12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कांके और गेतलसूद डैम की जलकुंभी अविलंब साफ करायें : हाइकोर्ट

झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में नदियों व जल स्रोतों के अतिक्रमण और साफ-सफाई को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि कांके डैम व गेतलसूद डैम जलकुंभी से भरे हुए हैं.

झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में नदियों व जल स्रोतों के अतिक्रमण और साफ-सफाई को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि कांके डैम व गेतलसूद डैम जलकुंभी से भरे हुए हैं. पानी गंदा है और जलकुंभी के कारण जल संग्रहण भी कम होता है. इस स्थिति में तुरंत जलकुंभी की साफ-सफाई शुरू की जानी चाहिए. खंडपीठ ने राज्य सरकार और रांची नगर निगम को डैमों से जलकुंभी निकालने की कार्रवाई अविलंब शुरू करने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने भूगर्भ जल से संबंधित जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया व आइएसएम धनबाद की रिपोर्ट को देखा. केंद्रीय संस्थान के अधिकारी से जानकारी लेने के बाद खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि गर्मी के दिनों में जलसंकट पैदा होता है. हर साल भूजलस्तर का नीचे जाना चिंताजनक है. राजधानी सहित झारखंड में भूजलस्तर बनाये रखने के लिए सरकार को हर संभव प्रयास करना चाहिए. खंडपीठ ने भूजलस्तर को बनाये रखने के लिए विस्तृत प्लान प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. इसके लिए खंडपीठ ने जल संसाधन विभाग, नगर विकास विभाग, केंद्रीय जल बोर्ड को निर्देश दिया. कहा कि रांची सहित पूरे झारखंड में भूजलस्तर को बनाये रखने के लिए सुझाव के साथ योजना प्रस्तुत की जाये. खंडपीठ ने रांची नगर निगम को मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. कहा कि सर्वे किया जाये और इसका प्रचार-प्रसार कर लोगों को जागरूक भी किया जाये. मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी.

भूगर्भ जल को रिचार्ज करने पर काम करने की जरूरत :

सुनवाई के दौरान जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से जियोलॉस्टि ने खंडपीठ को बताया कि रांची सहित पूरे झारखंड में भूगर्भ जल का स्तर साल-दर-साल नीचे जा रहा है. यह पठारी क्षेत्र है. रांची में अत्यधिक आबादी है. पिछले 50 वर्षों में कई तालाबों का अस्तित्व समाप्त हो गया. वर्षा कम होने सहित अन्य कारणों से जलस्तर नीचे जा रहा है. ऐसी स्थिति में भूगर्भ जल को रिचार्ज करने पर काम करने की जरूरत है.

निगम ने भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग का बनाया है नियम :

रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने खंडपीठ को बताया कि नगर निगम ने भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग के लिए नियम बनाया है. 300 स्क्वायर मीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल के भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग लगाना अनिवार्य है. भवन या अपार्टमेंट में वाटर हार्वेस्टिंग बनाया गया है या नहीं, इसका सर्वे भी नगर निगम की ओर से कराया जाता है. इसका पालन नहीं करनेवाले भवन मालिकों व अपार्टमेंट के निवासियों से डेढ़ गुना अतिरिक्त होल्डिंग टैक्स जुर्माने के रूप में तब तक वसूला जाता है, जब तक कि उनके द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग बना नहीं लिया जाता है.

हाइकोर्ट ने 2011 में स्वत: संज्ञान के तहत दर्ज की थी जनहित याचिका :

झारखंड हाइकोर्ट ने वर्ष 2011 में नदियों व जलस्रोतों के अतिक्रमण और साफ-सफाई के मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान के तहत जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को एक्शन प्लान पेश करने का निर्देश दिया था. सोमवार को हुई सुनवाई में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पक्ष रखा, जबकि आइएसएम (आइआइटी) धनबाद की ओर से अधिवक्ता अनूप कुमार मेहता ने पक्ष रखा. वहीं, राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने पैरवी की.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें