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आसनसोल में दो सियासी दिग्गजों के बीच होगा रोचक मुकाबला

इंतजार खत्म. 39 दिनों की लंबी प्रतीक्षा के बाद आसनसोल संसदीय सीट पर एसएस अहलूवालिया बने भाजपा के उम्मीदवार

आसनसोल.

39 दिनों के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भाजपा ने सुरेंद्रजीत सिंह अहलूवालिया (एसएस अहलूवालिया) को आसनसोल लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया. दो मार्च 2024 को उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची में भाजपा ने आसनसोल सीट से भोजपुरी फिल्मों के चर्चित पावर स्टार पवन सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया था. दूसरे ही दिन तीन मार्च को श्री सिंह ने आसनसोल सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. उसके बाद से इस सीट पर उम्मीदवार को लेकर संशय बना हुआ था. आखिरकार बुधवार को भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की 10वीं सूची में आसनसोल सीट से सरदार अहलूवालिया के नाम की घोषणा कर दी. इसके साथ ही भाजपा के नेताओं व कार्यकर्ताओं में जोश भर गया. उम्मीदवार के नाम को लेकर बुक की गयी दीवारों पर सरदार अहलूवालिया को लिखने का काम तेजी से शुरू हो गया है. भाजपा जिलाध्यक्ष बप्पा चटर्जी ने कहा कि पार्टी ने आसनसोल सीट पर एक वरिष्ठ और अनुभव से भरे व्यक्ति को टिकट दिया है. स्थानीय लोगों की मांग भूमिपुत्र की थी, जिसका ख्याल शीर्ष नेतृत्व ने रखते हुए श्री अहलूवालिया को आसनसोल भेजा है. इसबार भाजपा आसनसोल सीट पर रिकॉर्ड वोटों के अंतर से जीत दर्ज करेगी.

गौरतलब है कि वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में आसनसोल लोकसभा सीट भाजपा के खाते में गयी थी. वर्ष 2021 में यहां के तत्कालीन सांसद बाबुल सुप्रियो भाजपा छोड़ तृणमूल में शामिल हो गये और अपने संसद सदस्य से अपना इस्तीफा दे दिया. वर्ष 2022 में यहां उपचुनाव हुआ और पहली बार यह सीट तृणमूल की झोली में गया. आसनसोल हिन्दीभाषी बहुल क्षेत्र होने के कारण तृणमूल ने पहली बार एक हिन्दीभाषी नेता व अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया था और वह तृणमूल की कसौटी पर खरे उतरे. तृणमूल ने इसबार भी उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है. वर्ष 2014 से माकपा की स्थिति यहां से खराब हो गयी और तीन लोकसभा चुनावों में वह तीसरे नम्बर रही. मुख्य मुकाबला भाजपा और तृणमूल के बीच चलता है. इसबार भी यही उम्मीद की जा रही है. पवन सिंह के पीछे हटने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा के सामने भाजपा किसे अपना उम्मीदवार बनाएगी, यह भाजपा के लिए बड़ी चुनौती थी. आखिरकार श्री अहलूवालिया को मैदान में उतारकर भाजपा ने आसनसोल सीट को काफी रोचक बना दिया है.

