लातेहार
. डीएमएफटी फंड का उपयोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से खनन प्रभावित इलाकों में होना है. इसके लिए ग्रामसभा करने का प्रावधान है, लेकिन खनन विभाग के नियम के अनुसार शहरी क्षेत्रों में ग्रामसभा नहीं होता है. बावजूद इसके शहर मे डीएमएफटी फंड से लाइट लगायी जा रही है. शहर के सुंदरीकारण के नाम पर नगर पंचायत क्षेत्र में लाइट लग रही है, जबकि नगर पंचायत क्षेत्र का अपना वित्तीय फंड होता है. नगर पंचायत द्वारा शहर में लाइट लगायी गयी हैं, फिर भी डीएमएफटी फंड से भी लाइट लगायी जा रही है. लातेहार, नेतरहाट और बेतला में 4 करोड़ 95 लाख रुपये की लागत से 786 लाइट लगायी जानी है. जिले के विकास के नाम पर परिसदन भवन सहित कई स्थानों पर यह लाइट लगायी गयी है.
क्या है डीएमएफटी फंड
डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) भारत में खान और खनिज विकास विनियमन संशोधन अधिनियम, 2015 के तहत स्थापित गैर-लाभकारी निकाय के रूप में स्थापित एक ट्रस्ट है. इसके तहत खनन प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए काम किया जाना है. फंड का उपयोग कम से कम 60 प्रतिशत उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे कि पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, प्रदूषण नियंत्रण, पर्यावरण संरक्षण, महिला और बाल कल्याण तथा वृद्ध व दिव्यांग लोगों के कल्याण के लिए करना है है. कौशल विकास सहित 40 प्रतिशत राशि का उपयोग खनन प्रभावित क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे कि भौतिक बुनियादी ढांचे, सिंचाई, ऊर्जा और वाटरशेड विकास के तहत किया जाना है.
क्या कहते है निवर्तमान नप उपाध्यक्ष
इस संबंध में निवर्तमान नगर पंचायत उपाध्यक्ष नवीन कुमार सिन्हा उर्फ रिंकू लाल ने कहा कि शहरी क्षेत्र में डीएमएफटी की राशि से लाइट लगायी जा रही है, जो नियम के खिलाफ है. शहरी क्षेत्र में नगर पंचायत का अपना फंड होता है. वहीं डीएमएफटी के प्रभारी पदाधिकारी सह डीपीओ संतोष भगत ने इस मामले में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया.