सन्हौल.
चैत्र नवरात्र के अवसर पर सन्हौला प्रखंड क्षेत्र के सनोखर शिव मंदिर में आयोजित नौ दिवसीय श्री राम कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन शुक्रवार को भगवान श्री राम का विवाहोत्सव धूमधाम से मनाया गया. श्रीधाम अयोध्या से पहुंचे कथावाचक बाल व्यास रामानुज शास्त्री जी महाराज द्वारा कथा के चौथे दिन चारों भाइयों के साथ प्रभु श्रीराम के नामकरण संस्कार, बाल लीला, गुरुकुल में शिक्षा-दीक्षा, प्रभु द्वारा गुरु एवं माता-पिता की सेवा, ताड़का वध, सीता स्वयंवर धनुषयज्ञ में भाग लेना, श्री राम विवाह, अहिल्या का उद्धार आदि प्रसंग का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया. श्रीराम विवाह आयोजन को लेकर कार्यकर्ताओं द्वारा पूरे पंडाल को भव्य रूप से सजाया गया.
राजा दशरथ चाहते तो राम की शिक्षा राजमहल में होती, उन्होंने गुरुकुल भेजा
कथा के दौरान बाल व्यास रामानुज शास्त्री जी महाराज ने कहा कि संस्कृति से ही संस्कार का निर्माण होता है. अपने बच्चों में संस्कार भरने के लिए लोगों को संस्कृति से जुड़ा रहना अति आवश्यक है. प्रभु श्रीराम के पिता महाराजा दशरथ राजा थे, वे चाहते तो चारों पुत्रों की शिक्षा के लिए राजमहल में ही व्यवस्था कर देते, परंतु उन्होंने संस्कृति से जुड़े रहकर अपने पुत्रों को गुरुकुल भेजा, ताकि उनमें संस्कार का निर्माण हो सके. प्रभु श्री राम ने गुरु एवं माता-पिता की सेवा की, उसी प्रकार हमें भी अपने गुरुजनों एवं माता-पिता की सेवा करनी चाहिए. कथा के दौरान पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु झूम उठे. मौके पर शंकर यादव, उषा देवी, राॅकी केशरी, बमबम सिंह , विश्वनाथ भगत, भूमेश्वर बाबा, जवाहर कुमार, बबलु यादव, विक्की बजाज के साथ सभी कार्यकर्ता और हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.