सिलाव़ प्रखंड के सभी विद्यालय में बच्चों को बुधवार से ही मध्यान भोजन एनजीओ एकता फाउंडेशन के माध्यम से परोसा जाने लगा है. इसी के साथ प्रथम दिन से ही एमडीएम की गुणवत्ता पर सवाल खड़े होने लगे है. बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने मे एनजीओ की लापरवाही देखी जा रही है. बुधवार को एनजीओ के द्वारा किसी भी विद्यालय में बच्चों को मौसमी फल नही दिया गया, और न ही समय से विद्यालय में एमडीएम पहुंचाया गया.पहले दिन कामदारगंज, सुंदर बिगहा, बड़ाकर ,मलहबिगहा आदि विद्यालयों में निर्धारित समय पर भोजन नही पहुँचा. कन्या प्राथमिक विद्यालय सिलाव के प्रभारी प्रधानाध्यापक रंजीत कुमार ने कहा कि बुधवार को 2 बजे तक भोजन उपलब्ध नहीं कराए जाने के बाद बच्चे भूख से ब्याकुल हो उठे. मजबूरी मे उन्हें भोजन के लिए घर भेजना पड़ा. कमोबेश यही हाल दूसरे दिन गुरुवार को भी देखा गया. बड़ाकर में भोजन उपलब्ध नही कराया गया. कहीं समय पर भोजन पहुंचा तो इतनी कम मात्रा मे कि आधे बच्चे का भी भोजन नही हो पाया. जो भोजन दिया भी गया वह गुणवत्तापूर्ण नहीं था. इसी क्रम में प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विधालय सुरुमपुर का जायजा लिया गया,जहाँ पाया गया कि एनजीओ के द्वारा पहुंचाये गये भोजन से बच्चे का पेट भी नही भर सकता है. विधालय की छात्रा करीना कुमारी, त्रेता कुमारी, खुशबू कुमारी, राकेश कुमार, राजु कुमार आदि ने कहा कि चावल, दाल और सब्जी जो उपलब्ध कराई गई है वह खाने लायक नहीं है. दाल के नाम पर सिर्फ पानी है.सब्जी भी स्वादहीन है.चावल बहुत देर का पका होने से इससे गंध आ रही है. बच्चों ने खाना खाने इनकार कर दिया और कहा कि हम लोग अब विधालय में खाना नहीं खायेगें. इससे हमलोग कभी भी विमार हो सकते हैं. बता दे की पहले एमडीएम भोजन विधालय में ही बनाया जाता था, अप्रैल माह से एनजीओ के द्वारा पुरे प्रखंड के विधालय में एमडीएम का भोजन परोसे जाने की शुरुआत किया गया है,सभी 111 विद्यालय के कुल करीब 24 हजार बच्चों का भोजन बनाने की व्यवस्था सिलाव प्रखंड के माहुरी गाँव में किया गया है।जहाँ सुबह छ: बजे से खाना बनना शुरू होता है,और 12:30 तक सभी विधालय को पहुचाया जाता है।इस गर्मी में छ: घंटे पहले का बना चावल दाल और सब्जी विद्यालय के बच्चों को परोसा जा रहा है।विधालय के प्रधानाध्यापक उपेन्द्र कुमार ने बताया की खाना खराब होने के कारण बच्चे विधालय में खाना फेक कर अपने अपने घर खाने के लिए चले जाते हैं, जिसके कारण बच्चे के अभिभावक विधालय में हम लोगो से लड़ाई करने आ जाते है, बच्चे के अभिभावक रनवीर उर्फ गाधीं जी, मन्नू सिहं, दिनेश सिंह ने कहा की बच्चे को पहले विद्यालय में वना हुआ ताजा और गुणवत्ता पूर्ण भोजन मिलता था. अब दो दिनों से खाना दिया जा रहा है. इससे हमारे वच्चे का सेहत बनने के बजाय विमार ही होंगे. वहिं एकता फाउंडेशन के जिला समन्वयक संजय कुमार ने बताया कि सभी जगह समय से और सही भोजन दिया गया है, बताया कि दूर बाले स्कूल में सुवह दस बजे तक बनकर तैयार भोजन को भेज दिया जाता है, और उसके बाद नजदीक बाले विद्यालय में भेजा जा रहा है।जिससे साफ जाहिर की जो भोजन एनजीओ के द्वारा पहुंचायी जा रही है वह कितना सेहतमंद होगा. प्रधानाध्यापक उपेन्द्र कुमार-एनजीओ द्वारा जो खाना भेजा जा रहा है, जो अच्छा नहीं रहता है, जिसके कारण विधालय के छात्र छात्रा नहीं खाती है, हमारे विधालय में 250 बच्चे है, मात्र 50 बच्चे को खाने भर ही देते है, जिसके कारण हम अभिभावक हमलोग को खरी खोटी सुनाते है.
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घटिया भोजन को खाने से बच्चों ने किया इनकार
प्रखंड के सभी विद्यालय में बच्चों को बुधवार से ही मध्यान भोजन एनजीओ एकता फाउंडेशन के माध्यम से परोसा जाने लगा है.
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