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सरकार ने हाइकोर्ट को बताया : गर्मी में रांचीवासियों को नहीं होगी पानी की कमी

रांची नगर निगम को वाटर हार्वेस्टिंग का प्रचार-प्रसार करने का दिया निर्देश

वर्तमान में रांची के डैमों से छह माह तक पानी की आपूर्ति की जा सकती है

रांची नगर निगम को वाटर हार्वेस्टिंग के लिए प्रचार-प्रसार करने का निर्देश

मामला जल स्रोतों और नदियों के अतिक्रमण तथा साफ-सफाई का

वरीय संवाददाता, रांची

झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में नदियों व जल स्रोतों के अतिक्रमण तथा साफ-सफाई को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को रांची के कांके डैम, हटिया डैम व गेतलसूद डैम में एकत्र पानी की स्थिति की जानकारी दी गयी. साथ ही बताया गया कि गर्मी के मौसम में राजधानी में पानी की समस्या नहीं होगी. वर्तमान में डैमों से छह माह तक पानी की आपूर्ति की जा सकती है.

राज्य सरकार का जवाब सुनने के बाद जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि गर्मी के दिनों में लोगों को पानी संकट का सामना न करना पड़े. इसे सुनिश्चित करें. खंडपीठ ने राज्य सरकार से कांके डैम, हटिया डैम व गेतलसूद डैम के कैचमेंट एरिया के अतिक्रमण व झारखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर से डैमों की मैपिंग के बारे में जानकारी मांगी. वहीं, खंडपीठ ने रांची नगर निगम से पूछा कि भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग लगाना अनिवार्य है या नहीं? वाटर हार्वेस्टिंग लगाने के लिए क्या कदम उठाये गये हैं. जांच की जाती है या नहीं. जांच करने के बाद वाटर हार्वेस्टिंग नहीं पाये जाने की स्थिति में क्या कार्रवाई की जाती है. वहीं, इसको लेकर लोगों के बीच नियमित रूप से प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए. खंडपीठ ने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारी को कोर्ट को सहयोग करने के लिए अगली सुनवाई के दाैरान उपस्थित रहने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने पैरवी की. उन्होंने बताया कि डैमों में छह माह तक आपूर्ति के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध है. वहीं, रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने खंडपीठ को बताया कि 300 स्क्वायर मीटर या उससे ऊपर के भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग करना अनिवार्य है. इसका पालन नहीं करनेवाले भवन मालिकों व अपार्टमेंट के निवासियों से डेढ़ गुना अतिरिक्त होल्डिंग टैक्स वसूला जा रहा है. उल्लेखनीय है कि नदियों व जलस्रोतों के अतिक्रमण व साफ-सफाई के मामले को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए वर्ष 2011 में उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को एक्शन प्लान पेश करने का निर्देश दिया था.

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