Pilibhit Lok Sabha Constituency: मेनका गांधी और वरुण गांधी वर्ष 1996 के बाद से पीलीभीत सीट पर भाजपा का झंडा लहराते रहे हैं लेकिन इस बार पार्टी ने मौजूदा सांसद वरुण गांधी के बजाय प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद को चुनाव मैदान में उतारा है. पीलीभीत में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा.
कांग्रेस की सीट पर दो बार संसद बन चुके हैं जितिन प्रसाद
जितिन प्रसाद ने साल 2004 और 2009 में क्रमशः शाहजहांपुर और धौरहरा निर्वाचन क्षेत्रों से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता था. वह 2021 में भाजपा में शामिल हो गए. वह इस लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरने वाले उत्तर प्रदेश के एकमात्र कैबिनेट मंत्री हैं. हालांकि, उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य प्रसाद को पीलीभीत में अपनी राजनीतिक जमीन बनाने के लिये जद्दोजहद करनी पड़ सकती है.
जितिन प्रसाद का पीलीभीत में बहुत कम प्रभाव
एक कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य सुशील कुमार गंगवार ने कहा, जितिन प्रसाद का पीलीभीत में बहुत कम प्रभाव है. अभी तक उन्हें यहां चुनावों के लिए भाजपा द्वारा मैदान में उतारे गए बाहरी व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है. स्थानीय ग्राम प्रधान बाबूराम लोधी ने कहा, वरुण गांधी का पीलीभीत से बहुत पुराना और गहरा नाता है. यह नाता उस भावनात्मक पत्र में झलकता है जो उन्होंने सीट से टिकट नहीं मिलने के बाद लिखा था.
टिकट कटने पर वरुण ने लिखा था पत्र
सांसद के रूप में कई बार अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर हुए वरुण गांधी ने टिकट कटने के बाद अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को एक भावनात्मक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके साथ उनका रिश्ता उनकी आखिरी सांस तक बरकरार रहेगा. मौजूदा सांसद ने कहा कि पीलीभीत के साथ उनका रिश्ता प्यार और विश्वास का है, जो किसी भी राजनीतिक नफे-नुकसान से कहीं ऊपर है.
1989 में पहली बार चुनाव जीती थी मेनका गांधी
मेनका गांधी ने पहली बार वर्ष 1989 में जनता दल के टिकट पर पीलीभीत लोकसभा सीट जीती थी मगर 1991 में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था लेकिन साल 1996 के चुनाव में उन्होंने फिर से जीत हासिल की. वह साल 1998 और 1999 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में फिर इसी सीट से सांसद चुनी गईं. उन्होंने 2004 और 2014 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में सीट जीती. उनके बेटे वरुण गांधी 2009 और 2019 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में पीलीभीत से सांसद बने.
सुल्तानपुर से चुनाव लड़ेंगी मेनका गांधी
मेनका गांधी इस बार सुल्तानपुर से एक बार फिर चुनाव लड़ रही है जहां उन्होंने 2019 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी. हालांकि जितिन प्रसाद का दावा है कि उन्हें पार्टी संगठन का पूरा समर्थन प्राप्त है, लेकिन स्थानीय लोगों का दावा है कि वरुण के करीबी लोग भाजपा के फैसले से खुश नहीं हैं. प्रसाद अब तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं. जनसभाओं में वह खुद को नरेंद्र मोदी का दूत बताते हैं और प्रधानमंत्री के नाम पर वोट मांगते हैं. प्रसाद के समर्थन में पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक संजय गंगवार, बाबूराम पासवान, विवेक वर्मा और स्वामी प्रकाशानंद उनके नामांकन पत्र में प्रस्तावक थे.
2014 के बाद पहली बार पीलीभीत जाएंगे पीएम मोदी
जिले के पूरनपुर क्षेत्र के सिख किसान बलवंत सिंह ने कहा, वरुण गांधी टिकट कटने के बाद एक बार भी पीलीभीत नहीं आए हैं. वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनावी कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए और पूरी संभावना है कि वह प्रधानमंत्री मोदी की रैली में भी शामिल नहीं होंगे. इससे निश्चित रूप से एक संदेश जाता है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि पूरनपुर में प्रधानमंत्री मोदी की रैली मतदाताओं के मन में संदेह दूर करने और जितिन प्रसाद के पक्ष में वोट डालने के लिए आयोजित की गई है. करीब एक दशक में यह किसी प्रधानमंत्री की इस निर्वाचन क्षेत्र में पहली रैली होगी. 2014 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीलीभीत में लोकसभा चुनाव रैली की थी.
पीलीभीत में मुस्लिम और लोधी के बाद कुर्मी तीसरा सबसे बड़ा मतदाता समूह
अनुमान के अनुसार, नेपाल की सीमा से लगे तराई क्षेत्र में स्थित पीलीभीत में करीब 18 लाख मतदाता हैं, जिनमें मुस्लिम और लोधी के बाद कुर्मी तीसरा सबसे बड़ा मतदाता समूह है. मौर्य, पासी और जाटव वोट बैंक हैं, इसके बाद बंगाली, ब्राह्मण और सिख मतदाता भी खासी संख्या में हैं. भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस सीट पर भगवत सरन गंगवार को उतारा है. पूर्व मंत्री गंगवार के बारे में कहा जाता है कि यहां प्रभावशाली कुर्मी मतदाताओं पर उनकी पकड़ है. जनसभाओं में वह पार्टी लाइन पर चलते हुए लोकतंत्र को बचाने और पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के अधिकारों की रक्षा की बात करते हैं. उन्होंने कहा, पीडीए परिवार को सत्ताधारी पार्टी द्वारा परेशान किया जा रहा है और यह तब तक नहीं रुकेगा जब तक सरकार नहीं बदल जाती. हमें संविधान को उन लोगों से भी बचाना है जो इसे बदलने पर तुले हैं.
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