शत्रुघ्न व सुरेंद्र दोनों ही भाजपा के शासनकाल में रहे हैं केंद्रीय मंत्री

आसनसोल सीट से भाजपा उम्मीदवार एसएस अहलूवालिया और तृणमूल उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा दोनों ही भाजपा के शासनकाल में मंत्री रह चुके है. श्री अहलूवालिया के पास अनेकों मंत्रालय के केंद्रीय राज्यमंत्री का अनुभव तो श्री सिन्हा के पास केंद्रीय मंत्री का अनुभव है. दोनों के पास ही लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य होने का भी लंबा अनुभव है. श्री अहलूवालिया को कांग्रेस ने पहली बार 1986 में बिहार से राज्यसभा मे भेजा और दूसरी बार वर्ष 1992 में भेजा. वर्ष 1986 से 1998 इन 12 सालों तक वे कांग्रेस नेता के रूप में राज्यसभा के सदस्य थे. इस दौरान पीवी नरसिम्हा राव सरकार में अनेकों मंत्रालय के केंद्रीय राज्यमंत्री का दायित्व निभा चुके हैं. इसके बाद वे कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए. वर्ष 2000 और वर्ष 2006 में भाजपा ने उन्हें लगातार दो बार झारखंड से राज्यसभा में भेजा. वर्ष 2014 में वे दार्जीलिंग लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीत दर्ज कर पहली बार लोकसभा में पहुंचे. नरेंद्र मोदी सरकार में भी उन्हें केंद्रीय राज्यमंत्री का दायित्व मिला. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बर्दवान दुर्गापुर सीट से उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया और लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करके वे लोकसभा में पहुंचे. नरेंद्र मोदी सरकार में भी उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री का दायित्व मिला. इसबार भाजपा ने उन्हें आसनसोल सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. श्री अहलूवालिया के पास 34 वर्षों तक सांसद होने का अनुभव है. तृणमूल उम्मीदवार श्री सिन्हा को वर्ष 1996 में पहली बार भाजपा ने बिहार से राज्य सभा में भेजा. हालांकि इससे पहले वर्ष 1992 में श्री सिन्हा को भाजपा ने नई दिल्ली सीट से उपचुनाव में टिकट दिया था, लेकिन वे कांग्रेस के उम्मीदवार और सीने स्टार राजेश खन्ना से हार गये थे. श्री सिन्हा अटल बिहारी बाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे. वर्ष 2002 में दूसरी बार भाजपा ने बिहार से श्री सिन्हा को राज्यसभा भेजा. वर्ष 2008 तक राज्य सभा सदस्य थे. वर्ष 2009 में बिहार सरीफ से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े और पहली बार लोकसभा में पहुंचे. वर्ष 2014 में भी वे भाजपा की टिकट पर बिहार सरीफ से लोकसभा चुनाव जीता. वर्ष 2019 में वे कांग्रेस में शामिल हुए और कांग्रेस की टिकट पर पटना साहिब से चुनाव लड़ा और हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 1980 से 2019 तक वे भाजपा में रहे. वर्ष 2022 में तृणमूल की टिकट पर आसनसोल लोकसभा उपचुनाव लड़ा और जीतकर यहां से सांसद बने. श्री सिन्हा के पास 24 साल सांसद बनने का अनुभव है. श्री सिन्हा 76 साल के और श्री अहलूवालिया 72 साल के हैं. दोनों नेताओं का जन्म माह जुलाई है.

वर्ष 1998 में अहलूवालिया को आसनसोल से मिली थी करारी हार

वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में आसनसोल सीट से यहां के भूमिपुत्र एसएस अहलूवालिया को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया था. श्री अहलूवालिया को भारी हार का सामना करना पड़ा. पहली बार इस सीट पर तृणमूल ने मलय घटक के रूप में अपना उम्मीदवार मैदान में उतारा था. माकपा, तृणमूल, कांग्रेस, आरजेडी, बसपा, समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) और निर्दल के दो कुल आठ उम्मीदवार मैदान में थे. माकपा के विकास चौधरी को जीत मिली थी. तृणमूल उम्मीदवार दूसरे नंबर पर और श्री अहलूवालिया तीसरे नंबर पर थे. माकपा उम्मीदवार को 3,55,382 (41.09 फीसदी), तृणमूल उम्मीदवार को 3,29,233 (38.07 फीसदी) और कांग्रेस उम्मीदवार को 1,10,618 (12.79 फीसदी) वोट मिला था. आसनसोल से श्री अहलूवालिया दूसरी बार मैदान में अपना ताल ठोकेंगे.

प्रत्याशी घोषित होते ही आसनसोल के भाजपाई उत्साहित, की आतिशबाजी

लंबे इंतजार के बाद आसनसोल सीट पर भाजपा उम्मीदवार के रूप में एसएस अहलूवालिया के नाम की घोषणा होते ही भाजपा के नेता व कार्यकर्ताओं आसनसोल में एक दूसरे को गुलाल लगाकर और पटाखा जलाकर जश्न मनाया. बुधवार दोपहर को भाजपा उम्मीदवार के नाम की घोषणा होने के बाद शाम आसनसोल मेन पोस्टऑफिस संलग्न जीटी रोड किनारे भाजपा कार्यालय में सभी कार्यकर्ता जमा हुए और एक दूसरे को गुलाल लगाया. जीटी रोड पर जमकर आतिशबाजी की.

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