Lok Sabha Election 2024 : यूं तो पुरुलिया को वाममोर्चा का गढ़ माना जाता रहा है. 1957 में जब पुरुलिया (Purulia) संसदीय सीट अस्तित्व में आयी तो यहां से लोक सेवक संघ ने जीत के साथ शुरुआत की. संघ के विभूति दासगुप्ता 1957 में चुनाव जीत कर सांसद बने. 1962 व 1967 में हुए चुनाव में लोक सेवक संघ के ही भजहरि महतो ने यहां से दो बार चुनाव जीता. कांग्रेस के कुछ नेता अलग होकर लोक सेवक संघ नामक राजनीतिक दल बनायी थी. शुरुआती दिनों में पुरुलिया में इनका अच्छा खासा प्रभाव देखने को मिला था. 1971 में हुए चुनाव में लोक सेवक संघ का जलवा लगभग खत्म हो गया. कांग्रेस के देवेंद्र नाथ महाता ने यहां से चुनाव जीता था. 1977 में जब वाममोर्चा ने यहां से जीत का सिलसिला शुरू किया तो वह थमने का नाम नहीं ले रहा था. 1977 से 2009 तक यहां से फारवर्ड ब्लॉक का उम्मीदवार लगातार जीत हासिल करते रहे.
2014 में वाममोर्चा का यह किला ढह गया
लगातार 11 बार वाममोर्चा के उम्मीदवार यहां से जीत हासिल की है. इनमें 1977, 1980, 1984, 1989 व 1991 में हुए चुनाव में फारवर्ड ब्लॉक के चित्तरंजन महाता चुनाव जीतते रहे. इसके बाद 1996, 1998, 1999 व 2004 में हुए चुनाव में फारवर्ड ब्लॉक के बीर सिंह महतो यहां से सांसद चुने गए. 2009 में हुए चुनाव में इसी पार्टी के नरहरि महतो ने यहां से चुनाव जीता. 2014 में वाममोर्चा का यह किला ढह गया. तृणमूल कांग्रेस के मृगांको महतो ने यहां से जीत दर्ज की. लेकिन 2019 में हुए चुनाव में भाजपा ने यहां से जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया. 2019 में हुए चुनाव में भाजपा के ज्योतिर्मय सिंह महतो ने यहां बड़ी जीत दर्ज कर राजनीतिक समीकरण बदल दिया.
भाजपा का वोट अप्रत्याशित रूप से 42.15 फीसदी बढ़ गया
उन्हें 49.33 फीसदी वोट मिला. इस चुनाव में भाजपा का वोट अप्रत्याशित रूप से 42.15 फीसदी बढ़ गया. इससे सभी दलों की चिंता बढ़ गयी. इस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के मृगांको महतो दूसरे स्थान पर रहे. उन्हें 34.19 फीसदी वोट मिला. कांग्रेस के नेपाल महतो को 6.23 फीसदी व कई बार यहां से सांसद चुने गए बीर सिंह महतो को 5.05 फीसदी वोट ही मिल पाया था. वहीं 2014 के चुनाव पर नजर डालें तो तृणमूल कांग्रेस के मृगांको महतो ने यहां से जीत दर्ज की. उन्हें 38.87 फीसदी वोट मिला. फारवर्ड ब्लॉक को 26.09 फीसदी वोट मिला था.
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भाजपा ने ज्योतिर्मय सिंह महतो को यहां से उतारा
कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी, उसे 21.41 फीसदी वोट मिला था. वहीं भाजपा को यहां 7.15 फीसदी ही वोट मिला था. 2009 में हुए चुनाव को देखें तो यहां वाममोर्चा के घटक दल फारवर्ड ब्लॉक का ही दबदबा था. फारवर्ड ब्लॉक के नरहरि महतो ने यहां से चुनाव जीता. उन्हें 44.13 फीसदी वोट मिला था. कांग्रेस के शांतिराम महतो ने उन्हें कड़ी चुनौती दी थी. उन्हें 42 फीसदी वोट मिला था.वहीं भाजपा के सायंतन बसु को 2.37 फीसदी ही वोट मिल पाया था. कभी कमजोर दिखनेवाली भाजपा ने पिछले चुनाव में यहां का ताना-बाना बदल कर रख दिया. इस बार भी भाजपा ने ज्योतिर्मय सिंह महतो को यहां से उतारा है. तृणमूल कांग्रेस के शांतिराम महतो से उन्हें कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद जतायी जा रही है.
