गोविंदपुर.
परिवार की शांति, सुख, समृद्धि एवं विकास के लिए भजन और भोजन साथ में होना चाहिए. यदि प्रतिदिन साथ बैठकर पूजन, भजन या हवन नहीं कर पाते हैं तो सप्ताह में एक दिन यह कार्य अवश्य करें. यदि दिन में यह संभव नहीं हो तो रात का भोजन सभी साथ मिलकर करें. इससे परिवार में बिखराव नहीं होगा. उक्त बातें मंगलवार को आनंद पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि महाराज ने कौआबांध स्थित राजविलास रिसोर्ट में देवी भागवत करते हुए कही.
संयुक्त परिवार चलाना एक तपस्या :
उन्होंने कहा कि आज के दौर में परिवार को बांधकर रखना और संयुक्त परिवार चलाना एक तपस्या है. हम विकास तो कर रहे हैं परंतु अपनापन समाप्त होता जा रहा है. वर्षों पूर्व एक-दूसरे से जो भाईचारा और प्रेम था, अब नहीं रहा. अपनापन की जगह आज लोगों में कमर्शियल रिलेशन पैदा हुआ है. खून के रिश्ते से ज्यादा मजबूत व्यावसायिक रिश्ता हो रहा है. वहीं कोलकाता से आए देवी भागवत मर्मज्ञ श्रीकांत शर्मा ने महागौरी पूजन के फल को विस्तार से बताया. कहा कि सुंदरता ईश्वर का वरदान है. तन और मन दोनों सुंदर होना चाहिए. आज लोगों के तन सुंदर है परंतु मन नहीं. उन्होंने कहा कि सुकरात कुरूप थे. इस कारण वह गले में दर्पण लटकाकर रखते थे और बार-बार अपना चेहरा देखते रहते थे. जब लोग उनसे पूछते थे तो वह कहते थे बाहर से कुरूप हूं और अंदर से कुरूप ना हो जाऊं इसलिए दर्पण लटका कर रखता हूं और बार-बार देखता रहता हूं. कथा के आयोजक शंभूनाथ अग्रवाल, नंदलाल अग्रवाल व बलराम अग्रवाल ने सभी का स्वागत किया. कथा श्रवण करने भाजपा प्रत्याशी विधायक ढुलू महतो, अमितेश सहाय, राजकुमार चौधरी, सुशील सिंह, केदारनाथ मित्तल, जयप्रकाश देवरालिया, हरिप्रकाश लाटा समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोग पहुंचे.