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आग से शहर के बाजार सुरक्षित नहीं, दमकल गाड़ियों के घुसने की जगह नहीं

City market on the verge of disaster

अशोक झा, जमशेदपुर आग लगने की घटनाएं यूं तो किसी भी मौसम में हो सकती हैं, लेकिन गर्मियों में आग लगने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. क्योंकि गर्मियों में बिजली का उपयोग बढ़ जाता है. एससी, पंखे, कूलर और इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट ज्यादा चलते से लोड बढ़ जाता है. नतीजन स्पार्किंग होने, शॉर्ट सर्किट होने के कारण आग लगने का खतरा बढ़ जता है. अधिकतर आग लगने की घटनाएं शॉट सर्किट की वजह से होती हैं. इन सभी घटनाओं को देखते हुए झारखंड अग्निशमन विभाग आगजनी की घटनाओं को लेकर सतर्कता व सुरक्षा के साथ अलर्ट मोड पर है. लेकिन जुगसलाई, साकची और बिष्टुपुर के बाजारों में आग लग गयी, तो क्या इन बाजारों में दमकल की गाड़ियां पहुंच भी पायेगी? गोलमुरी अग्निशामक विभाग के प्रभारी मंगल उरांव का कहना है कि शहर के बाजारों की सड़कों को देख कर तो ऐसा नहीं लगता है कि समय रहते दमकल वाहन घटना स्थल पहुंच पायें. दमकल को प्रवेश करने के लिए न्यूनतम 12 फीट का रास्ता चाहिये, लेकिन जुगसलाई, साकची, बिष्टुपुर के अंदर, मानगो सहित अन्य बाजारों में प्रवेश के लिए रास्ता नहीं है. इससे परेशानी हो सकती है. ऐसे में सुरक्षा को लेकर सबको सोचना होगा. वाटर हाइड्रेंट सभी बाजारों में नहीं : शहर के ज्यादातर बाजारों में वाटर हाइड्रेंट (पानी भरने का प्वाइंट) नहीं है. साकची और बिष्टुपुर में कुछ स्थानों को छोड़ वाटर हाइड्रेंट नहीं हैं. जो हैं वो काम कर रहे हैं या नहीं इसकी जानकारी फायर विभाग को भी नहीं है. दुकानदारों का कहना है कि इन वाटर हाइड्रेंट का रखरखाव नहीं होता है. जिससे बंद हो गये हैं. सबसे संवेदनशील है जुगसलाई बाजार झारखंड अग्निशमन विभाग जुगसलाई बाजार को सबसे ज्यादा संवेदनशील मानता है. यहां दो तरफ से बाजार में प्रवेश करने का मुख्य रास्ता है. स्टेशन की ओर से आने पर कुंवर सिंह चौक से ही जाम शुरू हो जाता है. पुल से होकर आने पर सबसे ज्यादा जाम बाटा चौक पर रहता है. कुंवर सिंह रोड से बाटा चौक बाजार तक पहुंचना मुश्किल है. यहां 1500 से ज्यादा छोटी-बड़ी दुकानें हैं. छोटी-छोटी गलियों में प्रवेश करना काफी मुश्किल है. बाजारों में 20-40 फीट चौड़ी सड़क है, लेकिन दुकानदारों द्वारा सड़क पर अतिक्रमण होने से पैदल चलना तक मुश्किल है. संवेदनशील के मामले में साकची बाजार दूसरे नंबर पर संवेदनशील स्थनों के मामले में साकची बाजार को अग्निशमन विभाग दूसरे नंबर पर देखता है. अग्रवाल बुक स्टोर की तरफ से प्रवेश करने पर बीच सड़क में ही वाहनों की पार्किंग रहती है. बाजार मास्टर कार्यालय की तरफ से सड़क पर ही दुकानें लगती हैं. मानिहारी लाइन, संजय मार्केट, शालिनी मार्केट की तरफ भगवान ही मालिक हैं. सड़कों की चौड़ाई 30-40 फीट है, दुकानदारों ने दुकानें आगे बढ़ा ली है. साकची बाजार के अंदर हाइड्रेंट (पानी की पाइप) कुछ जगहों पर लगी हुई हैं, लेकिन काम कर रहा है या नहीं. इसकी जानकारी विभाग को भी नहीं है. बिष्टुपुर बाजार : बिष्टुपुर बाजार के अंदर दमकल का प्रवेश करना मुश्किल है. बाजार के अंदर कई ऐसे स्थान हैं जहां आग लगने पर अग्निशमन की गाड़ी नहीं पहुंच सकती. अग्निशामक विभाग ने इसे टेंडर जोन की श्रेणी में रखा है. बिष्टुपुर में छोटे-बड़े लगभग 3000 दुकानें हैं. मानगो बाजार : मानगो बाजार की स्थिति यह है कि यदि बाजार के अंदर आग लग जाती है, तो दमकल वहां तक पहुंचना मुश्किल है. पूर्व में भी मानगो बाजार में कई बार आग लग चुकी हैं, बावजूद अतिक्रमण की वजह से दमकल जाने का रास्ता नहीं है. खड़ंगाझाड़ : टेल्को के खड़गाझाड़ मार्केट के अंदर दमकल जाने का रास्ता नहीं है. चौक से बाजार के अंदर चार पहिया वाहनों का प्रवेश करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में दमकल का पहुंचना काफी मुश्किल है. पूरे बाजार में 350 से ज्यादा दुकानें हैं. बारीडीह बाजार : बारीडीह बाजार में पूर्व में कई बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं. पहले सैकड़ों दुकानें जल चुकी हैं. कारण दमकल जाने का रास्ता नहीं होना. पुराने लाइन में भी दमकल जाने का रास्ता संकीर्ण है. बारीडीह चौक से बिरसानगर रोड से अतिक्रमण हटने से रास्ता जरूर चौड़ा हुआ है. सिदगोड़ा बाजार : सिदगोड़ा बाजार के अंदर पक्के मार्केट के अंदर दमकल का पहुंचना मुश्किल है. यहां पूर्व में भी आग लगने से दुकानदारों को काफी नुकसान हो चुका है. —–

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