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आठवीं से बारहवीं कक्षा के विद्यार्थी बनेंगे जलदूत

समस्तीपुर : जल ही जीवन है की तर्ज पर हमें अपने बच्चों को पानी के महत्व के बारे में बताना चाहिए और उन्हें पानी की बचत करने के स्मार्ट तरीके सिखाने चाहिए.

समस्तीपुर : जल ही जीवन है की तर्ज पर हमें अपने बच्चों को पानी के महत्व के बारे में बताना चाहिए और उन्हें पानी की बचत करने के स्मार्ट तरीके सिखाने चाहिए. पूरी दुनिया में बच्चे किसी भी तरह के संरक्षण के प्रयासों को लेकर जागरूक हैं, बस जरूरत है तो उन्हें सही दिशा देने की. सीबीएसई ने अब जल संरक्षण के दिशा में कदम उठाते हुए छात्रों को जागरूक करने का निर्णय लिया है. शहर के सेंट्रल पब्लिक स्कूल के निदेशक मो. आरिफ ने बताया कि 8वीं से 12वीं के बच्चे जल दूत बनेंगे. अपने इलाके में सुरक्षित पेयजल से लेकर जल संरक्षण पर ये बच्चे काम करेंगे. सीबीएसई के शैक्षणिक निदेशक ने इसे लेकर निर्देश दिया है. निर्देश में कहा गया है कि बच्चे वर्षा जल संचयन, जल संरक्षण, गणना, जियो-टैगिंग और सभी जल निकायों की सूची भी तैयार करेंगे. जल संरक्षण के लिए वैज्ञानिक योजना तैयार करना, जिलों में जल शक्ति केंद्र स्थापित करना, सघन वनीकरण और जागरूकता पैदा करने का लक्ष्य भी इन्हें दिया गया है. सीबीएसई ने निर्देश दिया है कि छात्र महत्वपूर्ण सामाजिक और पर्यावरणीय परिवर्तन लाने में सक्षम हैं. जल जीवन मिशन और जल संरक्षण के क्षेत्र में छात्रों की भूमिका को पहचानने के लिए जल डूफ कार्यक्रम नामक एक पहल की शुरुआत की गई है. कार्यक्रम का उद्देश्य छात्र चैंपियन बनाना है, जो सुरक्षित पेयजल, जल गुणवत्ता, जल संरक्षण आदि गतिविधियों के बीच अपने इलाके में पाइप जल आपूर्ति योजनाओं का मूल्यांकन करेंगे. स्थायी जल उपयोग, पर्यावरण संरक्षण, जलवायु लचीलापन, नये विचार और युवा ऊर्जा के लिए जन आंदोलन में जल दूतों को शामिल करने की दिशा में यह शुरूआत की गई है. सभी सीबीएसई स्कूल जल दूत कार्यक्रम से संबंधित गतिविधियां अगले सप्ताह से शुरू करेंगे. स्कूलों को कार्यक्रम की गतिविधियों की एक रिपोर्ट सीबीएसई के लिंक पर अपलोड करनी है. टेक्नो मिशन स्कूल के प्राचार्य एके लाल ने बताया कि पृथ्वी पर उपलब्ध पानी की कुल आपूर्ति में से 1 प्रतिशत से भी कम पीने योग्य है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, दुनिया में करीब 1.2 अरब लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं और 50 करोड़ लोग इस स्थिति से जूझ रहे हैं. ये तथ्य पानी के एक दुर्लभ संसाधन होने की समस्या को उजागर करते हैं. इसलिए, माता-पिता को अपने बच्चों के साथ मिलकर पानी बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए.

पांच कारण जिनकी वजह से हमें जल शिक्षा की आवश्यकता है

वर्ग कक्ष में शिक्षक छात्र छात्राओं को जागरूक करते हुए जानकारी देंगे. छात्रों को शिक्षक बतायेंगे कि जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जल शिक्षा समग्र पर्यावरणीय प्रबंधन की ओर ले जाती है, यह जानने से कि आपका पानी कहां से आता है, संसाधन की सराहना बढ़ जाती है, सूखे और पानी की कमी की अवधारणा को समझना महत्वपूर्ण है, जल उद्योग में भविष्य के करियर के अवसर पैदा करना आवश्यक है. जल शिक्षा इस बहुमूल्य संसाधन की समझ को प्रोत्साहित करती है और छात्रों को पानी से संबंधित उन चुनौतियों के बारे में ज्ञान प्रदान करती है जिनका सामना हमारी दुनिया कर रही है और करेगी.

इस तरह जागरूक करेंगे जलदूत

बच्चों को बताया जायेगा कि वो नहाने के लिए सिर्फ जरूरत भर के पानी का इस्तेमाल करें न की ज्यादा पानी की खपत करें, अगर बच्चे नहाते वक्त अपने कपड़े पानी से धो रहे हो तो उनको धूले हुए कपड़ों के पानी को फेंकने से मना करें और इस पानी का इस्तेमाल बाद में बाथरूम में फ्लश करने जैसे कामों के लिए करने को कहें, बच्चों को बतायें कि पानी कम होने वाला है और वे इसका इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से करें. उनको बतायें कि ब्रश करते समय नल को खुला ना रखें, हाथों को साफ करते समय या चेहरे को धोते समय नल के पानी का प्रवाह कम रखें, बच्चों को सिखाएं की जितना पानी पीना हो उतनी गिलास भरें. ज्यादा पानी लेकर आधा पीकर छोड़े नहीं, स्कूल से घर लौटने पर बच्चों से कहे कि वे अपनी पानी की बोतलों में जो भी थोड़ा सा पानी बचा है, उसे इस ड्रम में डालें.

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