रांची. झारखंड के लिए स्टेट लेवल इनवायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सिया) का गठन कर दिया गया है. भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसका गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. राज्य सरकार ने आचार संहिता लागू होने के पूर्व ही इसके गठन की अनुशंसा की थी. अब बालू घाटों, सड़क, भवन व खदानों की पर्यावरण स्वीकृति में होगी आसानी. सिया के अध्यक्ष सेवानिवृत्त आइएफएस अधिकारी कमलेश पांडेय बनाये गये हैं. वहीं, बीआइटी मेसरा के डॉ कृति अभिषेक सदस्य बनाये गये हैं. जबकि, सदस्य सचिव झारखंड के मुख्य वन संरक्षक (निगरानी) होंगे. इनका कार्यकाल तीन वर्षों के लिए होगा. सिया की सहायता के लिए स्टेट लेवल एक्सपर्ट अपरेजल कमेटी भी (एसइएसी) बनायी गयी है. इसके अध्यक्ष सेवानिवृत्त आइएफएस अधिकारी अशोक कुमार सिंह बनाये गये हैं. जबकि, सदस्यों में पश्चिम बंगाल के निरंजन लाल अग्रवाल, जमशेदपुर के डॉ राजू कुमार, सेवानिवृत्त आइएफएस अधिकारी अशोक कुमार दुबे, पटना के डॉ अजय गोविंद भट्ट व सदस्य सचिव डीएफओ रांची बनाये गये हैं. एसइएसी का कार्यकाल भी तीन वर्ष का होगा. एसइएसी की अनुशंसा पर ही सिया पर्यावरण स्वीकृति देगा. गौरतलब है कि सिया का गठन नहीं होने से राज्य में बालू घाटों से लेकर, खदानों, भवनों, सड़कों व बिजली की कई परियोजनाओं का काम केवल पर्यावरण स्वीकृति की वजह से अटका हुआ था. नवंबर 2023 से सिया का कार्यकाल समाप्त हो गया था. तब से लेकर एक मार्च तक एक हजार के करीब आवेदन सिया के पास लंबित हैं. वर्तमान में झारखंड के कुल 444 बालू घाटों में 216 घाटों का टेंडर फाइनल करके माइंस डेवलपर ऑपरेटर (एमडीओ) का चयन कर लिया गया है. इन्हें लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआइ) दे दिया गया है. पर पर्यावरण स्वीकृति (इसी) की वजह से बालू घाटों से बालू की निकासी नहीं हो पा रही है. इस कारण राज्य भर में ब्लैक में बालू बिक रहे हैं. एक हाइवा बालू की कीमत 35 से 45 हजार तक है. अब यदि सिया से इन्हें इसी मिल जाता है, तो ये 10 जून के पहले बालू निकाल कर स्टॉक कर सकते हैं. ऐसे में 10 जून से 15 अक्तूबर तक एनजीटी की लगी रोक के बावजूद बालू आसानी से मिल सकता है.
सिया गठित, बालू घाटों व सड़कों की पर्यावरण स्वीकृति में होगी आसानी
भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया.
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