कैलाशपति मिश्र, पटना
लोकसभा चुनाव : राजनीतिक पार्टियां चुनाव में भले ही आधी आबादी की बात करते हों, लेकिन उन्हें टिकट देने के मामले में कंजूसी बरतती हैं. देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने इस बार बिहार में महिला को टिकट देने के मामले में बड़ा दिल नहीं दिखाया है. पार्टी ने बिहार में एक भी महिला प्रत्याशी को चुनावी मैदान में नहीं उतारा है. हालांकि, भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन में जदयू और लोजपा(रा) ने दो-दो महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया है.
वहीं, महागठबंधन में राजद ने इस बार सबसे अधिक छह महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया है. बिहार में महिलाओं को लेकर यह आलम तब है, जब पिछले चुनाव में 32 लोकसभा सीटों पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक मतदान किया था. वहीं, पिछले दो लोकसभा चुनाव में महिलाओं के वोट प्रतिशत में भी दस फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
बिहार की सभी लोकसभा सीटों पर एक चौथाई पर महिला प्रत्याशी
बिहार के सभी 40 लोकसभा सीटों में से 10 सीटों पर बड़ी पार्टियों ने महिला प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा हैं. इस तरह यदि देखा जाए, तो यह संख्या एक चौथाई है. राजद ने पाटलिपुत्र से मीसा भारती, सारण से रोहणी आचार्य, शिवहर से रितु जायसवाल, पूर्णिया से बीमा भारती, जमुई से अर्चना रविदास और मुंगेर से अनीता देवी महतो को अपना उम्मीदवार बनाया है.
जबकि, जदयू ने शिवहर से पूर्व सांसद लवली आनंद और सीवान से विजयलक्ष्मी को टिकट दिया है. वहीं, लोजपा (रा) ने वैशाली से निवर्तमान सांसद वीणा देवी और समस्तीपुर से शांभवी को चुनावी मैदान में उतारा है. फिर भी यह 2029 से लागू होने जा रहे नारी शक्ति वंदन अधिनियम के तहत लोकसभा में 33 फीसदी आरक्षण की तुलना में कम है. इस अधिनियम के तहत राज्य की करीब 13 लोकसभा सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जायेंगी.
2014 और 2019 में तीन-तीन सांसद चुनी गईं
2014 के लोकसभा चुनाव में मुंगेर से लोजपा के टिकट पर वीणा देवी, शिवहर से भाजपा की रामा देवी और सुपौल से कांग्रेस के टिकट पर रंजीत रंजन सांसद बनीं. जबकि, 2019 के आम चुनाव में भी शिवहर से भाजपा की रामा देवी, वैशाली से लोजपा की वीणा देवी, सीवान से जदयू की कविता सिंह सांसद बनीं थीं.
सबसे अधिक 1984 लोकसभा चुनाव में बिहार से नौ महिला सांसद बनी थीं
1984 के लोकसभा चुनाव में बिहार से सबसे अधिक नौ महिला सांसद बनीं. इनमें मोतिहारी से कांग्रेस के टिकट पर प्रभावती गुप्ता और वैशाली से किशोरी सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुनी गयीं थी. इसी तरह शिवहर से कांग्रेस के ही टिकट पर रामदुलारी सिंह, बलिया से चंद्रभानु देवी, पूर्णिया से माधुरी सिंह, बांका से मनोरमा सिंह और कृष्णा शाही सांसद बनीं. लोहरदगा से कांग्रेस के टिकट पर सुमति उरांव और पलामू से कमला कुमारी सांसद बनीं. इससे पहले 1962 में 53 सीटों पर हुए आम चुनाव में आठ महिलाएं संसद पहुंची थीं.
देश के पहले लोकसभा चुनाव में बिहार से चुनी गयी थीं दो महिला सांसद
1951 के पहले लोकसभा चुनाव में बिहार की 53 सीटों पर मतदान हुआ था. इनमें से केवल दो महिलाएं ही सांसद चुनी गयीं. इसमें पटना पूर्वी से कांग्रेस के टिकट पर तारकेश्वरी देवी और भागलपुर साउथ से कांग्रेस के टिकट पर सुषमा सेन शामिल रहीं. वहीं, 53 सीटों के लिए हुए 1957 के लोकसभा चुनाव में सात महिलाएं चुनी गयीं. इनमें दुमका से झारखंड पार्टी की देबी सोरेन, बांका से कांग्रेस की शकुंतला देवी, बाढ़ से कांग्रेस की तारकेश्वरी देवी, नवादा से कांग्रेस की सत्यभामा देवी, चतरा से सीएनएसपीजेपी की विजया राजे और हजारीबाग से सीएनएसपीजेपी की ललिता राज्यलक्ष्मी चुनी गयी थीं.
पिछली बार सबसे अधिक कटिहार में 72.41 फीसदी महिलाओं ने दिया था वोट
लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार की 32 लोकसभा सीटों पर महिलाओं ने पुरुष की तुलना में अधिक मतदान किया था. इनमें सबसे अधिक कटिहार लोकसभा क्षेत्र में महिलाओं ने वोट डाले थे. सीमांचल की लोकसभा सीटों पर महिला वोट का प्रतिशत राज्य की अन्य लोकसभा सीटों की तुलना में अधिक रहा था.
कटिहार में 72.41% महिलाओं ने वोट दिये, जबकि महज 63% पुरुषों ने मतदान किया था. सुपौल में 71.68%, किशनगंज में 70.04%, अररिया में 69.43% और पूर्णिया में 68.13% के साथ अधिकतर सीटों पर 60% से अधिक मतदान महिलाओं ने वोट डाले थे.
वहीं, 2014 में कुल मतदान को देखें तो महिलाओं का मतदान प्रतिशत 59.92 रहा था, जबकि पुरुषों का 55.26 प्रतिशत ही था. उस चुनाव में जिन सीटों पर महिलाओं का मतदान प्रतिशत ज्यादा रहा था, उनमें कटिहार में 72.37%, सुपौल में 71.64%, किशनगंज में 70.37%, अररिया में 69.39%, पूर्णिया में 68.15%, बेगूसराय में 67.13%, समस्तीपुर में 66.74%, वैशाली में 66.62% और उजियारपुर में 65.12% था, जबकि बिहार की कुल 40 संसदीय सीटों में से किसी पर भी पुरुषों का मतदान प्रतिशत 65 फीसद से ज्यादा नहीं रहा था.
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