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Proxy Voters: झारखंड में कोई नहीं बनाता है प्रॉक्सी वोटर, जानिए कैसे परिजन भी दे सकते हैं आपके बदले वोट

Proxy Voters: जब व्यक्ति किसी कारण निर्वाचन में अपना अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर पाता है तब उनकी भागिदारी को बढ़ाने के लिए'प्रॉक्सी वोटिंग होती है. एक महत्वपूर्ण साधन होता है जो उस व्यक्ति को उसके वोट का अधिकार देने का काम करता है.

सेना, क्रेंदीय रिजर्व पुलिस बल का पिछले 5 लोकसभा चुनाव में नहीं रहा है कोई प्रॉक्सी वोटर

Proxy Voters: क्या आप जानते हैं कि आपके अलावा कोई और भी वोट कर सकता है. अगर नहीं जानते तो इसका जवाब है हां. अगर आप विदेश में हैं या किसी ऐसी ड्यूटी में तैनात हैं जिनके लिए सर्विस वोटिंग एवेलेवल है तो आपके अलावा कोई और भी आपके बदले वोटिंग कर सकता है. इसके लिए एक तय गाइडलाइन का पालन करना होता है.ऐसे मामलों में सर्विस वोट सबसे प्रचलित होता है. लेकिन इन वोटर्स के अलावा सबसे अधिक चलन में हैं ‘प्रॉक्सी वोट’. यह एक महत्वपूर्ण साधन होता है जो उस व्यक्ति को उसके वोट का अधिकार देने का काम करता है. ये ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक वोटर अपने जगह पर वोट करने के लिए एक प्रॉक्सी यानि कि डुप्लिकेट वोटर को भेज सकता है. झारखंड की बात करें तो झारखंड में प्रॉक्सी वोटर्स की संख्या शू्न्य है. बीते पांच सालों में झारखंड में कोई प्रॉक्सी वोटर नहीं नियुक्त किया जा सकता है.यो कहें तो झारखंड में प्रॉक्सी वोटिंग का ट्रेंड अब तक नहीं देखने को मिला हैं. आइये जानते हैं विस्तार से कि आखिर ये प्रॉक्सी वोटर होते कौन हैं. कैसे आप प्रॉक्सी वोटर बन सकते हैं या खुद का कोई प्रॉक्सी वोटर बना सकते हैं. आप किस तरह अपने लिए प्रॉक्सी नियुक्त कर सकते हैं और उन्हें हटा सकते हैं.

Proxy Voters: ऐसे में सवाल उठता है कि उनकी भागिदारी को बढ़ाने के लिए क्या किया जाता है? दूरदराज या विदेश में रहने वाले, बिमारी या कोई और वजह से वोटिंग करने नहीं पहुंच पाता है तो वह प्रॉक्सी वोटिंग के जरिए अपने मतदान करने के कर्तव्य को पूरा करता है. प्रॉक्सी वोटिंग के माध्यम से वोट का अधिकार बनाए रखा जाता है.लोकतंत्र का महापर्व यानी लोकसभा चुनाव बेहद करीब है. इसे लेकर जहां राजनीतिक दल मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं, वहीं वोटर भी मतदान के दिन का बेशब्री से इंतजार कर रहे हैं. दरअसल, यह मतदाताओं का ही तो त्योहार है क्योंकि चुनाव की इस पूरी प्रक्रिया में मतदाता ही तो केंद्र में होते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कई बार हालात ऐसे होते हैं जब किसी व्यक्ति की शारीरिक अक्षमता के कारण वह निर्वाचन में अपना अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर पाता? जबकि निर्वाचन प्रक्रिया में सबकी सहभागिता का महत्व सबसे ज्यादा है.

Proxy Voters: कौन होते हैं प्रॉक्सी वोटर

प्रॉक्सी वोट, यह एक ऐसा तरीका है जिससे आपकी जगह पर कोई दूसरा वोट कर सकता है. अगर आप किसी को एलेक्शन में अपनी जगह मतदान करने का अधिकार देते हैं तो इसका मतलब है कि वो आपका प्रॉक्सी वोटर है. ऐसा तब होता है जब आप किसी कारणवस वोट देने नहीं जा पाते हैं. इसकी जरूरत कई कारणों से होती है. अगर कोई व्यक्ति किसी कारणवस मतदान क्रेंद में पहुंचने में सफल नहीं होता है तो इसकी आवश्यकता होती है.

