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धनुष टूटते ही श्रीराम के जयकारे से गूंज उठा पंडाल

धनुष टूटते ही श्रीराम के जयकारे से गूंज उठा पंडाल

धनुष टूटते ही श्रीराम के जयकारे से गूंज उठा पंडाल श्री राम नाम के लगाये गये जयकारे फोटो नंबर-4- श्री रामकथा सुनाते अनुराधा मिश्रा. प्रतिनिधि, गोह रामनवमी महोत्सव सह मां जगदंबा पूजा समिति बघोई में नवरात्रि के अवसर पर लगातार प्रत्येक दिन शाम सात बजे से रामकथा का आयोजन किया जा रहा है. इसी कड़ी में राम कथा के पांचवें दिन वृंदावन से आयी कथा वाचिका अनुराधा मिश्रा ने कथा का सुंदर वर्णन भक्तों को सुनाया. राम कथा के पांचवें दिन शुरुआत में आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना से की गयी. कथा वाचिका ने राम विवाह का मार्मिक चित्रण किया. कथा में बताया गया कि मार्ग शीर्ष शुक्ल पंचमी को राम का विवाह धूमधाम से मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि त्रेता युग में पृथ्वी पर राक्षसों का अत्याचार अपने चरम पर था. मुनि विश्वामित्र अपने यज्ञ की रक्षा करने के उद्देश्य से अयोध्या के राजा दशरथ से उनके पुत्र राम व लक्ष्मण को मांग कर ले गये. यज्ञ की समाप्ति के बाद विश्वामित्र को जनकपुरी के रास्ते से वापसी आने के समय जनक की पुत्री सीता की स्वयंवर की जानकारी मिली. मुनिजी राम और लक्ष्मण को लेकर स्वयंवर को पधार गये. सीता स्वयंवर में राजा जनक ने घोषणा की कि जो भी योद्धा शिवजी के धनुष को तोड़ देगा, उसके साथ सीता का विवाह पक्का कर दिया जायेगा. कथावाचक ने बताया कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था. एक दिन सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया. यह देख राजा जनक ने प्रतिज्ञा की कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ायेगा उसी से सीता का विवाह होगा. वहां आये सभी लोगों ने एक-एक करके धनुष उठाने की कोशिश की, लेकिन किसी को भी इसमें सफलता नहीं मिली. तब प्रभु राम धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने लगे, तो वह टूट गया. धनुष टूटते ही श्रीराम के जयकारे से पंडाल गूंज उठा और भक्तों ने पुष्प की वर्षा की. इसके बाद दिव्य झांकी के साथ माता-पिता और श्रीराम का विवाह हुआ.

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