवस्थित पार्वती घाट में 1926 से दाह संस्कार हो रहा है. 40 साल पहले सालाना सौ से ढाई सौ शव यहां जलते थे. वर्तमान में प्रतिवर्ष करीब चार हजार शव जल रहे हैं. अभी श्मशान घाट पर लकड़ी व इलेक्ट्रिक से दाह संस्कार की सुविधा है. पार्वती घाट झारखंड का पहला श्मशान घाट होगा, जहां शवों का दाह संस्कार गैस से किया जायेगा. पार्वती घाट समिति की ओर से घाट के शांति भवन में एक एलपीजी शवदाह गृह सिस्टम लगाया गया है, जिसे अहमदाबाद की कंपनी से खरीदा गया है. शांति भवन, गैस बैंक और भट्ठी की कुल लागत लगभग 75 लाख है. भविष्य में इसे बढ़ाकर दो करने की योजना है. उद्योगपति अश्विन और दीपक अडेसरा ने गैस शवगृह की बिल्डिंग, बीके स्टील ने फर्नेस और क्योसेरा प्रिसिजन टूल्स ने पार्वती घाट समिति को गैस बैंक उपलब्ध कराया है.

लकड़ी, बिजली से मिलेगी राहत

सुवर्णरेखा बर्निंग घाट, पार्वती घाट में इलेक्ट्रिक फर्नेस के कभी-कभी खराब हो जाने से परेशानी होती है. विद्युत चालित शवदाह गृह स्थापित करने में करीब चार से पांच करोड़ रुपये लगते हैं. इसके संचालन में बिजली महंगी और रखरखाव में खर्च ज्यादा होता है. जबकि गैस शवदाह गृह पर्यावरण और रख रखाव के हिसाब से कम खर्चीला होता है. जबकि लकड़ी से एक शव के दाह संस्कार में 9 मन या अधिकतम 11 मन लकड़ी लगती है. जिसकी कीमत 3300 रुपये आती है. लकड़ी से संस्कार में एक पेड़ खत्म हो जाता है. बारिश के दिनों में लकड़ी गीली मिलने से दाह संस्कार में परेशानी होती है. इलेक्ट्रिक शवगृह को सुबह पांच बजे ही हीट करने के लिए चालू कर देना पड़ता है. ताकि 600 से 650 डिग्री तापमान हो जाये. इसके खराब होने पर क्वाइल को ठंडा करने में दो दिन और ठीक होने के उपरांत चालू करने में दो दिन लग जाता है. गैस संचालित शवदाह गृह शुरू होने से बिना लकड़ी के शव के दाह संस्कार में लगभग एक घंटे का समय लगेगा. गैस की सुविधा होने से मशीन को आधा घंटा पहले चालू करना होगा.

शहर में तीन जगहों पर होता है दाह संस्कार

वर्तमान में जमशेदपुर में तीन श्मशान घाट हैं. सुवर्णरेखा बर्निंग घाट, पार्वती घाट में लकड़ी और इलेक्ट्रिक से शव जलाने की सुविधा है. जबकि महाकालेश्वर घाट में लकड़ी से शव को जलाया जाता है. पार्वती घाट कमेटी के सदस्य सह आर्किटेक नलिन गोयल की देखरेख में पार्वती घाट के कार्यों को किया जा रहा है. उनका कहना है कि पर्यावरण को देखते हुए प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए गैस प्लांट की योजना बनायी गयी है.

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गैस आधारित शवदाहगृह से पर्यावरण की रक्षा होगी. वातावरण प्रदूषित नहीं होगा. ना ही बड़ी संख्या में लकड़ी जलाने की आवश्यकता रहेगी. पार्वती घाट अब देश के उन चुनिंदा श्मशान घाटों में से एक है, जहां दाह संस्कार के लिए लकड़ी, बिजली और गैस से चलने वाली सुविधाएं मिलेंगी.

– दीपेंद्र भट्ट, सचिव,पार्वती घाट

—–गैस से चलने वाली भट्ठियां दाह संस्कार का सबसे प्रभावी तरीका है, क्योंकि इसमें कम से कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है. चूंकि गैस बिजली से अधिक महंगी है, इसलिए दाह संस्कार की लागत विद्युत भट्टी से थोड़ी अधिक और लकड़ी से दाह-संस्कार की तुलना में कम है. प्रदूषण का स्तर भी काफी कम है.

– दीपक पंचानिया, अध्यक्ष, पार्वती घाट समिति

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पार्वती घाट समिति के अब तक के अध्यक्ष

प्रेम सहगल – 1996 से 2015 तक विनोद देबुका 2015 से 2021 तक दीपक पंचानिया 2021 से अब तक

पार्वती घाट के विकास में योगदान देने वाले

पार्वती घाट के विकास में अहम योगदान निभाने वाले प्रमुख लोगों में शामिल हैं. प्रेम सहगल, विनोद देबुका, दीपक पंचानिया, दीपेंद्र भट्ट, सजन अग्रवाल, हर्षद शाह, अमित पारिख, नलिन गोयल, इंदर अग्रवाल, दिलीप गोयल, नागिन पारिख, सहित आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगपतियों की अहम भूमिका है.

-पार्वती घाट के

संस्थापक-भगवानजी नरसी

– अब एक साथ सात शव जलाने की क्षमता

– दो ओपन, दो प्रदूषण फ्री, दो इलेक्ट्रिक, एक गैस

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पार्वती घाट में दाह-संस्कार की दर

लकड़ी का खर्च – 3300 रुपये, समय ढ़ाई से तीन घंटा इलेक्ट्रिक का खर्चा – 1700, समय एक घंटा गैस का खर्चा – 3500 रुपये, समय एक घंटा लगभग —————

पार्वती घाट में मिलने वाली सुविधा

पूरा परिसर सीसीटीवी की निगरानी में दो रेस्ट रूम में लगभग 150 लोगों के बैठने की सुविधा लकड़ी शवगृह के पास 300 लोगों के बैठने की सुविधा हॉल के अंदर लगभग 80 लोगों के बैठने की सुविधा पार्किंग में एक साथ छोटे-बड़े 300 से ज्यादा वाहनों की पार्किंग की सुविधा पीने के पानी के लिए दो टंकी व ट्यूबवेल की सुविधा 24 घंटे जुस्को की बिजली, पानी की सुविधा 4 शौचालय व स्नानघर की सुविधा शव को रखने के लिए 2 डेड बॉडी फ्रीजर वातानुकूलित मुक्ति वाहन – 2 वातानुकूलित मुक्ति वाहन का किराया – 1300 ( 2 घंटा के लिए घर से घाट तक )मोबाइल नंबर 7739359259, 0657 2317266 —————–

आने वाले समय में बढ़ेंगी ये सुविधाएं

महिलाओं के लिए 2 और पुरुषों के लिए बन रहे 4 शौचालय व स्नानघर पार्वती घाट में हर साल जलते हैं कुल शव – लगभग 4 हजार सालाना लकड़ी से जलते हैं शव – करीब 450 से 500 सालाना इलेक्ट्रिक से जलते हैं शव- करीब 3500 कब से कब तक होता है अंतिम संस्कार – सुबह 9 बजे से रात्रि 9 बजे तक पहला इलेक्ट्रिक फर्नेस लगा – 19 अगस्त 1999 दूसरा इलेक्ट्रिक फर्नेस लगा – 21 फरवरी 2015

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