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..बड़कागांव में 1936 में शुरू हुई थी रामनवमी पर्व

विक्रम संवत के प्रथम माह चैत्र की आहट पड़ते ही बड़कागांव प्रखंड के विभिन्न अखाड़ों व गांवों, टोलों, मोहलों में रामनवमी महापर्व की गूंज सुनायी देने लगती है.

12 bg 1- बड़कागांव के बसंती दुर्गा मंदिर में दुर्गा माता की प्रतिमा संजय सागर बड़कागांव. विक्रम संवत के प्रथम माह चैत्र की आहट पड़ते ही बड़कागांव प्रखंड के विभिन्न अखाड़ों व गांवों, टोलों, मोहलों में रामनवमी महापर्व की गूंज सुनायी देने लगती है. नदियों व पहाड़ों से घिरे प्राकृतिक सुषमा से लबरेज बड़कागांव की धरती रामनवमी पर्व को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहता है. कर्णपुरा क्षेत्र के बड़कागांव, बादम, हरली, चरचू, सोनबरसा, सिन्दूवारी, चेपाखुर्द, समेत विभिन्न गांवों में रामनवमी की तैयारी पूरी हो गयी है. इन गांवों के समाज के सभी वर्गों में पर्व को लेकर उत्साह है. बड़कागांव गोसाई बलिया, चेपा खुर्द समेत अन्य गांव में मुस्लिम भाई रामनवमी पर्व के दौरान हिंदू भाइयों का स्वागत करते हैं. और एकता की मिसाल पेश करते हैं. इसीलिए बड़कागांव के रामनवमी को अनेकता में एकता का प्रतीक कहा जाता है. 1936 में महावीर झंडे की शुरुआत बड़कागांव में रामनवमी का इतिहास पुराना है. इसकी शुरुआत कुंजल राम, नेतलाल महतो ने महावीरी झंडा उठाकर किया था. बताया जाता है कि कुंजल राम हजारीबाग में राजा कामाख्या नारायण सिंह के महलों में नकाशी का काम करते थे. पेशे से राजमिस्त्री एवं हस्त कलाकार थे. उन्होंने हजारीबाग व पदमा का रामनवमी पर्व को देखकर बड़कागांव में इसकी शुरुआत की थी. पूरे करणपुरा क्षेत्र के बड़कागांव केरेडारी के गांव-गांव तक फैल गया. इसी तरह 1938 में सुकुल खपीया, हरली, बादम, विश्रामपुर में पर्व की शुरुआत हुई. 1940 में नापो, खरांटी में रामनवमी की शुरुआत हुई. बसंती दुर्गा पूजा की शुरुआत बड़कागांव में बसंती दुर्गा पूजा की शुरुआत 70 के दशक में किशुन साव, झमन साव, नरसिंह प्रसाद, नेतलाल महतो, प्रयाग राम, दशरथ ठाकुर उर्फ दशय ठाकुर ने की थी. 1942 में हरली में मेला लगना शुरू हुआ. यहां पूर्वी के क्षेत्रों के दर्जनों गांव के लोग झंडा लेकर बाजे-गाजे और झांकी के साथ पहुंचने लगे. इसके अलावा बड़कागांव के डेली मार्केट में भी भव्य मेला का आयोजन रामनवमी के दिन लगता है. शोभा यात्रा की शुरुआत बड़कागांव में 80 के दशक के पहले से ही शोभा यात्रा व जुलूस की शुरुआत हुई है. अष्टमी की रात पूर्व विधायक लोकनाथ महतो, तत्कालीन प्रमुख गुरु दयाल महतो, तत्कालीन मुखिया कृत्यानंद मिस्त्री, बालकृष्ण महतो, तिला नाथ सिंह कुशवाहा, तत्कालीन सरपंच गोविंद नारायण कुशवाहा के नेतृत्व में शोभायात्रा निकलना शुरू हुआ था. वहीं अंबेडकर मोहल्ला से दिनेश्वर दास, कारू राम, दिनेश्वर राम (मूर्तिकार) लखन दास, बूंदी राम, महेंद्र राम, सिकंदर राम, कृष्णा कुमार राम, मुनेश कुमार राम, सुरेश राम, धर्मनाथ राम, चेतलाल राम, रामेश्वर राम, बैजनाथ राम, टिकन भुइयां के दिशानिर्देश में शोभायात्रा एवं जुलूस निकाला जाता था. मूर्तिकार दिनेश्वर दास उर्फ दिना राम द्वारा हनुमान जी की प्रतिमा बनाकर पूरे बड़कागांव में घुमाया जाता था. झांकी जुलूस की शुरुआत बड़कागांव में झांकी के साथ जुलूस ठाकुर मोहल्ला द्वारा 2000 से शुरू की गयी. इसका नेतृत्व शिव शंकर ठाकुर, नवीन ठाकुर, मनोज ठाकुर, उपेंद्र नाथ मालाकार, विनोद सिन्हा, लखींद्र ठाकुर, अरुण मालाकार, मेवालाल नाग, मनोज ठाकुर, माहगू ठाकुर के नेतृत्व में शुरुआत की गयी. भगवान शंकर का रोल रोशन ठाकुर द्वारा किया गया था. जबकि महर्षि बाल्मीकि की भूमिका रघुवीर ठाकुर ने निभायी थी. बड़कागांव चौक के रामदूत महावीर पूजा समिति, उपहार कृषक जुआ क्लब अर्थात कुशवाहा रामनवमी पूजा समिति, गुरु चट्टी रामनवमी पूजा समिति, संगम युवा क्लब, बढ़ई मोहल्ला, लोहार टोली, बसरिया मोहल्ला , अंबेडकर सबरी क्लब के द्वारा झांकी निकालने की परंपरा शुरू की गयी. कई वर्षों तक शांति भाई व चारगी अपनाने वाले एवं झांकी दिखाने वाले क्लबों व समितियों को पुरस्कृत किया जाता रहा है. अब राम नवमी पूजा महासमिति द्वारा किया जाता है. झांकी जुलूस विजयदशमी की रात से शुरू की जाती है. जो एकादशी की देर शाम तक जुलूस निकलता रहता है. 2 दिनों तक बड़कागांव में मेले लगे रहते हैं इसे शांतिपूर्वक सफल बनाने में पुलिस व सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा सकारात्मक भूमिका निभायी जाती है.

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