राकेश वर्मा, बेरमो : नदी-नालों के अस्तित्व पर विकसित हुए बेरमो अनुमंडल के औद्योगिक क्षेत्रों में पानी के लिए जगह-जगह कोहराम मचा हुआ है. इसकी मुख्य वजह यह है कि जल वितरण की पांच-छह दशक पुरानी व्यवस्था से ही यहां काम लिया जा रहा है. कोयलांचल के लोग पानी के अभाव में आज भी नदी, नाला, तालाब व पानी से भरी खदानों का चक्कर लगाने को विवश हैं. एक सच यह भी है कि कोयलानगरी में सिर्फ कोयला की कमाई पर ही माफियाओं का वर्चस्व नहीं है, बल्कि उसका पानी पर भी कब्जा है. इसके कारण ही सीसीएल के बीएंडके, ढोरी व कथारा एरिया के हजारों लोग पानी संकट झेल रहे हैं. एक तरफ स्वांग कोलियरी से लेकर तारमी के बीच फैले कथारा, जारंगडीह, करगली, बीसीडब्ल्यू और ढोरी प्रक्षेत्र के बीच फैले एक वर्ग विशेष के लोग ऐसे हैं, जिनके घरों में फिल्टर प्लांट से मेन पाइप के जरीये सीधे जलापूर्ति की व्यवस्था प्रबंधन ने करा रखी है. दूसरी तरफ मजदूर वर्ग की बड़ी आबादी नहाने से लेकर खाने-पीने के लिए नदी, नाला, तालाब व सीसीएल की बंद खदानों के रॉ वाटर पर निर्भर है. सीसीएल की प्रबंधकीय व्यवस्था की गिरावट से इस क्षेत्र में जलसंकट और गहराया है. बीएंडके प्रक्षेत्र के सुभाषनगर, जवाहरनगर, रामनगर, फिल्डक्वायरी, घुटियाटांड़, अंबेडकर कॉलोनी, खासमहल, संडेबाजार, चार नंबर गुलाब फाइल, गांधीनगर, तीन नंबर, बारीग्राम, चलकरी आदि क्षेत्रों में जलापूर्ति के लिए करगली फिल्टर प्लांट से 14 इंच का मेन पाइप आता है. लेकिन इस पाइप के जरीये पानी वितरण पर प्रबंधन का नियंत्रण नहीं रह गया है. स्थिति यह है कि उपरोक्त स्थानों पर मेन पाइन में सैकड़ों लोग छेद कर अपने-अपने घरों में पानी ले जाते हैं. टुलू पंप के जरिये ऐसे लोग पानी का मजा लेते हैं. इसकी वजह से क्षेत्र की एक बड़ी आबादी को भीषण जलसंकट का सामना करना पड़ता है.
कोयलांचल में पानी पर भी है माफियाओं का वर्चस्व
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