Bihar: मधेपुरा. ओवरलोड वाहन सड़कों की सेहत पर भारी पड़ रहे हैं. इसका अंदाजा मधेपुरा-सहरसा एनएच 107 को देखकर लगाया जा सकता है. इससे सड़क पर जगह-जगह कटाव हो रहा है, सड़कें टूट रही हैं. इनसे गुजरने पर छोटे वाहनों के फिसलने का खतरा बना रहता है. इसके बावजूद ओवरलोडिंग पर नकेल कसने के प्रभावी उपाय नहीं किये जा रहे हैं. जबकि नेशनल हाइवे 107 का निर्माण कार्य अभी चल ही रहा है. एनएच पर भारी वाहनों का आवागमन लगातार जारी रहता है. ओवरलोड वाहन भी खूब गुजरते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि प्रतिदिन औसतन ढ़ाई सौ के करीब ओवरलोड वाहन इधर से गुजरते हैं. इस अनुसार हर माह लगभग साढ़े सात हजार के करीब ओवरलोड वाहन इधर से गुजरते हैं. इनमें से ज्यादातर वाहन भागलपुर और पूर्णिया से सहरसा, सुपौल और दरभंगा की ओर जाते हैं.
सीमेंट की सबसे ज्यादा होती है ओवरलोडिंग
सीमेंट, गिट्टी, बालू से लदे इन वाहनों में निर्धारित से कहीं अधिक क्षमता में माल लदा होता है. वाहन तो गुजर जाते हैं, लेकिन ये अपने पीछे सड़क पर गहरे जख्म छोड़ जाते हैं. वाहनों की ओवरलोडिंग की वजह से मधेपुरा-सहरसा मार्ग पर जगह-जगह सड़क की ऊपरी सतह धंसी हुई नजर आती है. यहां से गुजरने वाले छोटे वाहनों पर ये स्थिति भारी पड़ती है. खासतौर पर दुपहिया गाड़ियों के फिसलने का खतरा बना रहता है.
कम भुगतान भी ओवरलोडिंग की वजह
कंस्ट्रक्शन क्षेत्र होने के कारण कई कंपनियों की रोड साइट जिले में है, जहां प्रतिदिन परिवहन के लिए सैकड़ों हाइवा, ट्रकों का इस्तेमाल होता है. लगभग सभी हाइवा और ट्रक ओवरलोड रहते हैं. ओवरलोड परिवहन कार्य में लगे हाइवा मालिकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रैंक प्वाइंट से गोदाम तक सीमेंट पहुंचाने के लिए प्रति बोरी के हिसाब से भुगतान होता है. इसमें डीजल की कीमत भी नहीं निकल पाती है. ऐसे में इन सभी चीज को जोड़ा जाये तो लोडिंग में लगी गाड़ी के भाड़े से गाड़ी का ईएमआइ, रोड टैक्स, रोड परमिट, ड्राइवर भाड़ा निकालना भी मुश्किल है. प्रतिमाह गाड़ी का स्टॉलमेंट, रोड टैक्स, रोड परमिट निकालने के लिए गाड़ी मालिक ओवरलोड गाड़ी चलाने को मजबूर हैं.
कार्रवाई से वाहन मालिकों को भी फायदा
गाड़ी मालिक ने बताया कि रैक मालिक और गोदाम वाले की हिटलरशाही के कारण हम लोग ओवरलोड गाड़ी चलाने के लिए मजबूर हैं. जबकि नियम है परिवहन करने वाले व करवाने वाले दोनों के ऊपर कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन इस जिले में ऐसा कोई कानून नहीं है. अगर ओवरलोड गाड़ी नहीं चलाएं तो वाहन मालिकों को भूखे मरने की नौबत आ जायेगी. गाड़ी मालिक ने सड़क पर चलने वाले ओवरलोड वाहनों का मुख्य कारण सही भाड़ा नहीं मिलना बताया और इसके लिए गोदाम प्रबंधक व ट्रांसपोर्टर को जिम्मेवार बताया.
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गारंटी पीरियड से पहले उखड़ जाती हैं सड़कें
क्षमता से अधिक बालू, सीमेंट, अनाज और गिट्टी भरकर चलनेवाले वाहनों से पांच साल तक की गारंटी वाली सड़कें पांच महीने में ही जवाब दे रही हैं. चाहे ग्रामीण कार्य विभाग, आरसीडी, पीडब्ल्यूडी द्वारा बनवायी गयी सड़कें हों या फिर प्रधानमंत्री ग्राम सड़कें. पांच-सात महीनों में ही बदतर हो जाती हैं. खास बात यह है कि ग्रामीणों द्वारा समय समय पर ओवरलोड वाहनों पर रोकने के लिए ज्ञापन दिये गये. शिकायतें की गयीं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती है. एमवीआइ अनिल कुमार ने बताया कि ओवरलोड वाहन पकड़े जाने पर कार्रवाई हो रही है. उनका चालान काटा जा रहा है.