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स्वर्णरेखा से पानी लाने को विवश हैं ग्रामीण

स्वर्णरेखा से पानी लाने को विवश हैं ग्रामीण

चोकेसरेंग गांव में नहीं है पेयजल की व्यवस्था

सिल्ली़

सरकार लोगों को पीने का स्वच्छ पानी मुहैया कराने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती है. लेकिन लापरवाही और उपेक्षा के कारण कई जगहों पर इसका लाभ आम लोगों को नहीं मिल पाता है. ऐसा ही मामला सिल्ली प्रखंड के चोकेसरेंग गांव में देखा जा सकता है. ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. गांव की महिलाएं पीने का साफ पानी लाने के लिए गांव से करीब एक किमी दूर स्वर्णरेखा नदी जाती हैं. महिलाएं नदी में जाकर बालू के बीच से चुआं खोदकर पानी निकाल कर लाती हैं. ज्ञात हो कि इस गांव में करीब 100 से अधिक घरों में 500 से भी ज्यादा लोग निवास करते हैं. गांव की समस्त जानकारी विभाग के अधिकारियों को भी है. लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही है. ग्रामीण बताते हैं कि गांव में कोई जलस्रोत नहीं है. पानी की कमी के कारण ग्रामीण स्वर्णरेखा नदी से ही पानी लाते हैं. गीता देवी (36) कहती हैं कि अहले सुबह चार बजे उठ कर पानी लेने के लिए स्वर्णरेखा नदी जाती हैं. रास्ता भी पथरीला और खराब है. इसलिए परेशानी और बढ़ जाती है. ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से पानी की समस्या झेल रहे हैं. ग्रामीण कई बार पेयजल की समस्या को विभाग के समक्ष उठा चुके हैं. लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है.

क्या कहते है अधिकारी : पीएचइडी के कनीय अभियंता जितमोहन सिंह मुंडा ने कहा कि चोकेसरेंग का इलाका ड्राई जोन में आता है. यहां एक-दो चापाकल भी हैं, लेकिन पानी का स्तर नहीं होने के कारण कारगर नहीं है. कहा कि निर्माणाधीन साढ़े तीन लाख लीटर क्षमतावाले बंता जलापूर्ति योजना पर तेजी से काम हो रहा है. जल्दी ही गांव के ग्रामीणों को योजना से जोड़कर लाभ दिया जायेगा.

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