सीतामढ़ी. जिले के 42 स्कूलों में फरवरी में एमडीएम चालू था या बंद, यह शिक्षा विभाग को जानकारी नहीं है. अगर एमडीएम बंद था, तो किस कारण से, यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है. मामला यह है कि 42 स्कूलों के प्रधान शिक्षक विभाग को कोई जानकारी ही नहीं देते थे कि उनके स्कूल में एमडीएम चालू है अथवा बंद. अव्वल तो यह कि प्रधान शिक्षकों को पूर्व से ही जिम्मेवारी सौंपी जा चुकी है कि एमडीएम पोर्टल पर सारी जानकारी देनी है. वैसे प्रतिदिन विभाग की ओर से मोबाइल पर प्रधान शिक्षक से एमडीएम के बारे में जानकारी ली जाती है. उक्त 42 प्रधान शिक्षक 29 दिनों तक विभाग को कोई जानकारी ही नहीं दी. विभाग के स्तर से रिपोर्ट आने पर डीईओ के स्तर से कार्रवाई की तैयारी की जा रही है. एमडीएम निदेशक ने डीईओ को भेजे पत्र में बताया है कि उक्त 61 स्कूलों के प्रधान शिक्षक के मोबाइल पर कॉल करने पर कॉल नहीं लगता है या लगने पर कोई जवाब नहीं मिलता था कि एमडीएम बना था या नहीं. निदेशक ने एक फरवरी 24 से 29 फरवरी 24 तक की जानकारी दी है. निदेशक ने कहा है, ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट है कि प्रखंड साधनसेवी द्वारा एमडीएम का नियमित रूप से अनुश्रवण/निरीक्षण नहीं किया जा रहा है. उन्होंने डीईओ को संबंधित साधनसेवी के वेतन भुगतान पर अगले आदेश तक रोक लगाने और कमजोर अनुश्रवण के लिए तीन दिनों के वेतन कटौती को लेकर स्पष्टीकरण पूछने का निर्देश दिया है. गौरतलब है कि हाल में डीईओ ने 61 प्रधान शिक्षकों से एमडीएम के मामले में ही लापरवाही को लेकर स्पष्टीकरण पूछा था. डीईओ ने पूछा था कि एमडीएम से संबंधित सूचनाएं विभाग को नहीं देने को लेकर क्यों नहीं 30 दिनों की वेतन की कटौती कर कोषागार में जमा करा दिया जाए. इससे पूर्व 18 प्रधान शिक्षकों से इस आशय का जवाब मांगा गया था कि एमडीएम बंद क्यों रखा गया था. वैसे स्कूलों से सूचना दी गई थी कि चावल के आभाव में एमडीएम बंद था. यह बात एमडीएम के डीपीओ को पचा नहीं था और उन्होंने चावल के स्टॉक का पूरा ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा था.
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42 स्कूलों में प्रधान शिक्षक पर कार्रवाई संभव
जिले के 42 स्कूलों में फरवरी में एमडीएम चालू था या बंद, यह शिक्षा विभाग को जानकारी नहीं है. अगर एमडीएम बंद था, तो किस कारण से, यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है.
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