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चुनाव प्रचार में सोशल मीडिया के ट्रेंड ने पकड़ा जोर

लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशी जोर-शोर से जनसंपर्क अभियान में जुट चुके हैं. इन दिनों अब लोगों के बीच इंटरनेट की उपयोगिता बढ़ चुकी है.

लोकसभा चुनाव में स्थानीय कारोबारियों का कारोबार रहता है मंदा, चाय से लेकर पानी पीने को लेकर भी प्रत्याशी कर रहे हैं सोशल मीडिया पर पोस्ट 12 कुजू ए : पहले के जमाने में बैलगाड़ी से प्रचार करते (फाइल फोटो), 12 कुजू बी : स्थानीय ग्रामीण से पानी मांग कर पीते हजारीबाग लोकसभा एनडीए प्रत्याशी, 12 कुजू सी: लग्जरी वाहनों से प्रचार करने जाते प्रत्याशी धनेश्वर प्रसाद, कुजू लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशी जोर-शोर से जनसंपर्क अभियान में जुट चुके हैं. इन दिनों अब लोगों के बीच इंटरनेट की उपयोगिता बढ़ चुकी है. प्राय लोग सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिता भी रहे हैं. इस वजह से जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे प्रत्याशी और उनके समर्थक सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक्टिव हो चुके हैं. प्रत्याशी अपने जनसंपर्क अभियान के दौरान होने वाले कार्यक्रमों की तस्वीरें, शॉर्ट वीडियो और रील्स आदि तैयार कर अपने और समर्थकों के साथ सोशल मीडिया अकाउंट फेसबुक ,ट्विटर(एक्स), व्हाट्सएप,यूट्यूब आदि पर पोस्ट कर रहे हैं. प्रत्याशी और उनके समर्थक सोशल मीडिया पर अपनी बातों को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे है. वह दिन भर के होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दे रहे हैं. प्रत्याशियों के समर्थकों का कहना है की सोशल मीडिया के जरिये जनसंपर्क अभियान और चुनाव से जुड़ी कई बातों को कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सकता है. बदलते वक्त के साथ-साथ इन दिनों चुनाव प्रचार का तरीका मतदाता अशफाक अहमद बताते हैं कि पहले चुनाव के दौरान प्रत्याशी के चुनाव चिन्ह पर मुहर लगा कर वोट देने की अपील की जाती थी. इन दिनों इवीएम के बटन दबाकर प्रत्याशी को भारी मतों से विजयी बनाने को कहा जाता है. पहले के चुनाव को याद करते हुए मंगल राम करमाली बताते हैं कि पहले के जमाने में यातायात के साधनों की कमी की वजह से बैलगाड़ी से भी प्रचार किये जाते थे. अब प्रत्याशी फॉर्च्यूनर, इनोवा, स्कॉर्पियो जैसे लग्जरी वाहनों पर सवार होकर जनसंपर्क अभियान में निकालना पसंद करते है. पहले के चुनाव में पर्चा, बैज, बैनर, होर्डिंग, टोपी, झंडा, लाउड स्पीकर, दीवार लेखन के द्वारा प्रचार पर ज्यादा जोर देते थे. ढाक और ढोल- नगाड़े बजाकर लोगों को इकट्ठा किया जाता था. एम्बेसडर कार और जीप पर लाउडस्पीकर स्पीकर से प्रचार करते हुए पर्चे बांटे जाते थे. पर्चे लूटने के लिए छोटे-छोटे बच्चे वाहनों के पीछे-पीछे दौड़ते थे. इन सब के बीच अब चुनाव प्रचार के लिए प्रत्याशियों के द्वारा इन दिनों ऑनलाइन कंटेंट को ज्यादा जरूरी माना जा रहा है. चाय से लेकर पानी पीने को लेकर भी प्रत्याशी कर रहे हैं सोशल मीडिया पर पोस्ट इन दिनों तेज धूप और गर्मी के बीच प्रत्याशी चुनाव मैदान में जनसंपर्क अभियान पर निकल रहे हैं. गर्मी के कारण प्रत्याशियों को प्यास भी लग रही है. किसी ग्रामीण से पानी मांग कर पीते हैं. पानी के पीने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- चिलचिलाती गर्मी में क्षेत्र के परिवार जनों का स्नेह ठंडक पहुंचाती है. कुछ इसी तरह अन्य प्रत्याशी भी अपनी दिनचर्या से जुड़ी कई बातें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं. लोकसभा के चुनाव में स्थानीय कारोबारियों का कारोबार रहता है मंदा स्थानीय प्रिंटिंग प्रेस और बैनर, फ्लेक्स बनाने वाले कारोबारियों का कहना है कि पंचायत चुनाव में भले ही उनका कारोबार रफ्तार पकड़ता है. जबकि लोकसभा चुनाव को लेकर उनका कारोबार मंदा रहता है. वह बताते हैं कि निर्दलीय प्रत्याशी ही भले थोड़ा बहुत कुछ प्रचार सामग्री छपवाले नहीं तो बड़ी पार्टियों के प्रत्याशियों के द्वारा बड़े शहरों से ही झंडा ,बैनर आदि चुनाव प्रचार सामग्री की खरीदारी और छपाई करवा ली जाती है.

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