Lok Sabha Election 2024 : पश्चिम बंगाल में दो दशक बाद फिर से लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) लड़ रहे 79 वर्षीय कांग्रेस नेता प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि राजनीति में उम्र कोई मायने नहीं रखती बल्कि साफ छवि मायने रखती है. कोलकाता उत्तर निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार भट्टाचार्य ने एक साक्षात्कार में दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, हालांकि “काफी अप्रत्याशित” हैं, लेकिन वह निश्चित रूप से आगामी चुनाव में एक कारक होंगी. राजनीति में लगभग 50 वर्ष बिता चुके भट्टाचार्य ने कहा कि उत्तरी कोलकाता क्षेत्र ने 19वीं शताब्दी में सांस्कृतिक और सामाजिक आंदोलन देखा था और अब एक और पुनर्जागरण के लिए तैयार है.
आम लोग अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए साफ-सुथरी छवि वाले नेता की तलाश में
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भट्टाचार्य ने कहा, यह सच है कि मैं काफी वृद्ध हूं. इस उम्र में घूमना-फिरना और अलग-अलग जगहों पर जाना मुश्किल होता है लेकिन राजनीतिक तौर पर मैं बहुत साफ-सुथरी छवि वाला हूं, मेरे ऊपर कोई धब्बा नहीं है. मैं कभी भी किसी भी कारण से जेल नहीं गया हूं, मुझे सीबीआई या ईडी द्वारा कभी गिरफ्तार नहीं किया गया है. भट्टाचार्य ने अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों तृणमूल कांग्रेस के मौजूदा सांसद सुदीप बंदोपाध्याय और भारतीय जनता पार्टी के तापस रॉय के नाम का उल्लेख नहीं किया. भट्टाचार्य ने कहा, “मैंने एक कॉलेज शिक्षक, एक सांसद या विधायक के रूप में पैसा कमाया. मेरा मानना है कि आम लोग अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए एक साफ-सुथरी छवि वाले व्यक्ति की तलाश में हैं.
कोलकाता उत्तर निर्वाचन क्षेत्र में एक जून को होगा मतदान
उन्होंने अपनी उम्र का जिक्र करते हुए कहा कि सुदीप बंद्योपाध्याय भी 75 साल के हैं. वह मुझसे बहुत छोटे नहीं हैं. लेकिन हां, तापस रॉय निश्चित रूप से बहुत छोटे हैं. मेरा मानना है कि कोलकाता उत्तर के लोग अपने सांसद को राजनीतिक रूप से चुनेंगे. उन्हें बहुत स्पष्ट रूप से सोचना होगा. हम सभी जानते हैं कि ‘तृणमूल का भाजपा के साथ संबंध है.’ 1996 में एक बार लोकसभा के लिए चुने गए कांग्रेस नेता ने कहा कि संदेशखाली की घटनाओं ने उन्हें 19वीं सदी के समाज सुधारक राममोहन रॉय की याद दिला दी. उन्होंने कहा, “राममोहन रॉय ने महिलाओं के अधिकारों, विधवाओं के पुनर्विवाह और संपत्ति पर उनके अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी. संदेशखाली ने दिखाया कि यहां महिलाओं पर किस तरह अत्याचार किया जाता है. समय आ गया है कि बंगाल के लिए एक और पुनर्जागरण जरूरी है और इसकी शुरुआत उत्तरी कोलकाता से होगी.” कोलकाता उत्तर निर्वाचन क्षेत्र में एक जून को मतदान होगा.