भारतीय संविधान के अनुसार प्रॉक्सी वोटिंग के लिए एक अलग प्रावधान है. इसके लिए भारत सरकार द्वारा कुछ नियम बनाए गए हैं. इन नियमों और दिशा-निर्देशों का पालन करके किसी भी तरह से वोटिंग में असमर्थ व्यक्ति अपने वोटिंग राइट्स का पालन कर सकता है. एक वोटर अपने लिए प्रॉक्सी वोटर की नियुक्ति आधिकारिक तौर पर कर सकता है. मतदाता की जगह पर वोट करने के लिए प्रॉक्सी को मतदाता क्रेंद का स्थाई निवासी होना होगा. मतदान क्रेंद पर उसका नाम पहले से दर्ज होगा.प्रॉक्सी वोटर का नाम मतदाता के रूप में पहले से पंजीकृत होना चाहिए.

Proxy Voters: क्या है इसकी प्रक्रिया

  • प्रॉक्सी वोटर्स की नियुक्ति के लिए एक तय प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है. कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रुल्स के अनुसार दो तरीको से एक वोटर अपने लिए प्रॉक्सी मतदाता नियुक्त कर सकता है.
  • अगर कोई अपनी ड्यूटी प्लेस से प्रॉक्सी नियुक्त करना चाहता है तो कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रुल्स 1961 के अनुसार वोटर चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद फॉर्म 13 एफ को भर सकते हैं. इसके लिए मतादाता अपने कमांडिग ऑफिसर के सामने उस फॉर्म को भरेगा और अपने प्रॉक्सी को भेजेगा. इसके बाद प्रॉक्सी उसपर मजिस्ट्रेट के सामने साइन कर संबंधित अधिकारी को जमा करेगा.
  • अगर मतदाता अपने प्रॉक्सी वोटर के आसपास अपने स्थान पर मौजूद है तो फॉर्म 13 एफ में दोनों को ही साइन करना होगा. इसके बाद इसके लिए मजिस्ट्रेट के सामने नोटरी साइन कर संबंधित अधिकारी को देना होगा.

Proxy Voters: कितने समय तक आप रह सकते हैं प्रॉक्सी
एक बार मतदाता अपने लिए अगर प्रॉक्सी वोटर नियुक्त करेगा तो वह तब तक वैलिड रहेगा जब तक मतदाता इस वैलिडेशन को खुद से खत्म नहीं करता है.
किसी भी समय मतदाता अपने प्रॉक्सी वोटर से यह अधिकार वापस ले सकता है.
मतदाता कितनी भी बार अपने लिए प्रॉक्सी वोटर नियुक्त कर सकता है.
प्रॉक्सी को किसी भी समय या कितनी भी बार बदला जा सकता है.

Proxy Voters: कैसे हटाया जा सकता है प्रॉक्सी वोटर

  • एक मतदाता अगर अपना प्रॉक्सी वोटर हटाना चाहता है तो वह उसे तत्काल प्रभाव से इलेक्शन कमिशन की गाइडलाइन का पालन करके हटाया जा सकता है.
  • मतदाता प्रॉक्सी वापस लेने का विकल्प चुन कर इसके लिए संबंधित अधिकारी को फॉर्म जमा कर सकता है.
    -इसके लिए मतदाता को फॉ़र्म 13, 1961 को भरना होगा.
  • फॉर्म जमा होने के बाद से प्रॉक्सी वोटर हट जाएगा.

कब कर सकते हैं प्रॉक्सी वोटर नियुक्त

  • चुनाव के लिए नामांकन खत्म होने से पहले प्रॉक्सी वोटर को नियुक्त किया जा सकता है.

कैसे सर्विस वोटर प्रॉक्सी वोटर से होते हैं अलग

सर्विस वोटर्स वो होते हैं जो अपनी नौकरी में रहते हुए अपनी वोटिंग के अधिकार का इस्तेमाल करते हैं. सर्विस वोटर बनने का अधिकार चार तरह के लोगों को प्राप्त होता है. इनमें वायु, थल, जल तीनो सेना के अधिकारी, इलेक्शन ड्यूटी में तैनात कर्मी, दूसरे राज्य में रहने वाले सरकारी कर्मी, पुलिस की सेवा में कार्यरत कर्मी को यह लाभ मिलता है. ये लोग इटीबीपीएस के माध्यम से अपना वोट गिराते हैं. इन्हें पोस्टल बैलेट इशु किए जाते हैं जिनके जरिए ये अपना वोट गिराते हैं.

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