कुंदा. प्रखंड में पेयजल संकट गहराने लगा है. तेज धूप व गर्म हवा के कारण अधिकतर तालाब, कुआं, चापानलों व अन्य जलस्त्रोतों का जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है. आम लोगों के साथ-साथ पशु पक्षियों को भी पानी के लिए जूझना पड़ रहा है. जंगल, पहाड़ों पर बसे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. फरवरी माह से ही यहां पेयजल की समस्या उत्पन्न होने लगती है. प्रखंड के कई गांव ड्राई जोन में आते हैं. अब तक 70 प्रतिशत चापानल, कुआं ,तालाब व नदी सूख चुके हैं. दर्जनों चापानल मरम्मत के अभाव में कई माह से बेकार पड़े हैं. कई गांव के लोग नदी में चुआं खोद कर पानी इकट्ठा कर उसका उपयोग कर रहे हैं. प्रखंड की आबादी 50 हजार से अधिक है. प्रखंड में 78 गांव हैं. इन गांवों में 1185 चापानल हैं. इनमें 713 चापानल बेकार पड़े हैं. 968 कुओं में से 631 सूख गये हैं. प्रखंड के सिंदरी, उलवार, खुटबलिया, रेंगनियातरी, बनियाडीह,बाचकुम, हारूल, चितवतारी, कोड़हास, डाडू, करीलगड़वा, कमाल, एकता, मरगड्डा, कुंदा, पर्यटक स्थल महादेव मठ मंदिर समेत अन्य गांव के लोग इन दिनों चुआं के पानी पर निर्भर हैं. पानी के अभाव में खेतों में लगे खीरा, ककड़ी, तरबूजा, लौकी, भिंडी, मिर्चा, परवल, टमाटर सूख रहे हैं.
खराब चापानल की हो रही है मरम्मत : जेई
पीएचइडी जेई राकेश पाल ने कहा कि क्षेत्र में खराब चापानल की मरम्मत की जा रही है. जरूरत के अनुसार नया पाइप व अन्य पार्ट्स बदल कर चापानलों को दुरुस्त किया जा रहा है. खराब चापानल की सूचना मिलने पर वाहन व मिस्त्री भेज कर मरम्मत करायी जा रही है.