गोड्डा जिले के राजमहल कोल परियोजना की ओर से वित्तीय वर्ष 2023-24 के आखरी दिन कोयला उत्पादन के लक्ष्य से तीन मिलियन टन पीछे रह गयी. कंपनी इस वित्तीय वर्ष में मात्र 12 टन कोयले का उत्पादन ही कर सकी. वहीं दो मिलियन टन हुर्रासी से खनन हो सका. इस तरह से कंपनी कुल मिलाकर 14 टन ही खनन कर सकी. कंपनी अपने निर्धारित लक्ष्य 17 मिलियन टन तक नहीं पहुंच सकी. परियोजना के लगातार जद्दोजहद के बावजूद कंपनी पीछे रहकर लगातार तीसरे साल भी लक्ष्य से पीछे रही.
इसीएल 12 व हुर्रासी 2 मिलियन टन तक पहुंची
कोयला उत्पादन के निर्धारित लक्ष्य को लेकर राजमहल कोल परियोजना के इसीएल ने 12 तथा हुर्रासी परियोजना दो मिलियन टन के साथ 14 मिलियन टन का उत्पादन कर पायी. वर्तमान वित्तीय वर्ष के निर्धारित लक्ष्य से 3 मिलियन टन पीछे रह गयी है. परियोजना के कोयला उत्पादन की कमी के कारण प्रबंधन की ओर से जमीन की कमी की बात कह रही है. बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में जमीन के अभाव की वजह से मात्र पांच मिलियन टन कोयला का उत्पादन कर पायी थी. राजमहल परियोजना इसीएल की ओपन परियोजना है. परियोजना के उत्पादन पर इसीएल का कोयला उत्पादन निर्भर करता है. परियोजना वित्तीय वर्ष 2020/21 में 17 मिलियन टन कोयला का उत्पादन कर कोल इंडिया में अपना कीर्तिमान स्थापित किया था. मगर लगातार कुछ वर्षों से कंपनी लक्ष्य से काफी पीछे जा रही है. प्रोजेक्ट ऑफिसर सतीश मुरारी का कहना है कि परियोजना को पिछले वित्तीय वर्ष के समापन के समय जमीन मिल पायी थी. जमीन के मिट्टी की कटाई में समय लगने की वजह से उत्पादन समय पर नहीं हो सका. परियोजना अपने निर्धारित लक्ष्य 17 मिलियन टन को पूरा नहीं कर पायी है. हालांकि इसीएल का 15 मिलियन टन एवं हुर्रासी का दो मिलियन टन मिलाकर कुल 17 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होना था. इसमें इसीएल 15 के सथान पर मात्र 12 मिलियन टन तक ही पहुंच पायी है. राजमहल इकाई अपने 17 टन के उत्पादन से पीछे रह गयी है. ट्रेड यूनियन के नेता रामजी साह, डॉ राधेश्याम चौधरी, विघ्नेश्वर महतो, बाबूलाल किस्कू, राम सुंदर महतो ने बताया कि परियोजना ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोयला का उत्पादन किया है. मगर निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकी है. उम्मीद है अगले वित्तीय वर्ष में बेहतर उत्पादन कर लक्ष्य प्राप्त करने में कंपनी का रिकॉर्ड बन सके.