Gautam Adani: भारतीय उद्योगपति गौतम अदाणी के समूह की अंबुजा सीमेंट्स (Ambuja Cements) बड़ी डील की है. बताया जा रहा है कि कंपनी तमिलनाडु के तूतीकोरीन में माई होम समूह की सीमेंट ‘ग्राइंडिंग’ इकाई का कुल 413.75 करोड़ रुपये में अधिग्रहण करेगी. अदाणी समूह का हिस्सा अंबुजा सीमेंट्स ने सोमवार को बयान में बताया कि माई होम समूह की सीमेंट ‘ग्राइंडिंग’ इकाई का अधिग्रहण करने के लिए एक निश्चित समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इकाई की क्षमता 1.5 एमटीपीए है. बयान के अनुसार, आंतरिक स्रोतों के जरिए 413.75 करोड़ रुपये के कुल मूल्य पर अधिग्रहण से तमिलनाडु और केरल के दक्षिणी बाजारों में कंपनी को तटीय पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी.
कंपनी ने क्या कहा?
अदाणी समूह के सीमेंट व्यवसाय के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अजय कपूर ने कहा कि बुनियादी ढांचे और भौगोलिक लाभों के अलावा अंबुजा सीमेंट्स को मौजूदा डीलर नेटवर्क भी मिलेगा. कंपनी वर्तमान कर्मचारियों को बनाए रखेगी जिससे इस बदलाव को सुचारु रूप से अंजाम देने में मदद मिलेगी. कंपनी के द्वारा एक्सचेंज फाइलिंग में दी गयी जानकारी के अनुसार, इस अधिग्रहण से अंबूजा सिमेंट को तमिलनाडु और केरल के दक्षिणी बाजारों में अपना व्यापार फैलाने में मदद मिलेगी. इस अधिग्रहण के बाद, अदाणी समूह के कुल सिमेंट उत्पादन की क्षमता 78.9 MTPA हो जाएगी. हालांकि, देश की सबसे बड़ी सिमेंट उत्पादक कंपनी आदित्य बिरला ग्रुप की कंपनी अल्ट्राटेक है. कंपनी ने हाल ही में 150 MTPA उत्पादन क्षमता को पार किया है. हालांकि, अंबुजा सिमेंट की डीलरों के बीच बेहतरीन शाख है. अधिग्रहण के बाद, अदाणी समूह के द्वारा वर्तमान कर्मचारियों को भी बरकरार रखेगा.
कहां हैं ग्राइंडिंग यूनिट
माई होम समूह की सीमेंट ‘ग्राइंडिंग’ इकाई तूतीकोरिन बंदरगाह के पास 61 एकड़ भूमि में फैला हुआ है. इससे पहले पिछले साल अगस्त के महीने में अदाणी समूह ने पांच हजार करोड़ रुपये के संघी सीमेंट्स का अधिग्रहण किया था. अदाणी समूह ने इस डील के लिए फंडिंग अपने इंटरनल सोर्स के माध्यम से की थी. इसके बाद, कंपनी में अंबुजा सिमेंट की 54.51 प्रतिशत की हिस्सेदारी हो गयी.
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कैसे एक कंपनी दूसरे कंपनी का अधिग्रहण करती है
कंपनी एक दूसरी कंपनी का अधिग्रहण (मर्जर और अक्कर्ता) करने के लिए दोनों कंपनियों में पहले वार्ता होती है. अधिग्रहण की योजना बनाने के लिए दोनों कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स एक समझौते पर सहमत होते हैं. इसमें अधिग्रहण के विवरण, समयसीमा, सम्पत्ति का मूल्यांकन, स्टॉक मुद्रा आदि का समायोजन होता है. एक बार योजना बनने और समझौते के बाद, नौबत (फॉर्म 23C और फॉर्म 1 नौबत) जारी किया जाता है. इसमें अधिग्रहण की प्रक्रिया और विवरण शामिल होते हैं. नौबत जारी करने के बाद, उसे सर्वोच्च न्यायालय या नौबत स्वीकृति अधिकारी को प्रस्तुत किया जाता है. स्वीकृति प्राप्त करने के बाद, योजना के मुताबिक अधिग्रहण का कार्यान्वयन शुरू किया जाता है. इसमें एक कंपनी दूसरी कंपनी के सम्पत्ति, स्टॉक, और सम्पत्ति का नियंत्रण प्राप्त करती है. अधिग्रहण के बाद, दोनों कंपनियों के विभिन्न प्रक्रिया, उत्पादन, वित्त, और प्रबंधन की प्रणालियों को एकीकृत किया जाता है. विभिन्न विभाजित संरचना को एक समेकित और संगठित संरचना में बदला जाता है.
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