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एइएस के लिए तैयारी जांची, मिलीं कमियां

एइएस के लिए तैयारी जांची, मिलीं कमियां

माधव 14

आईसीएमआर के निर्देशक व प्रभारी एसीएमओ पीएचसी पहुंचे

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर

गर्मी बढ़ी तो चमकी बुखार से पीड़ित होकर बच्चे अस्पताल पहुंचने लगे. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद खुली और जिले के अस्पताल बचाव के लिए कितने तैयार हैं, उनकी जांच करने के लिए अधिकारी पहुंचने लगे हैं. हालांकि तैयारी कहीं पर भी पूरी नहीं है. कहीं एसओपी के अनुसार दवा नहीं है तो कुछ जगहाें पर एंबुलेंस बच्चे को रेफर करने के बाद नहीं मिल रही है.

शुक्रवार को आईसीएमआर के निर्देशक और प्रभारी एसीएमओ डॉ सतीश कुमार कुढ़नी स्थित पीएचसी में एइएस वार्ड का जायजा लेने पहुंचे. वार्ड के निरीक्षण में जो कमी थी, उसे पूरा करने और जिले से चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों को इस वार्ड में भर्ती करने का निर्देश दिया. एसीएमओ डॉ सतीश कुमार ने कहा कि बच्चों के लिए विशेष वार्ड तैयार किया गया है. एसकेएमसीएच में इलाज के साथ वायरस जांच की व्यवस्था की गई है. यहां पर वायरल रिसर्च लैब खोली गयी है. बच्चे इलाज के लिए सबसे पहले पीएचसी जायेंगे. वहां इलाज के बाद एसकेएमसीएच या सदर अस्पताल रेफर किया जायेगा. इन टोलों में एएनएम कैंप करेंगी व लोगों को जागरूक करेंगी.

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एइएस की पुष्टि होने के बाद किराये का भुगतान

मुजफ्फरपुर.

एसकेएमसीएच के पीकू में अब तक इलाजरत पांच बच्चों में एइएस की पुष्टि हो चुकी है. इसके साथ ही पीड़ित की संख्या बढ़ रही है. इधर, बीमार बच्चे को अस्पताल लाने के लिए जो वाहन टैग किये गये हैं, उसकी जानकारी पंचायतवासियों को नहीं है. आलम यह है कि जो चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों को निजी वाहन से पीकू लेकर आ रहे हैं, उनका भुगतान नहीं हो रहा हैं. भुगतान के लिए जब मरीज के परिजन जा रहे हैं तो उन्हें एइएस की पुष्टि होने के बाद भुगतान करने की बात कही जा रही है.

शिशु रोग विभागाध्यक्ष डाॅ.गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि जिन बच्चों में एइस की पुष्टि हुई है, उनमें दो जिले के और दो सीतामढ़ी व एक शिवहर का बच्चा है. सभी बच्चों में एइएस होने का कारण हाइपोग्लाइसीमिया है. नोडल अधिकारी डॉ सतीश कुमार ने अपील की है कि बच्चे को रात में किसी भी परिस्थिति में भूखा नहीं सोने दें. रात्रि में भोजन के बाद मीठा अवश्य खिलाएं. तेज धूप व गर्मी से बच्चे को बचाने का प्रयास करें. अगर तेज बुखार हो तो सीधे अस्पताल लेकर आएं. ओझा-गुनी के चक्कर में रहने की जरूरत नहीं है.

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