मधुबनी. शहर में पेयजल संकट उत्पन्न होने लगा है. जिला मुख्यालय में मापी से पता चला है कि भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है. पिछले वर्ष अप्रैल के अंतिम सप्ताह में जो भूजल स्तर था मार्च महीने में ही उससे तीन फुट नीचे चला गया है. पीएचईडी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष मार्च के अंतिम सप्ताह से ही भूजल स्तर नीचे जाने लगा है. पिछले वर्ष अप्रैल महीने से ही पेयजल को लेकर परेशानी शुरू हो गयी थी. लेकिन इस बार मार्च महीने से ही पेयजल की किल्लत लोगों को सताने लगी है. शहर के कई जगह मापी होने के बाद पता चला है कि यहां भूजल 36 फुट नीचे चला गया है. विभाग के सहायक अभियंता गौरव कुमार श्रीवास्तव ने कहा है कि मधुबनी डिवीजन के सभी 11 प्रखंडों में भी भूजल स्तर पिछले साल के अपेक्षा इस साल नीचे चला गया है. पिछले वर्ष ग्रामीण क्षेत्र में अप्रैल महीने में 18 फुट पर भूजल स्तर था. लेकिन इस वर्ष भूजल स्तर 19 फुट पर चला गया है. किस प्रखंड में क्या है भूजल स्तर विभाग के सहायक अभियंता श्रीवास्तव ने कहा कि शहर के गिरिधर पब्लिक लाइब्रेरी के नजदीक लगे चापाकल से पानी नहीं मिल रहा था. जांच में पाया गया कि भूजल स्तर 36 फुट नीचे चले जाने के कारण चापाकल पानी नहीं दे रहा है. इसी तरह आरके कॉलेज व कोतवाली चौक के नजदीक की गयी मापी में भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी भूजल काफी नीचे है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मधवापुर प्रखंड में भूजल स्तर 17 फुट 11 इंच है. जबकि हरलाखी में 17, बासोपट्टी में 14 फुट 7 इंच, जयनगर 13 फुट 11 इंच, बेनीपट्टी में 16 फुट 7 इंच, बिस्फी में 17 फुट 1 इंच, खजौली में 13 फुट, रहिका में 19 फुट, पंडौल में 17 फुट व राजनगर में 16 फूट 9 इंच पर भूजल स्तर दर्ज किया गया है. सबसे नीचे रहिका में भूजल स्तर है. जबकि खजौली में 13 फुट भूजल स्तर दर्ज किया गया है.
भूजल स्तर नीचे जाने से पेयजल की समस्या हुई गंभीर
शहर में पेयजल संकट उत्पन्न होने लगा है. जिला मुख्यालय में मापी से पता चला है कि भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है.
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