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Personal Finance : बच्चे भी डालें बचत की आदत, जानें बचत के आसान तरीके

बचत की आदत बहुत ही अच्छी आदत है, इसलिए बच्चों को यह आदत जरूर डालें. बचपन की आदत जीवन भर कायम रहती है, जिसका फायदा मिलता है.

Personal Finance : स्कूल जाते समय आपके मम्मी-पापा कुछ पॉकेटमनी जरूर देते होंगे. आपको सूझबूझ से काम लेते हुए अपनी पॉकेट मनी से कुछ बचत करनी चाहिए. बचत की स्वप्रेरणा के लिए सबसे अच्छा उपाय है कोई लक्ष्य तय करना, जैसे- आपको अगर स्केच पेन, पोस्टर कलर, कोई अच्छी-सी मैगजीन, नया बैग, ज्योमेट्री बॉक्स, पेंसिल बॉक्स या ऐसी ही कोई उपयोगी या शौक की चीज खरीदनी है, तो मन-ही-मन निश्चय करें कि इसके लिए मम्मी-पापा से पैसे नहीं लेंगे, बल्कि अपनी पॉकेट मनी से पैसे बचा कर ही कुछ दिनों बाद उसे खरीदेंगे.

देखें हमेशा बड़े सपने


एक बार आप बचत की आदत डालने में कामयाब हो जाएं और अपनी बचत के पैसों से पसंदीदा छोटी-छोटी चीज खरीद लें, तो आपको अपना लक्ष्य बड़ा कर लेना चाहिए. इस बार आपको कोई बड़ी चीज खरीदने की योजना बनानी चाहिए, जैसे- स्पोर्ट्स शूज, पसंदीदा खिलौने, टी-शर्ट आदि. बचत की यह आदत सारी जिंदगी आपके काम आयेगी. अगर आप एक अच्छी-खासी बचत करने में सफल हो जाते हो तो अपने भाई- बहन, पेरेंट्स आदि को जन्मदिन या किसी खास अवसर पर अच्छा-सा उपहार देकर चौंका भी सकते हो.

हिसाब लिखें, बजट बनाएं


आपने सुना होगा कि हिसाब पाई-पाई का रखना चाहिए. यह एकदम सही बात है. आपको शुरू से ही एक नोटबुक में तारीख के अनुसार पैरेंट्स से मिली पॉकेटमनी, बर्थडे या अच्छा रिजल्ट आने पर मम्मी-पापा, चाचा-चाची आदि से मिले नकद रुपयों को नोट कर लेना चाहिए. फिर आप चाहे टिफिन के लिए या किसी भी चीज के लिए इन पैसों को खर्च करो तो उन्हें भी तारीख सहित लिखना चाहिए. इससे न सिर्फ आपके पास पैसों का पूरा हिसाब रहेगा, बल्कि फिजूलखर्ची की आदत पर भी लगाम लगेगी.

बचत के लिए रखें गुल्लक


आपके द्वारा बचत करने में मददगार साबित होगा एक सुंदर और आकर्षक गुल्लक. रोज आप इस गुल्लक में कुछ पैसे डालने का नियम बना लोगे तो जल्दी ही ऐसा करना आपकी आदत बन जायेगी. धीरे-धीरे जैसे-जैसे आपकी बचत की राशि बढ़ेगी और गुल्लक भरती जायेगी, आपको बड़ा आनंद आयेगा. इससे आपके मन में ललक बढ़ेगी कि कैसे इसे जल्दी से भर कर दूसरे गुल्लक को भरने का नंबर लगाया जाये.

चीजों की कीमत जानो


आप छुट्टी के दिन अपनी मम्मी या पापा के साथ शॉपिंग के लिए बाजार जाते होगे. इस दौरान आपको यह ध्यान देना चाहिए कि दुकानदार के साथ उनकी क्या बातें होती है, वे कैसे मोलभाव करते हैं आदि. साथ ही हर वस्तु की कीमत की जानकारी भी रखनी चाहिए. सुपर मार्केट में प्रोडक्ट्स की एमआरपी और लेवल पढ़ना चाहिए. ऐसा करने से आपकी जनरल नॉलेज और जागरूकता तो बढ़ेगी ही साथ ही पैसों की कीमत से संबंधित समझ भी बढ़ेगी.

बेकार सामान न खरीदें


आपको यह जानना होगा कि पैसा कमाना वाकई बहुत मेहनत का काम है और पैसा बहुत कीमती चीज है. ऐसे में कभी भी अपने पड़ोसी दोस्तों या सहपाठियों के पास देख कर या टीवी पर विज्ञापन देख कर ऐसी चीज खरीदने की जिद न करो, जिसकी आपको जरूरत ही नहीं. आपको अपने पैरेंट्स की आर्थिक स्थिति का भी ध्यान रखना चाहिए और अमीर पैरेंट्स के बच्चों से तुलना करने से बचना चाहिए. इसके लिए आपको यह समझना होगा कि चाहत और जरूरत दो अलग चीजें हैं, इसलिए सिर्फ जरूरत की चीज ही खरीदें.

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1 अप्रैल से ही क्यों शुरू होता है वित्तीय वर्ष


अपने देश में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होता है, जबकि नया वर्ष 1 जनवरी से शुरू होता है. ऐसे में आपके मन में भी यह ख्याल आया होगा कि वित्तीय वर्ष के लिए इसी दिन से क्यों चुना गया? दरअसल, अंग्रेजों के समय से 1 अप्रैल को नये वित्तीय वर्ष के पहले दिवस के रूप में मान्यता मिली हुई. चूंकि, दिसंबर से जनवरी त्योहारों की अधिकता रहती थी, इसलिए अंग्रेजों से सुविधानुसार वित्तीय वर्ष तय कर लिया होगा. दूसरी एक बड़ी वजह यह है कि हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है, जहां बड़ी आबादी मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर करती है. फरवरी और मार्च में मुख्य पैदावार की कटाई की जाती है. इसी वजह से इसके लेखा-जोखा के बाद नये वित्तीय वर्ष की शुरुआत होती है.

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