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World Autism Awareness Day 2024: ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को चीजें सिखाने के लिए अपनाएं ये इफेक्टिव तरीके

World Autism Awareness Day 2024: टीचर्स के लिए यह काफी जरुरी है कि वे ऑटिज्म को अच्छी तरह से समझें और एक इफेक्टिव स्ट्रेटजी डेवलप करें जो इस डिसऑर्डर से पीड़ित स्टूडेंट्स की लर्निंग नीड्स को पूरा कर सके.

World Autism Awareness Day 2024: टैलेंट और संभावनाओं से भरे कई ऐसे ऑटिस्टिक बच्चे हैं जो कभी अपने फुल पोटेंशियल को हासिल नहीं कर पाए वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें सही और उचित मार्गदर्शन नहीं प्राप्त हुआ. इस तरह के बच्चों को पढ़ाना, उनके भीतर मौजूद अद्वितीय कौशल को निखारना और उन्हें आत्मनिर्भर और सफल व्यक्तियों के रूप में दुनिया के सामने पेश करना उनके टीचर्स और ट्रेनर्स की जिम्मेदारी होती है. ऑटिज्म से पीड़ित इन बच्चों के लिए चीजें सीखना और समझना एक तरह की चुनौती हो सकती है, क्योंकि इस डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों में डेवलपमेन्ट रिलेटेड डिसेबिलिटी हो सकती हैं जो जानकारी को प्रॉसेस करने में, बिना बोले किये गए इशारों को समझने में, सेंसरी प्रोसेसिंग प्रॉब्लम और कम्यूनिकेशन कठिनाइयों में रुकावट डालती हैं. बता बता दें उनके स्ट्रेंथ पर ध्यान फोकस कर उन्हें जीवन में बेहतर परफॉर्म करने के लिए मोटिवेट किया जा सकता है जबकि उनकी कमजोरियों पर काम करने से उन्हें अपनी चुनौतियों से उबरने में मदद मिल सकती है. ऑटिज्म से पीड़ित कई बच्चे मैथ्स, साइंस और म्यूजिक के क्षेत्र में काफी टैलेंटेड होते हैं और उनमें भर-भरकर पोटेंशियल या फिर कहें तो किसी भी चीज को करने की क्षमता होती है.

बन जाती है चुनौती

ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में विचारों को मैनेज करने, चीजों की प्लानिंग करने या फिर स्ट्रेटजी बनाने में प्रॉब्लम हो सकती हैं. ऐसा होने की वजह से ऑटिज्म से पीड़ित छात्र के लिए ट्रेडिशनल क्लास के माहौल में सामना करना काफी चैलेंजिंग हो सकता है. ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति की समझ और सामाजिक संकेतों पर रिएक्ट करने की उनकी कैपेसिटी को लिमिट कर सकता है. ऐसा होने की वजह से जो भी लोग ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों से बात करना चाहते हैं या फिर उन्हें कुछ सिखाने की कोशिश करते हैं उनके लिए एक चुनौती बन जाती है. आज इस आर्टिकल में आपको कुछ ऐसे तरीके बताने वाले हैं जिनकी मदद से आप ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को चीजें सिखाने में मदद कर सकते हैं.

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प्राइमिंग

यह प्रॉसेस ऑटिज्म से पीड़ित स्टूडेंट्स को किसी सिचुएशन या फिर टास्क को करने के लिए तैयार करता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें अचानक बदलाव या उनके रूटीन में कुछ नया शामिल होने पर वे असहज या फिर चिंतित महसूस कर सकते हैं. आसान शब्दों में समझे तो एक सरप्राइज टेस्ट या क्विज उन्हें इमोशनली तोड़ सकता है. वहीं, अगर पहले से उन्हें इस टेस्ट या फिर क्विज की जानकारी हो तो ऐसे में वे बिना किसी परेशानी के टेस्ट को बाकी सामान्य छात्रों की तरह ही दे सकते हैं. इसी तरह, समूह में बातचीत के दौरान रुकने के लिए किस तरह इशारान करना है यह तय करने से उन्हें अनकहे सोशल प्रोटोकॉल को बनाए रखने में मदद मिलती है.

