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क्यों नहीं सुधर रही है राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था : हाइकोर्ट

रांची में ट्रैफिक की लचर व्यवस्था को लेकर दायर जनहित याचिका पर हुई सुनवाई. ट्रैफिक एसपी को सशरीर कोर्ट में हाजिर होने का दिया निर्देश. आज फिर होगी सुनवाई.

रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने राजधानी रांची में ट्रैफिक की लचर व्यवस्था को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि राजधानी रांची की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार क्यों नहीं हो रहा है. दिन भर शहर में जाम की समस्या बनी रहती है. खंडपीठ ने ट्रैफिक की स्थिति पर नाराजगी जताते हुए रांची के ट्रैफिक एसपी को सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई तीन अप्रैल को होगी.

खंडपीठ ने कहा कि सड़क किनारे दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण किया जाता है. इससे जाम की समस्या अधिक होती है. जाम से लोग त्रस्त हैं. कई जगहों पर ट्रैफिक सिग्नल खराब है. कोकर, सुजाता चौक, अपर बाजार सहित अन्य जगहों पर मल्टी स्टोरेज पार्किंग की व्यवस्था करने की बात कही गयी थी, अब तक क्यों नहीं मल्टी स्टोरेज पार्किंग की व्यवस्था की गयी. खंडपीठ ने यह भी कहा कि लगातार ट्रैफिक सिग्नल का उल्लंघन करनेवाले वाहन चालकों का लाइसेंस निलंबित क्यों नहीं किया जाता है. आम लोगों को समय-समय पर यातायात नियमों की जानकारी देनी चाहिए, ताकि लोग नियमों के प्रति जागरूक हो सकें. इससे पूर्व रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने खंडपीठ को बताया कि रांची शहर में तीन फ्लाइओवर का निर्माण कार्य चल रहा है. इस कारण जाम की समस्या हो रही है. कांटाटोली फ्लाइओवर का निर्माण इसी वर्ष दिसंबर माह में पूरा हो जाने की संभावना है. फ्लाइओवर का निर्माण पूरा होने पर जाम की समस्या से लोगों को निजात मिलेगी. पहले की तुलना में ट्रैफिक व्यवस्था में कई सुधार किये गये हैं. यातायात नियमों का उल्लंघन करनेवालों से जुर्माना के रूप में 1000 रुपये वसूला जाता है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी राहुल कुमार दास ने जनहित याचिका दायर की है.

खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामले में राज्य सरकार शपथ पत्र दायर करे : हाइकोर्ट

रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने दूध सहित अन्य खाद्य पदार्थों में मिलावट को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से कहा कि मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से लोग बीमार हो रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार को कोई चिंता नहीं है. कितने फूड सेफ्टी अफसरों की नियुक्ति की गयी है और कितने पदों पर नियुक्ति लंबित है. मिलावटी खाद्य पदार्थों की जांच के लिए फूड लैब क्रियाशील है या नहीं. जेपीएससी ने जो मार्गदर्शन मांगा था, उस पर सरकार ने क्या कार्रवाई की है. खंडपीठ ने राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब दायर करने का निर्देश दिया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए नाै अप्रैल की तिथि निर्धारित की.

इससे पूर्व मामले के एमीकस क्यूरी पीयूष पोद्दार ने पैरवी की. वहीं जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल, प्रिंस कुमार ने बताया कि वर्ष 2023 में फूड सेफ्टी अफसर के 56 पदों सहित माइक्रोबायोलॉजिस्ट आदि के पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाला गया था. उस पर आयोग ने कुछ बिंदुओं पर राज्य सरकार से मार्गदर्शन मांगा है, लेकिन वह अभी नहीं मिला है. उल्लेखनीय है कि दूध में मिलावट की खबर को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

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