शनिवार को राजभवन में शिक्षाविदाें के साथ हुई बैठक
गौरतलब है कि राज्य उच्च शिक्षा विभाग ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस से उन संस्थानों में अंतरिम कुलपतियों की नियुक्तियां करने का अनुरोध किया है, जहां ये पद रिक्त हैं. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने अंतरिम कुलपतियों की नियुक्तियों के लिए 31 प्राध्यापकों के नाम सुझाये थे, लेकिन राज्यपाल ने इनमें से छह नामों को मंजूर किया और शेष सब नामों को खारिज कर दिया.
गौरतलब है कि डॉ बोस सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं. अधिकारी ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ विशेष सचिव ने कुलाधिपति से उच्चतम न्यायालय के आदेश पर उनके और मुख्यमंत्री के बीच बनी सहमति के आधार पर अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि कुलाधिपति इन छह प्राध्यापकों में से ही उन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियां करेंगे, जहां ये पद रिक्त हैं. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने भी इस संबंध में राजभवन में डॉ बोस के साथ एक घंटे तक चर्चा की थी.राज्यपाल की बजाय राजभवन के अधिकारी ने की शिक्षाविदों से बात
बैठक में बुलाने के बावजूद राज्यपाल सीवी बोस शिक्षाविदों से नहीं मिले. राजभवन के एक अधिकारी ने हर शिक्षाविद् के साथ अलग-अलग बैठक की. राज्यपाल क्यों नहीं मिले, इसे लेकर विवाद पैदा हो गया है. शनिवार को राजभवन में चार पूर्व कुलपति समेत अन्य शिक्षाविद् मौजूद थे. हालांकि, बताया गया है कि राज्यपाल ने उनमें से किसी से भी मुलाकात नहीं की.इधर, इसे लेकर राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने सवाल खड़े किये हैं. शिक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया एक्स के माध्यम से कहा कि यह बंगाली शिक्षाविदों का अपमान है. राजभवन में बुला कर भी आखिर राज्यपाल उनसे क्यों नहीं मिले, उन्हें शिक्षाविदों से मिलना चाहिए था.