कुड़मी वोट साधने को पार्टियों ने उतारे कुड़मी उम्मीदवार
पुरुलिया लोकसभा क्षेत्र में कुड़मी समुदाय की कुल आबादी 28 फीसदी है, जिस कारण चुनाव में इनकी निर्णायक भूमिका होती है. इस वोट बैंक पर सभी पार्टियों की नजर रहती है, क्योंकि वे जानते हैं कि चुनाव जीतने के लिए इन्हें अपने पाले में करना जरूरी है. यही वजह है कि कुड़मी वोट बैंक को साधने के लिए बड़े राजनीतिक दलों ने इस बार के आम चुनाव में कुड़मी समुदाय के व्यक्ति को ही अपना उम्मीदवार बनाया है. इस कारण इस बार का मुकाबला रोचक होने वाला है.
तृणमूल कांग्रेस ने शांति राम महतो को टिकट दिया है. वहीं, भाजपा ने एक बार फिर ज्योतिर्मय सिंह महतो पर भरोसा जताया है. कांग्रेस ने फिर से नेपाल महतो को अपना उम्मीदवार बनाया है. पहली बार आदिवासी कुड़मी समाज ने अजीत प्रसाद महतो को चुनावी मैदान में उतारा है.
वर्षों से हमें बेवकूफ बनाती आ रहीं राज्य व केंद्र सरकारें : अजीत
आदिवासी कुड़मी समाज के मुखिया अजीत प्रसाद महतो ने कहा कि कुड़मियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मुद्दे पर केंद्र एवं राज्य सरकारें हमें वर्षों से बेवकूफ बना रही है. सिर्फ वोट बैंक के तौर पर हमारा इस्तेमाल करते रहे. लेकिन कुड़मी समुदाय अब इनकी असलियत समझ चुका है. उन्होंने कहा पंचायत चुनाव में हमारे करीब 200 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की. इसलिए हमलोगों ने नाता जोड़ो अभियान आरंभ किया है. इसके तहत केवल कुड़मी जाति ही नहीं बल्कि बाउरी, बागदी, कुम्हार, मुस्लिम, मुंडा ,संथाली सभी संप्रदाय के लोगों को एक साथ लेकर इस चुनावी मैदान में प्रतिद्वंद्विता कर रहे हैं. हमारे चुनाव प्रचार में भी इन सभी जातियों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं.
कांग्रेस, तृणमूल, भाजपा समेत सभी प्रार्थियों का अपना-अपना दावा
तृणमूल उम्मीदवार शांति राम महतो का कहना है कि तृणमूल सरकार ने कुड़मी जाति के विकास के लिए कुड़मी बोर्ड का गठन किया है. पिछले पंचायत चुनाव में 35% से अधिक उम्मीदवार कुड़मी समाज से थे, जिन्होंने जीत भी हासिल की. जिला परिषद के सभाधिपति से पार्टी के चेयरमैन पद पर कुड़मी समाज के ही लोग हैं. वहीं, भाजपा उम्मीदवार ज्योतिर्मय सिंह महतो ने कहा कि उन्होंने कुड़मी जाति के लिए संसद में आवाज भी उठायी है. भाजपा ने हमेशा कुड़मी समाज की मांगों पर सहानुभूति दिखायी है. उन्होंने दावा किया कि इस बार के लोकसभा चुनाव में भी कुड़मी समुदाय भाजपा का ही समर्थन करेगा. उधर, कांग्रेस उम्मीदवार नेपाल महतो ने कहा राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, दोनों ही कुड़मी समाज को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने को लेकर बहानेबाजी करती रहीं. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने उनकी मांगों को लेकर लोकसभा में हमेशा आवाज उठाते रहे. कुड़मी समुदाय के लोग अब यह जान चुके हैं कि राज्य एवं केंद्र सरकार उन्हें बेवकूफ बना रही हैं. इसलिए वे इस बार कांग्रेस के समर्थन में मतदान करेंगे.
प्रचार में कुड़मी गीतों की धूम
राजनीतिक पार्टियां कुड़मी वोटरों को लुभाने के लिए चुनाव प्रचार में कुड़मी गीत का सहारा ले रही हैं. तृणमूल कांग्रेस ‘खेला होबे’ गीत का कुड़मी भाषा में अनुवाद कर प्रचार कर रही हैं. वहीं, भाजपा एवं कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थन में भी कुड़मी गीत बनाये गये हैं. फारवर्ड ब्लॉक एवं एसयूसीआइ उम्मीदवार भी कुड़मी वोट बैंक में सेंघ लगाने का प्रयास कर रहे हैं.
पुरुलिया में 07 विधानसभा क्षेत्र
- बलरामपुर बनेश्वर महतो भाजपा
- बाघमुंडी सुशांत महतो तृणमूल
- जयपुर नरहरि महतो भाजपा
- पुरुलिया सुदीप कुमार मुखर्जी भाजपा
- मानबाजार संध्यारानी टुडू तृणमूल
- काशीपुर कमलाकांत हांसदा भाजपा
- पारा नादिरचंद बाउड़ी भाजपा
मतदाताओं के आंकड़े
- कुल मतदाता 1819989
- पुरुष मतदाता 922182
- महिला मतदाता 897787
- थर्ड जेंडर 20