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राष्ट्रविरोधी तत्वों के लिए सेफ जोन बनता जा रहा है नेपाल, भारत के लिए खतरा

भारत की सीमा से लगे नेपाल के सीमावर्ती इलाके में बढ़ रही चीनी सक्रियता के बीच खुफिया एंजेसियों के लिए चुनौती का विषय है.

रक्सौल.भारत की सीमा से लगे नेपाल के सीमावर्ती इलाके में बढ़ रही चीनी सक्रियता के बीच खुफिया एंजेसियों के लिए चुनौती का विषय है. पूर्व में भी देखा गया है नेपाल की जमीन का प्रयोग भारत के विरुद्ध राष्ट्रविरोधी गतिविधि में कभी पाकिस्तान तो कभी चाइना के द्वारा किया जाता रहा है. वीरगंज में अवैध कॉल सेंटर के माध्यम से पूरे भारत, नेपाल और पाकिस्तान में ठगी का रैकेट चला रहे, चाइनीज नागरिकों की गिरफ्तारी के बाद यह चर्चा एक बार फिर से जोड़ पकड़ने लगी है कि नेपाल की जमीन राष्ट्रविरोधी तत्वों के लिए सेफ जोन बनती जा रही है. मिली जानकारी के अनुसार वीरगंज नहीं, इससे सटे ग्रामीण इलाके में भी दर्जनों ऐसे उद्योग संचालित है, जिसमे चाइनीज कंपनियों की हिस्सेदारी है. इस हिस्सेदारी के बहाने कंपनी वहां से अपने नागरिकों को यहां सीमा के पास भेजते रहती है. भारत और नेपाल की खुली सीमा होने के कारण हर प्वाइंट पर इसकी निगरानी बहुत हद तक संभव नहीं है. कुछ ट्रेंड चाइनीज नागरिक आसानी से नेपाली भाषा बोल पाते हैं, जिसके कारण नेपाली और चाइनीज में इसकी पहचान को अलग कर पाना संभव नहीं हो पाता है. बीते एक माह के अंदर रक्सौल बॉर्डर पर भी इमिग्रेशन विभाग की टीम के द्वारा बिना विजा भारत में प्रवेश की कोशिश कर रहे है, एक चाइनीज नागरिक को गिरफ्तार किया गया था. भारत-नेपाल सीमा सुरक्षा की जिम्मेवारी केंद्रीय पारा मिलिट्री फोर्स एसएसबी के जिम्मे है. इसके अलावे देश की कई खुफिया एजेसियां यहां अपना काम करती है. बावजूद देश की सीमा से कुछ ही दूरी पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का लंबे समय तक संचालित करना, अपने आप में सवालिया निशान खड़ा करती है. भारत-नेपाल संबंधों को नजदीक से देखने वाले नेपाल के पत्रकार ने बताया कि वीरगंज में ही एक कारपेट बनाने वाली कंपनी है, जिसमें न केवल चाइनीज लगानी है, ब्लकि यहां चाइनीज इंजीनियर को नौकरी भी दी गयी है. इसके अलावा बारा व पर्सा जिला जो कि भारत की सीमा से लगे हैं, यहां कई कंपनियों में चाइना पैसा लगाता है और उसका शेयर होल्डर बनकर अपने लोगों को भारत की सीमा के पास रखने की कोशिश करता है. इन लोगों के पास से एक इंडियन नंबर की आई-20 कार भी बरामद की गयी है, पटना नंबर वाले इस कार के स्वामी की भी पुलिस तलाश कर रही है. नेपाल पुलिस का ऑपरेशन क्लॉउड पर्सा पुलिस के द्वारा स्थानीय वीरगंज बाजार में कुछ सप्ताह चाइनीज नागरिकों की गतिविधि के बारे में सूचना संकलन का काम शुरू किया गया था. एसपी कुमोध ढुंगेल के दिशा-निर्देश पर पुलिस ने ऑपरेशन क्लॉउड शुरू किया. वीरगंज में चीनी नागरिकों के आवागमन की संख्या बढ़ने पर इस अभियान को शुरू किया गया. जांच में यह सामने आया कि इन लोगों के द्वारा संदेहास्पद गतिविधि की जा रही है. पुलिस ने पूरे अभियान को गोपनीय तरीके से संचालित करते हुए ठगी में संलग्न सभी को नोटिस में रखने की रणनीति बनायी. इसी के आधार पर शनिवार की शाम छापेमारी करके तीन चाइनीज नागरिकों को गिरफ्तार किया गया. इंडिया को टारगेट करते हुए वीरगंज में खुला था कॉल सेंटर गिरफ्तार किये गये चीनी नागरिकों ने अपने ब्यान में यह स्वीकार किया है, भारत में ऑनलाइन तरीके से फ्रॉड करके लिए सीमा के नजदीक वीरगंज को चुना गया था, ताकि यहां से भारत में आसानी से ठगी का धंधा चलाया जा सके. पुलिस अनुसंधान में यह भी बात सामने आयी है कि चीनी नागरिकों के द्वारा भारतीय सीम का प्रयोग करके ऑनलाइन ठगी का धंधा चलाया जा रहा था. विशेषकर भारत में अपने ठगी के धंधे को चलाने के लिए उनलोगों के द्वारा कुछ भारतीय नागरिकों को भी अपना कर्मचारी बनाया गया था. एसपी श्री ढुंगेल ने बताया कि भारतीय कर्मचारी स्पष्ट रूप से हिन्दी में बात करते थे, जिसके कारण सामने वाले व्यक्ति को उनकी बात पर तुरंत विश्वास हो जाता था और इन लोगों के द्वारा ठगी के काम को अंजाम दिया जाता था.

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