Science Behind Ram Lalla Surya Tilak : रामनवमी पर अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित श्रीरामलला की प्रतिमा का सूर्य की किरणों से तिलक हुआ. रामलला के सूर्य तिलक का समय दोपहर 12 बजे हुआ और इसकी अवधि कुल 5 मिनट की रही. इस दौरान भगवान भास्कर की किरणों से आराध्य का अभिषेक होता दिखाई दिया. यह सूर्य तिलक 75 मिमी बड़ा था. रामनवमी पर अविजीत मुहूर्त में 12 बजे भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की किरणों ने तिलक किया. लगभग पांच मिनट तक यह अद्भुत औरव अलौकिक दृश्य देश-विदेश में बैठे श्रद्धालुओं ने प्रभात खबर के यूट्यूब चैनल के साथ विविध ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स पर भी लाइव देखा.
रामलला के सूर्य तिलक की तकनीक क्या है?
सूर्य तिलक प्रोजेक्ट के अंतर्गत पाइप और लेंस, मिरर, रिफ्लेक्टर आदि ऑप्टो-मैकेनिकल सिस्टम से सूर्य की किरणों को राम मंदिर की दूसरी मंजिल से लेकर गर्भगृह में स्थापित रामलला की प्रतिमा तक पहुंचाया गया. इसके लिए उच्च गुणवत्ता के चार शीशे और चार लेंस का प्रयोग किया गया. दो शीशे मंदिर की दूसरी मंजिल और दो निचले तल पर लगाये गए. दूसरी मंजिल पर लगे शीशों के माध्यम से सूर्य की किरणें लेंस से टकराकर अष्टधातु के पाइप से गुजरीं. इसके बाद ये किरणें निचले तल पर लगे शीशे और लेंस से टकराकर गर्भगृह में स्थापित रामलला की प्रतिमा के मस्तक पर तिलक के रूप में पहुंचीं.
सूर्य की किरणें ऐसे पहुंचेंगी रामलला के मस्तक पर
अयोध्या स्थित नवनिर्मित राम मंदिर की दूसरी मंजिल से निचले तल तक लगायी गई पाइप की लंबाई लगभग नौ मीटर है. इसके लिए गियर मेकैनिज्म का प्रयोग हुआ है. शीशे की दिशा को एक विशेष ऐंगल पर फिक्स किया गया है, ताकि हर साल रामनवमी पर रामलला के मस्तक पर सूर्य की किरणों से तिलक हो सके. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के समय ही सूर्य की किरणों से आराध्य के तिलक की कल्पना की गई थी. इसके लिए सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने तकनीकी व्यवस्था की है. वैज्ञानिकों की टीम ने सूर्य तिलक और पाइपिंग के डिजाइन पर असाधारण काम किया है.
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