पाकुड़िया. चैत्र नवरात्र मंगलवार को पाकुड़िया प्रखंड क्षेत्र में कलश स्थापना के साथ ही शुरू हो गया, जो अगले नौ दिनों तक चलेगा. नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा की गयी. पंडित भुवनेश्वर ओझा ने बताया कि पर्वतराज हिमालय के घर इनका जन्म हुआ था, इसलिए इन्हें शैलपुत्री के रूप में जाना जाता है. मां शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल और कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है. देवी शैलपुत्री चंद्रमा के समान उज्ज्वल हैं. इनके मस्तक पर सोने का मुकुट और अर्धचंद्र है. इनका वाहन वृष है. इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है. मां शैलपुत्री का संबंध चंद्रमा से है. कुंडली में चंद्रमा का संबंध चौथे भाव से होता है. इसलिए मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में शांति और स्थिरता आती है.
चैत्र नवरात्र शुरू, पहले दिन मां शैलपुत्री की हुई पूजा
नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा की गयी.
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