सेंसरी उत्तेजना को मैनेज करना

लर्निंग प्रोसेस को कम तनावपूर्ण बनाने के लिए यह काफी जरूरी है. यह टिमटिमाती लाइट्स, परेशान करने वाले आवाज़, कुछ चुनिंदा तरह के शेप्स आदि से स्टूडेंट्स की परेशानी को समझने और जरुरत के अनुसार उनका सॉल्यूशन ढूंढने में मदद करता है. इंद्रियों से प्रेरित होकर, वे लाइब्रेरी में एक शांत कोने में उस शिक्षक के करीब बैठना चाह सकते हैं जिनमें से उनकी मां जैसी खुशबू आती हो.

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पोटेंशियल बिहेवियर की लिस्ट तैयार करें

ऑटिज्म से पीड़ित छात्रों के एक्सपेक्टेड बिहेवियर की एक क्लियर लिस्ट ऑटिज्म से पीड़ित छात्रों को ग्रुप सेटिंग में उनके एक्शन्स पर कंट्रोल रख सकती है. अगर यह लिस्ट उनके सामने विजुअली उपलब्ध हो तो यह ज्यादा इफेक्टिव हो सकता है.

फ्लेक्सिबिलिटी

लिखे हुए टेक्स्ट को पढ़ने और समझने के लिए फ्लेक्सिबल नजरिया या फिर कहें एप्रोच यह सुनिश्चित करता है कि स्टूडेंट इंटेलेक्चुअली स्टिमुलेटिंग कंटेंट में लगे रहें, जो उनके इंटरेस्ट का टॉपिक भी हो सकता है.

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डायरेक्ट इंस्ट्रक्शन

आलंकारिक भाषा के इस्तेमाल में क्लियर और एक्सप्लिसिट इंस्ट्रक्शन से ऑटिज्म से पीड़ित स्टूडेंट्स को अपने साथियों के साथ बातचीत में मदद मिलेगी. वे रूपकों, मुहावरों जैसे अभिव्यक्तियों की शाब्दिक व्याख्या करते हैं, और इस तरह उन्हें सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले आलंकारिक शब्दों और वाक्यांशों से परिचित कराना जरूरी है.

उन्हीं के स्टाइल में चीजें सिखाएं

छात्रों के साथ उनकी फ्रीक्वेंसी या स्टाइल में काम करने पर उन्हें अपने गुस्से को कम करने में मदद मिलती है। उदहारण के तौर पर समझें तो उन्हें बिलकुल सही तरीके से लिखने के लिए फाॅर्स न करना, उन्हें एक टास्क को पूरा करने में जितना समय लगता है उतना समय देना, जब उनके लिए टास्क हद से ज्यादा बढ़ जाए तो उन्हें कभी भी क्लास के बाहर जाने की अनुमति देना एक अच्छा उपाय है.

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पॉजिटिव वाइब मेन्टेन करना

उनके दोस्तों और क्लासमेट्स के सामने उनकी यूनिक स्ट्रेंथ की प्रशंसा करके उनके लिए एक पॉजिटिव सोशल एनवायरनमेंट तैयार करें. जिस चीज़ में वे अच्छे हैं उसके लिए उन्हें सर्टिफिकेट देना, साथ ही उनकी उपलब्धियों के लिए उनके साथियों के साथ पुरस्कार देना, उन्हें इवेंट्स आदि में जिम्मेदारियां देना.

खुलकर बोलने के लिए दें प्रोत्साहन

ऑटिज्म से पीड़ित छात्रों को कन्वेंशनल राइटिंग फॉर्मेट के बजाय एक्सप्रेशन की अपनी समझ को मौखिक तरीके से व्यक्त करने की अनुमति देने से उन्हें एक्सप्रेशन के रिजिड फॉर्म के बजाय सीखने के वैल्यू पर फोकस करने के लिए मोटिवेट किया जाता है.

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