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एक ही निजी क्लीनिक में तीसरी बार छापा, फरार हुआ चिकित्सक

अनुमंडलीय अस्पताल से महज सौ कदम पर संचालित एक निजी क्लीनिक में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापेमारी की.

नरकटियागंज. अनुमंडलीय अस्पताल से महज सौ कदम पर संचालित एक निजी क्लीनिक में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापेमारी की. तीसरी बार हुई छापेमारी में टीम बिना किसी कार्यवाही के हर बार की तरह एक बार फिर बैरंग वापस लौट गयी. छापेमारी दल में दंडाधिकारी सह अनुमंडल कृषि पदाधिकारी अवनीश कुमार, स्वास्थ्य विभाग की ओर से डा. प्रदीप शरण, डा अनारूल हक, स्वास्थ्य प्रबंधक विपिन राज, पुलिस पदाधिकारी सुजीत कुमार दास व कृष्टि कुमारी शामिल रहे. छापेमारी के दौरान टीम ने चिकित्सक का आफिस, ओटी, दवा दुकान आदि में छापेमारी की और बिना किसी कार्यवाही के वापस लौट गयी. छापेमारी दल का नेतृत्व कर रहे दंडाधिकारी अवनीश कुमार ने बताया कि आसिया हास्पिटल में 22 जनवरी को हुस्नतारा खातून की प्रसव के बाद एक नवजात की मौत हुई थी. उस समय भी टीम ने वहां छापेमारी की थी. लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. फिर एसडीएम सूर्य प्रकाश गुप्ता के निर्देश पर एक फरवरी को स्वास्थ्य विभाग की ओर से क्लीनिक में छापेमारी की गयी. लेकिन अीम को बैरंग लौटना पड़ा इधर जानकारी मिली थी कि विकास कुमार नाम का चिकित्सक अब भी क्लीनिक संचालित कर रहा है. जब वे लोग छापेमारी करने पहुंचे तो क्लीनिक में आसिया की जगह दिव्या हेल्थ केयर का बोर्ड मिला. क्लीनिक में चिकित्सक नहीं मिला. अब दिव्या हेल्थ केयर की जांच की जाएगी कि ये क्लीनिक सही है कि नहीं. मामले से वरीय अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा. क्लीनिक में एक महिला और एक युवक को संदेह के आधार पर पकड़ा गया. दोनों से पूछताछ के बाद दोनों को मुक्त कर दिया गया. पूर्व में ही छापेमारी की सूचना हुई लीक

आसिया क्लीनिक को सील करने पहुंचे अधिकारी उस समय हैरत में पड़ गये जब उनके पहुंचने से पहले ही दिव्या हेल्थ केयर का संचालक डा. विकास कुमार क्लीनिक में नहीं मिला. यहीं नहीं छापेमारी दल में शामिल अधिकारी खुद बोर्ड पर लिखे नंबरों पर फोन करते रहे और क्लीनिक में धराये युवक और महिला से चिकित्सक और मकान मालिक को बुलाने की आरजु मिन्नते करते रहे. लेकिन उस आरे से कोई जवाब नही मिलता देख करीब डेढ़ घंटे बाद वापस लौटने में ही भलाई समझी. बोर्ड पर एम्स के एमएस और कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. एसके पांडेय और डा बी कुमार का नाम लिखा पाया गया. ओटी में ऑपरेशन के लिए आक्सीजन सिलेंडर कपड़ा काटने वाली कैंची समेत कई उपकरण भी अधिकारियों ने देखा, लेकिन उसे जब्त करने की हिम्मत नही जुटा सके. इधर इस बात की चर्चा होती रही कि आखिर हर बार छापेमारी की सूचना डाक्टर को कैसे मिल जाती है और वो क्लीनिक छोड़ कैसे फरार हो जाता है.

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