10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पछतावा अतीत और चिंता भविष्य नहीं बदल सकती: प्रभजानंद

पछतावा अतीत और चिंता भविष्य नहीं बदल सकती

जसीडीह स्थित रुइया धर्मशाला में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा का समापन शुक्रवार को हो गया. अंतिम दिन भी हजारों श्रद्धालु पहुंचे. स्वामी प्रभजानंद ने श्रीराम के 14 वर्ष बनवास के बाद अयोध्या लौटने का वर्णन किया. इस अवसर पर फूलों की होली खेली गयी. उन्होंने कहा कि, इंसान के कंठ से निकला हुआ शब्द आपकी शिक्षा और संस्कार के परिचायक हैं. जैसे परिश्रम, धैर्य, प्रतिष्ठा से किया हुआ काम कभी झुकने नहीं देता है, वैसे ही कंठ से निकला शब्द सोच-समझ के साथ निकाला तो कभी झुकने नहीं देगा. जीवन में हरेक परिस्थिति में हमेशा मुस्कराते रहना चाहिए. सुख-दु:ख सदैव चलता रहता है. धर्म आचरण से ही मनुष्य जीवन और पशु जीवन में अंतर देखा जा सकता है.

कथा के अंतिम दिन राम से अयोध्या लौटने का वर्णन, खेली गयी फूलों की होली

उन्होंने कहा कि, पछतावा अतीत नहीं बदल सकता है और चिंता भविष्य नहीं बदल सकती है. निंदा उन्हीं की होती है, जो जिंदा होते हैं. निंदा से घबरा कर अपने लक्ष्य को नहीं छोड़े. क्योंकि, लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालों की राय हमेशा बदल जाती है. इस मौके पर समिति के सदस्य सुशील दुबे, अमूल सिन्हा, मुकेश वर्णवाल, विजय दुबे, हासो राम, दिवाकर दुबे, शंकर वर्णवाल, गोपाल वर्णवाल, अमित कुमार आदि मौजूद थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें