गौतम वेदपाणि, भागलपुर. नवगछिया अनुमंडल के जगतपुर झील दशकों से प्रवासी व स्थानीय पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण आश्रय स्थली बना हुआ है. 121 एकड़ में फैले इस झील में हर साल अक्तूबर से लेकर मार्च तक 150 प्रजाति के प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है. वहीं बड़ी संख्या में स्थानीय पक्षी भी यहां सालों भर प्रवास करते हैं.
झील में पक्षियों को अपना पेट भरने के लिए छोटी मछलियां, घोघे, सीप व अन्य जलीय जीव भरपूर मात्रा में मिलते हैं. लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण यह झील जलवायु परिवर्तन की चपेट में आने लगा है. झील का आधा हिस्सा गर्मी की शुरुआत में ही सूख गया है. इसके एक हिस्से में जहां मवेशी को चराया जाता है.
वहीं एक हिस्से में खेती भी होने लगी है. जबकि झील का दक्षिणी हिस्सा आम लोगों के लिए रास्ता बन गया है. मानवीय गतिविधियों के बढ़ने से भी पक्षियों को बाधा पहुंचती है.
अप्रैल में भी प्रवासी पक्षियों की बहुतायत
अमूमन जगतपुर झील में नवंबर में इकट्ठे हुए प्रवासी पक्षी मार्च में साइबेरिया क्षेत्र, चीन, रूस, मध्य एशिया, हिमालय क्षेत्र, तिब्बत समेत विभिन्न जगहों पर लौटने लगते हैं. शुक्रवार को झील में कई प्रवासी पक्षियों को मंडराते देखा गया. इनमें मुख्य रूप से क्रेन, स्टॉर्क, सिल्ली, सरगै, पवै जैसे पक्षी मौजूद दिखे.
झील में गाद भरने से गहराई कम हुई
स्थानीय लोगों बताया कि पहले सालों भर इसमें पानी रहता था. लेकिन रिंग बांध के कारण इसमें पानी कम आता है. झील में गाद भरने से गहरायी कम हो गयी है. वन विभाग की ओर से जगह-जगह साइन बोर्ड लगाये गये हैं. कई टूट गये हैं. मनरेगा योजना से झील के छोटे हिस्से में तालाब बना है. चारों ओर पेड़ लगाये गये हैं.
- जगतपुर झील का रकबा : 121 एकड़
- कितने प्रजाति के पक्षी प्रवास करते हैं : 150 से अधिक
- किस देश से आते हैं : साइबेरिया, चीन, रूस, तिब्बत इत्यादि
- कब से कब तक रहते हैं : अक्तूबर से अप्रैल तक
- झील के विकास की योजना : वन विभाग व मनरेगा से
- पर्यटकों की संख्या : हर साल दो हजार से अधिक
Also Read : दुनिया में विलुप्तप्राय गरूड़ का पूर्णिया में बढ़ रहा कुनबा, पाये गये ढाई दर्जन घोंसले