उप मुख्य संवाददाता, धनबाद,
केंद्रीय गुरुद्वारा बैंकमोड़ शनिवार को ””बोले सो निहाल, सतश्री अकाल”” के जैकारे से गूंज उठा. बड़ी संख्या में बंदे गुरुद्वारा पहुंचे. खालसा पंथ के सृजना दिवस बैसाखी हर्षोल्लास मनायी गयी. इस अवसर पर अहले सुबह से बंदे गुरुद्वारा पहुंचकर गुरुग्रंथ साहेब के आगे मत्था टेका, परिवार की खुशहाली, समृद्धि के लिए अरदास किया. गुरुद्वारा के ग्राउंड में विशेष दीवान सजाया गया. गुरुपर्व को लेकर बंदों में उत्साह था. स्थानीय रागी जत्था भाई देवेंद्र सिंह ने सबद गायन कर संगत को निहाल किया. तरन तारन पंजाब से आये भाई लवप्रीत सिंह ने सिखों के 10वें व अंतिम गुरु गोविंद सिंह की जीवनी पर प्रकाश डाला. कहा : गुरु गोविंद सिंह ने सभी सिखों को हुक्म दिया था कि उनके बाद कोई देह धारी गुरु के रूप में नहीं पूजे जायेंगे. गुरु ग्रंथ साहेब ही गुरु होंगे. उन्होंने जोर जुल्म के खिलाफ आवाज मुखर करने की बात बंदों से कही थी. जुल्म के खिलाफ लड़ाई के लिए खालसा पंथ की स्थापना की गयी थी. दरबार साहेब अमृतसर से आये हजूरी रागी जत्था भाई नवनीत सिंह ने मधुर कीर्तन कर संगत को निहाल किया. कार्यक्रम को लेकर प्रबंधक कमेटी के दिलजॉन सिंह, गुरजीत सिंह, रजिनदर सिंह, मनजीत सिंह, तीरथ सिंह, आरएस चहल व अन्य सदस्यों का सक्रिय योगदान रहा.