रांची: झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने झारखंड विधानसभा द्वारा भेजे गये झारखंड वित्त विधेयक को एक बार फिर आपत्ति के साथ लौटा दिया है. राज्यपाल ने चौथी बार विधेयक वापस किया है. इस बार राज्यपाल ने कहा है कि वित्त विधेयक में जिस तरह के संशोधन व प्रावधान रखे गये है. यह पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधिकार में हस्तक्षेप है. राज्य सरकार व विधानसभा ने जो प्रावधान व संशोधन किये हैं, यह उनके अधिकार क्षेत्र का नहीं है. प्रावधान रखने या संशोधन करने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को है. राज्यपाल ने मुख्य रूप से तीन बिंदुओं पर आपत्ति जतायी है.
राज्यपाल ने अटॉर्नी जनरल से भी ली थी राय
विधेयक लौटाने से पूर्व राज्यपाल ने अटॉर्नी जनरल से राय भी ली थी. राज्यपाल ने विधेयक की धारा (26) में दिये गये प्रावधान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि कस्टम बांड केंद्रीय सूची में शामिल है. इसमें किसी तरह का बदलाव करना राज्य सरकार के अधिकार के बाहर है. इसी प्रकार राज्यपाल ने विधेयक की धारा (30) में दिये प्रावधान के बारे में कहा है कि यह देश के अटॉर्नी जनरल और इंडियन बार एक्ट से प्रभावित है. यह मामला अटॉर्नी जनरल, एडवोकेट तथा इंडिया बार काउंसिल से जुड़ा हुआ है. इससे जुड़े किसी भी प्रावधान को राज्य सरकार नहीं बदल सकती है. इसके अलावा राज्यपाल ने विधेयक की धारा (30) पर भी आपत्ति जतायी है. इसमें दिये प्रावधान को उन्होंने खारिज करते हुए कहा है कि यह भी केंद्र सरकार के अधिकार में हस्तक्षेप है. भारतीय मुद्रांक अधिनियम 1899 तथा बिहार मनोरंजन ड्यूटी, कोर्ट फीस तथा मुद्रांक अधिनियम 1948 (झारखंड में यथा लागू) में संशोधन के लिए विधेयक तैयार किया गया. इससे पूर्व राज्यपाल ने तीन बार झारखंड वित्त विधेयक-2022 आपत्ति के साथ लौटा दिया है.
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