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मछली पकड़ने के लिये तालाब में दवा डाली, पानी हुआ प्रदूषित

18 दिनों बाद भी दोषियों पर कार्रवाई नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश है.

बरसोल. दिघीबांध तालाब का मामला, 18 दिन बाद भी कार्रवाई नहींबरसोल. बहरागोड़ा प्रखंड की सांड्रा पंचायत अंतर्गत दिघीबांध तालाब में 30 मार्च को दवा डालने का आरोप है. 18 दिनों बाद भी दोषियों पर कार्रवाई नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश है. मंगलवार को ग्रामीणों ने जुलूस निकाल कर विरोध जताया. मंगलवार को सांड्रा शिव मंदिर से दिघीबांध तक ग्रामीणों व महिलाओं ने हाथ में तख्ती लेकर विरोध जुलूस निकाला. नारेबाजी करते हुए दिघीबांध तक पहुंचे. तालाब के पास सभा की गयी. महिलाओं ने बताया कि 30 मार्च की रात में दिघीबांध तालाब के लीजधारक ने साथियों के साथ मिलकर मछली पकड़ने के लिए दवा डाल दी थी. इससे तालाब का पानी प्रदूषित हो गया. इससे कोई काम नहीं हो रहा है. इससे नहाना, धोना नहीं कर पा रहे है. मवेशी पानी नहीं पी पा रहे हैं. तालाब के आसपास के ग्रामीणों ने बरसोल थाना में जाकर तालाब मालिक अशोक मंडल, उनके सहयोगी मिहिर बंगाली व प्रतिमा सतुआ के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज करायी थी. उसी दिन पुलिस आकर इस मामले में जांच की थी. आजतक दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई.

किसी कार्य के लिये ग्रामसभा से नहीं ली जाती अनुमति.

मंगलवार को प्रदर्शन में सीपीएम राज्य कमेटी के सदस्य सपन महतो शामिल हए. उन्होंने कहा कि मत्स्य विभाग में आवेदन दिया गया है. झारखंड में पेसा कानून लागू है. जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों का मौलिक अधिकार है. इस गांव में कोई कार्य होता है, तो ग्रामसभा की अनुमति नहीं ली जाती है. मौके पर चितरंजन महतो, साधु नाथ महातो, सुकुमार राणा, अश्विनी मल्ल, श्रीकांत नायक, बसंती मुंडा ,आलादी मुंडा ,सुभाषिनी मुंडा, रूहीबारी मुंडा, सुखमणि मुंडा समेत सैकड़ों महिलाएं उपस्थित थीं.

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