Bihar: पटना. बिहार के कई जिलों का भूजल स्तर अप्रैल में ही गिरने लगा है. इस दौरान पटना सहित लगभग आठ जिलों में भूजल स्तर दो से पांच फुट तक गिरा है. इसमें सबसे अधिक प्रभावित इलाका गया, जहानाबाद और औरंगाबाद है. इन जिलों में लगातार भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की जा रही है. भागलपुर दो फुट चार इंच, जमुई तीन फुट, पटना दो फुट आठ इंच, बांका दो फुट सात इंच, लखीसराय एक फुट नौ इंच, कैमूर दो फुट, गया चार फुट नौ इंच, औरंगाबाद चार फुट, नालंदा तीन फुट छह इंच, जहानाबाद तीन फुट चार इंच और अरवल चार फुट भूजल के स्तर मेें गिरावट दर्ज की गयी है.
चापाकलों की बढ़ी निगरानी
बिहार में अप्रैल माह में भी भूजल में गिरावट को देखते हुए चापाकलों की निगरानी बढ़ा दी गयी है. पीएचइडी ने कहा है कि अभी मई-जून की गर्मी बाकी है और अभी से ही भूजल में गिरावट होने लगी है. इस कारण से जरूरी है कि सभी चापाकलों की निगरानी और मरम्मत की गति बढ़ा दी जाए. जहां भी चापाकल बंद हो रहे हैं या अभी से पानी छोड़ रहा है, तो उस चापाकल के पास जलापूर्ति की व्यवस्था कर ली जाए.
पशुओं के लिए भी पानी की हो रही है व्यवस्था की गयी
विभाग के आदेश पर पशुओं के लिए कैटल ट्रैफ की व्यवस्था की गयी है, जहां जानवर पानी पी सकें. विभाग ने पटना में 12, आरा सात, बक्सर नौ, कैमूर 18, गया 25, जहानाबाद आठ, नवादा 18, औरंगाबाद 12, मुंगेर चार, शेखपुरा 20, जमुई 15, भागलपुर 25, बांका 15, नालंदा 16, रोहतास 10, वैशाली एक, समस्तीपुर तीन, मुजफ्फरपुर पांच व दरभंगा में आठ ट्रैफ के माध्यम से जानवरों को पानी मिलेगा. यानी कुल 231 ट्रैफ में जानवरों पर नियमित पशुओं को पानी मिले, इसकी निगरानी का आदेश जिलों को दिया गया है.
बक्सर में कई पोखर बने मैदान
बक्सर के राजपुर प्रखंड के विभिन्न जगहों पर बने तालाब पोखर का पानी अब धीरे-धीरे सूखने लगा है. पिछले कई दिनों से तापमान में हो रही वृद्धि से इन तालाब पोखरों का पानी तेजी से सुख रहा है. इससे गांव का पानी भी दस फुट नीचे खिसक गया है. सामान्य चापाकल पूरी तरह से बंद हो गए हैं. ग्रामीणों के अनुसार सभी गांव में लगभग पांच से आठ बड़े बड़े तलाब पोखर थे. जो बदलते समय के साथ धीरे-धीरे समाप्त हो गये हैं. कुछ गांव में पुराने पोखर शेष बचे हुए हैं. जिनको जिंदा करने के लिए सरकार ने पिछले कई वर्षों से जल जीवन हरियाली मिशन योजना की शुरुआत की है.
जंगली पशुओं के लिए भी पानी नहीं
देवढिया पंचायत के विशाल सैंथू का पोखरा, खीरी का प्राचीन ऐतिहासिक पोखरा, राजपुर का विशाल पोखरा जिसमें वर्ष भर पानी भरा रहता था. इन तालाबों पर भी संकट मंडराने लगा है. वर्ष 2022 में भीषण सूखे की चपेट में आने के बाद भूमिगत जल स्तर काफी नीचे हो गया था. कुछ वर्षा होने के बाद इन तालाबों में पानी को भरा गया था. इस बार शीतकालीन मौसम में वर्षा नहीं होने पर इन पोखरो में भरे पानी से खेतों की सिंचाई कर दिए जाने से इस बार भी समय से पहले ही पोखरा का पानी सूखने लगा है. ऐसे में जंगली जीव भी पानी के लिए दर-दर भटकना शुरू कर दिए हैं.
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पानी की तलाश में गांव आ रहे जंगली जानवर
शाम ढलते ही हिरण, सियार, जंगली घोड़ा, नीलगाय के अलावा कई अन्य जीव पानी की तलाश में गांव के नजदीक पहुंच रहे हैं. जिसमें कई छोटे जानवर भागने के दौरान घायल हो जाते है. जबकि राजपुर पश्चिमी क्षेत्र का इलाका काले हिरणों के लिए जाना जाता है. जिस क्षेत्र को वन विभाग के तरफ से संरक्षित भी घोषित किया गया है. फिर भी इन जानवरों के लिए पेयजल की व्यवस्था नहीं की गयी है. नहर का पानी भी पूरी तरह से सूख गया है. अगर इन जानवरों को पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं होती है तो यह जानवर तस्करों का शिकार हो सकते हैं.अभी यह जानवर बोरिंग के पास जाकर प्यास बुझा रहे हैं.