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कैंपस : अभाविप ने केके पाठक के आवास का किया घेराव, पुलिस ने किया लाठीचार्ज

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) पटना महानगर के कई कार्यकर्ताओं ने सोमवार को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आवास का घेराव किया. इस दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ताओं और पुलिस प्रशासन में झड़प हो गयी.

– खातों के संचालन पर लगी रोक को तुरंत हटाने की मांग को लेकर छात्रों का प्रदर्शन

संवाददाता, पटनाअखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) पटना महानगर के कई कार्यकर्ताओं ने सोमवार को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आवास का घेराव किया. इस दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ताओं और पुलिस प्रशासन में झड़प हो गयी. कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध किया और केके पाठक के खिलाफ नारे लगाते रहे. काफी देर तक प्रदर्शन चलता रहा. काफी देर तक पुलिस प्रशासन में झड़प होती रही. उसके बाद भी जब प्रदर्शनकारी नहीं माने, तो पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया, जिसमें कई कार्यकर्ताओं को काफी चोट भी आयी. इस दौरान बेली रोड एक-डेढ़ घंटे के लिए अस्त-व्यस्त रहा. लाठीचार्ज के बाद नीतीश पटेल सहित अभाविप के कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया. कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करके शास्त्रीनगर थाना ले जाया गया, जिन्हें देर शाम बॉन्ड भरा कर छोड़ दिया गया.

अनावश्यक व गैरकानूनी हस्तक्षेप कर रहा शिक्षा विभाग

दक्षिण बिहार प्रांत मंत्री नीतीश पटेल के नेतृत्व में बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के खातों के संचालन पर लगी रोक को तुरंत हटाने, सभी शिक्षक व कर्मचारियों का बकाया वेतन व पेंशन को तुरंत जारी करने और विश्वविद्यालय की स्वायत्तता का हनन करने को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आवास का घेराव किया गया. नीतीश पटेल ने कहा कि विगत वर्षों में बिहार राज्य के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों के क्षेत्राधिकार में उच्च शिक्षा विभाग बिहार सरकार व शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का अनावश्यक व गैरकानूनी हस्तक्षेप बिहार की उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है. शिक्षा विभाग की मनमानी के कारण विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता खतरे में नजर आ रही है. प्रदेश भर में अराजक स्थिति बन गयी है. प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होने के नाते राज्यपाल ही केवल दिशा-निर्देश देने का अधिकार रखते हैं और यूजीसी भी कई निर्णयों में यह स्पष्ट कर चुका है कि सरकार विश्वविद्यालयों में वित्तीय सहायता देने के नाम पर उसकी स्वायत्तता को खत्म नहीं कर सकती. महामहिम प्रदेश के संवैधानिक प्रमुख होते हैं लेकिन उनके आदेश को भी शिक्षा विभाग के अधिकारी नहीं मान रहे हैं. ऐसे में पूरे प्रदेश की गरिमा देश भर में हास्यास्पद बन गयी है. कई महीनों से शिक्षकों, कर्मचारियाें व पेंशनधारियों का वेतन रोकना मानवीय त्रासदी से कम नहीं है. केके पाठक के रवैये के कारण बिहार की शिक्षा व्यवस्था वसूली का माध्यम बन गयी है. ऐसी परिस्थिति में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री की चुप्पी उनकी लाचारी को दर्शाता है.

ये हैं प्रमुख मांगें

नीतीश पटेल ने अपनी मांगों में कहा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के खातों के संचालन पर लगी रोक को तुरंत हटाया जाये. सभी शिक्षकों व कर्मचारियों का बकाया वेतन व पेंशन तुरंत जारी की जाये. प्रदेश के विश्वविद्यालयों में हजारों अतिथि शिक्षक पढ़ा रहे हैं, जिन्हें 11 महीने से मानदेय नहीं मिला है. शिक्षा विभाग को निर्देशित किया जाये कि अतिथि शिक्षकों का बकाया मानदेय तुरंत जारी करे. बिहार के विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता का हनन करना बंद करें.

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