– अजगैबी मंदिर व मुरली पहाड़ी पर गुप्तकालीन प्रस्तर शिल्प के संरक्षण को लेकर लखनऊ से पहुंची टीम- तकनीकी सर्वेक्षण की रिपोर्ट मिलने के बाद बनेगा प्राक्कलन
शुभंकर, सुलतानगंज
अजगैबी मंदिर व मुरली पहाड़ी के आसपास पत्थर पर कई देवी-देवताओं की मूर्ति संरक्षण को लेकर शनिवार को लखनऊ से इंटैक कंजर्वेशन लाइफ के डायरेक्टर डॉ धर्मेंद्र मिश्रा ने सर्वेक्षण किया. प्रस्ताव तैयार कर रिपोर्ट दिल्ली इंटैक हेडक्वार्टर में सौंपी जायेगी. नप द्वारा एनओसी मिलने के बाद इंटैक हेड क्वार्टर ने सर्वेक्षण का निर्देश दिया. संरक्षण के अभाव में नष्ट हो रही कलाकृतियों के संरक्षण को लेकर नगर परिषद सुलतानगंज द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र दिये जाने के बाद इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटैक) हेडक्वार्टर दिल्ली ने लखनऊ की टीम को सर्वेक्षण के लिए निर्देशित किया था. पत्थर पर उकेरी गयी देवी-देवताओं की मूर्तियों को संरक्षित करने हेतु तकनीकी सर्वेक्षण किया गया. उसके बाद रिपोर्ट बनायी जायेगी. संरक्षण मिलने के बाद सुलतानगंज को टूरिस्ट स्पॉट के रूप में विकसित होने की संभावना बढ़ जायेगी.सौंदर्यीकरण को लेकर बाउंड्रीवॉल, गार्डन आदि बनने से बढ़ेगा आकर्षण
डायरेक्टर डॉ धर्मेंद्र मिश्रा ने बताया कि पूरे बिहार में ऐसी उत्कृष्ट मूर्ति कहीं नहीं है, जिसका क्षरण हो रहा है. संरक्षण की आवश्यकता है. पाल और गुप्त काल के समय की मूर्ति पत्थर पर उकेरी गयी है. मूर्ति बहुत सुंदर है. उन्होंने कलाकृतियों को कैमरे में कैद किया. डायरेक्टर ने बताया कि पहाड़ी पर बनी कलाकृतियों का डॉक्यूमेंटेशन किया गया है. संरक्षण के लिए क्या-क्या किया जा सकता है. इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया जायेगा. सौंदर्यींकरण को लेकर बाउंड्री वॉल गार्डन आदि बनाने से आकर्षक होगा. उन्होंने बताया कि विधायक प्रो ललित नारायण मंडल से भी मिलकर विस्तार से विचार विमर्श किया गया है. उन्होंने बताया कि मंदिर पर भी कई प्रतिमाओं का संरक्षण जरूरी है. जिसकी रिपोर्ट सौंपी जायेगी.सर्वेक्षण के बाद बनेगा प्राक्कलन
इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज इंटैक के आजीवन सदस्य सह बक्सर संग्रहालय अध्यक्ष शिवकुमार मिश्र ने बताया कि इंटैक के हेड क्वार्टर दिल्ली में चेयरमैन ले. जनरल एलके गुप्ता ने रूचि लिया है. सर्वेक्षण कर प्राक्कलन बनाया जायेगा. टीम में डायरेक्टर धर्मेंद्र मिश्रा, भागलपुर इंटैक के विशेष सह संयोजक डॉ विभू कुमार राय, मुंगेर संग्रहालय के राजेश शर्मा, अवधेश कुमार के अलावा स्थानीय पंडा संजीव झा आदि मौजूद थे.