बिहार के शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच मतभेद गहराता जा रहा है. राजभवन की ओर से शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (KK Pathak) को राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के कार्यालय में सोमवार को उपस्थित रहने को कहा गया था. लेकिन राज्यपाल के बुलावे को नजरअंदाज करते हुए केके पाठक राजभवन नहीं पहुंचे. इसके बाद अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि राज्यपाल आगे क्या करेंगे.
केके पाठक को क्यों बुलाया गया था राजभवन
दरअसल, 9 अप्रैल को राजभवन में राज्यपाल की अध्यक्षता में कुलपतियों की बैठक हुई थी. इस बैठक में अपर मुख्य सचिव केके पाठक को भी आमंत्रित किया गया था. लेकिन इस बैठक में केके पाठक अनुपस्थित थे. इसके बाद 10 अप्रैल को राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा. इस पत्र में कहा गया कि राज्यपाल सह कुलाधिपति ने बैठक में केके पाठक की अनुपस्थिति पर खेद व्यक्त किया है. राज्यपाल ने केके पाठक से यह भी जानना चाहा कि किन परिस्थितियों में वे बैठक में शामिल नहीं हुए. इसी सिलसिले में केके पाठक 15 अप्रैल को राज्यपाल के कक्ष में उपस्थित होने को कहा गया था.
इंतजार करते रह गए राज्यपाल
बताया जा रहा है कि केके पाठक को 10 बजे राजभवन बुलाया गया था, लेकिन वह नहीं पहुंचे. इस दौरान राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर अपने चैंबर में पाठक का इंतजार करते रहे. लेकिन जब केके पाठक नहीं पहुंचे तो वह अन्य कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए वहां से चले गये.
क्या है विवाद?
शिक्षा विभाग और राजभवन लंबे समय से आमने सामने हैं. यह टकराव उस वक्त से चल रहा है जब से केके पाठक शिक्षा विभाग में आए हैं. यह गतिरोध उस वक्त और बढ़ गया जब शिक्षा विभाग ने हाल ही में 28 फरवरी से लेकर अबतक आधा दर्जन मीटिंग बुलायीं. लेकिन एक भी बैठक में कुलपति शामिल नहीं हुए. कुलपतियों को राजभवन की तरफ से बैठक में नहीं शामिल होने का निर्देश दिया गया था. इसके बाद नाराज शिक्षा विभाग ने कार्रवाई करते हुए कुलपतियों एवं विश्वविद्यालयों के सभी खातों को फ्रीज कर दिया. जिसके बाद कुलपतियों में भी काफी नाराजगी है.
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