रांची, राजेश कुमार: अगर आपके अंदर संघर्ष करने की क्षमता है, तो आप कोई भी राह आसानी से तय कर सकते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है पप्पू कुमार दास की. मधुपुर निवासी पप्पू 2009 में रांची आये और 3500 रुपये की सैलरी पर गाड़ी चलाना शुरू किया. उन्होंने कहा कि घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. किसी तरह घर का गुजारा चल रहा था. बाद में उन्हें लगा कि इससे काम नहीं चलेगा. इसके बाद उन्होंने गाड़ी चलाना छोड़ दिया और 2015 में खुद का काम शुरू किया. वर्ष 2019 आते-आते काम ने पूरी तरह रफ्तार पकड़ लिया. आज के समय में वे 150 से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं. वर्तमान में काम काफी अच्छा चल रहा है.
जोहार मैन्युफैक्चरिंग एंड सर्विसेस प्रालि नाम से कंपनी बनायी
इनकी कंपनी का नाम जोहार मैन्युफैक्चरिंग एंड सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड है. खुद के साथ-साथ इनकी पत्नी भी अब इनके काम में हाथ बंटाती हैं. वह कहते हैं कि सरकारी नौकरी मिलना बड़ी बात थी. लेकिन, कुछ और अच्छा करने की चाहत में खुद का बिजनेस शुरू करने की सोची. यह आसान नहीं था, लेकिन यह बहुत मुश्किल भी नहीं था. पूंजी के नाम पर भी कुछ नहीं था. लेकिन, हिम्मत नहीं हारी.
शिक्षित बनने के साथ संघर्ष जरूरी
पप्पू दास का कहना है कि शिक्षित बनने के साथ संघर्ष भी करना होगा. तभी हमें मंजिल मिलेगी. जब वे नौवीं कक्षा में थे, तब पिता का निधन हो गया. इसके छह माह बाद मां का निधन हो गया. घर की स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण अंदर से वह काफी टूट गये थे. दो भाई हैं. बाद में उन्हें लगा कि अगर कुछ नहीं कर पाये, तो हमारे बच्चों की भी स्थिति ठीक नहीं रहेगी. घर की स्थिति देख कर अधिक पढ़ाई नहीं कर सके. इंटर तक की पढ़ाई की. जबकि, पत्नी ग्रेजुएट है.
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बड़े-बड़े लोग हैं क्लाइंट
पप्पू दास ने बताया कि सर्विस सेक्टर में भी काम चल रहा है. इएसआइसी, सीएमपीडीआइ, रेलवे, आइसीएआर, एमएसएमइ ऑफिस, एफसीआइ सहित कई लोग उनके क्लाइंट हैं. वे कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.